गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

आधुनिक जीवन-शैली और हृदय-रोग

आदिकाल से भारतीय आहार में घी और तेल खूब इस्तेमाल किया जाता है। कृषि प्रधान शाकाहारी देश में सभी को अधिक कैलोरी की जरूरत रही होगी। संभवतः इसी वजह से वसा अधिक खाई जाती थी। काम करने का तरीका तो बदल गया, लेकिन हमने भोजन शैली में कोई परिवर्तन नहीं किया। वसा हम पहले की तरह ही खूब खाते हैं। पहले हम खेती किसानी में अच्छी खासी शारीरिक मेहनत कर लेते थे, अब उतनी नहीं करते। 

जितनी कैलोरी खाते थे उससे कहीं ज्यादा खर्च हो जाती थी। हम वसा के रूप में कैलोरी पहले जितनी ही खा लेते हैं, लेकिन खेतों में मेहनत करके उतनी कैलोरी खर्च नहीं करते। ग्रामीण आबादी तेज़ी से शहरों की ओर आ रही है। कई ग्रामीण युवा अब सूचना उद्योग द्वारा रची क्रांति के हिस्सेदार हैं। गुड़गाँव, नोएडा, पुणे, बेंगलुरू और हैदराबाद जैसे कई बड़े शहरों के अलावा कई मझोले और छोटे शहर भी आईटी की फसल काटने वालों में शामिल हो गए हैं। पहले की तुलना में शहरी आबादी अधिक हो गई है। आईटी उद्योग अपने साथ विदेशी जीवनशैली भी लेकर आया है। कई शहरों में फास्टफूड और जंकफूड के आउटलेट २४ घंटे खुले रहते हैं। कारबोनेटेड ड्रिंक्स की खपत कई गुना बढ़ गई है। इस सबका असर युवाओं के शरीर पर दिखाई देने लगा है। कम उम्र में दिल की बीमारियाँ आम हो गई हैं। डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे रिस्क फैक्टर अब सामान्य हो गए हैं। युवा हृदयरोगियों की संख्या बढ़ने का यह भी एक बड़ा कारण है। व्यावसायिक तनाव और आधुनिक जीवनशैली इसके लिए बराबर की ज़िम्मेदार हैं। आने वाले वर्षों में दिल से जुड़ी कई बीमारियों के युवा मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होगा। हमने अभी तक भविष्य में मधुमेह, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारी के अन्य रिस्क फैक्टरों से निपटने के संसाधन विकसित नहीं किए हैं(संपादकीय,सेहत,नई दुनिया,अक्टूबर प्रथमांक)। 

अपने दिल का रखें ख़याल 
ज़िंदगी की एक भयानक घटना दिल दहला देती है। गम के लम्हों में दिल बैठ जाता है। दिल ही व्यक्ति के दिलेरी की पहचान कराता है। छोटे आकार तथा हल्के वजन के बावजूद इस दिल को कितना अधिक कार्य करना पड़ता है। दिल एक मिनट में 72 बार धड़कता है। इस तरह, एक वर्ष में दिल करीब 3 करोड़ 70 लाख बार धड़कता है । पैंसठ वर्ष की औसत आयु तक हृदय 240 करोड़ बार धड़कता है तथा लंबी रक्त नलिकाओं में प्रवाहित करता है जो एक दूसरे से मिला दी जाएं तो पूरी दुनिया का ढाई बार पूरा चक्कर लगा लेगी। कुदरत का कमाल है कि दिल आराम हराम है को चरितार्थ कर निरंतर धड़कता रहता है। लेकिन यही धड़कन तीव्र ज्वर,भय,हर्ष,व्यायाम,दौड़,मनोविचार,क्रोध के समय दो से चार गुना तक बढ़ जाती है। इसी प्रकार,अवसाद,निर्बलता,उपवास में हृदय की धड़कन घट जाती है। दिल 100 वर्ष या इससे अधिक समय तक निरंतर कार्य कर सकता है। 

दुनिया तेज़ी से बदल रही है, लोगों के खानपान जीवनशैली में बहुत से बदलाव आए हैं। यही कारण है कि आज तीस या चालीस वर्ष के वयस्कों में १० प्रतिशत रोगी दिल के मरीज़ होते हैं। धूम्रपान, शराब, शारीरिक श्रम की कमी, आलस्य, तंबाकू, मानसिक तनाव, चिंता दिल के दौरे का कारण बनते हैं। यही वजह है कि देश में दिल के रोगियों की संख्या में लगातार वृद्घि हो रही है। एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग ७ करोड़ ७० लाख दिल के रोगी हैं। लगभग ५० लाख लोगों की मृत्यु दिल के रोगों के कारण प्रतिवर्ष होती है। इनमें से ३० प्रतिशत रोगी ६२ वर्ष से कम आयु के होते हैं। ५० प्रतिशत दिल के मरीज़ों में पहले से कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। हृदय की धमनी के ७० प्रतिशत रक्त प्रवाह के बंद होने पर ही दिल के दौरे के लक्षण प्रकट होते हैं। 

हृदय रोग से कैसे बचें... 
दिल के रोग के खतरे की यदि पहले ही जाँच-पड़ताल हो जाए तो समय रहते इनसे बचाव करना संभव होता है। हृदय रोग से बचने के लिए इन घातक लक्षणों से सावधान रहें। मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, धूम्रपान, शराब, तंबाकू, शारीरिक श्रम में कमी, आलस्य शरीर के शत्रु हैं। मोटापे के कारण हृदय रोग, उच्च रक्तचाप व मधुमेह जैसे रोगों की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए जिन लोगों का वजन अधिक है, जिनके परिवार में हृदय रोगी हैं, उन्हें अपना वजन कम करना चाहिए। यह तभी संभव है, जब वे चीनी, चिकनाई, चावल, मिठाई आदि का सेवन कम करें। तले हुए वसायुक्त नमकीन को त्याग दें। और इसके बजाए भुने हुए चने जैसी कम कैलोरीयुक्त चीज़ों का सेवन करें। प्रतिदिन एक घंटा सुबह टहलना शुरू करें। एक मिनट टहलने से १.५० मिनट आयु बढ़ती है। 

एक सामान्य व्यक्ति को प्रतिदिन १० हजार कदम रोज चलना चाहिए। यह तभी संभव है, जब अधिक से अधिक पैदल चलने की आदत डाली जाए। उच्च रक्तचाप की पहचान होने पर नियमित रूप से जाँच कर रक्तचाप भी नियंत्रित रखें। खाने में नमक की मात्रा कम रहने तथा नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श अनुसार औघधियाँ लेते रहें। यदि दिन में ५-७ बार सब्जियों और फूलों का सेवन किया जाए तो दिल के रोगी में ४० प्रतिशत की कमी हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय हार्ट फेडरेशन के अनुसार जीवनशैली में परिवर्तन कर जागरूक रहने से दिल के दौरे से होने वाली कुल मौतों में से ८० प्रतिशत टाली जा सकती है। एक ही दिल है, इसका ध्यान रखकर हम स्वस्थ, सुखी एवं निरोग रह सकते हैं(डॉ. अनिल चतुर्वेदी,सेहत,नई दुनिया,अक्टूबर प्रथमांक 2011)। 

हृदय रोग में लापरवाही प्राणघातक 
कार्डियोवैस्क्युलर रोग या हृदय रोग विश्वभर में लोगों की मौत के लिए ज़िम्मेदार सबसे बड़ा कारण हैं। सालाना १ करोड़ ७३ लाख लोग हृदय रोग की वजह से मर जाते हैं। उच्च रक्तचाप, अधिक कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह जैसी बीमारियाँ, खानपान की अनियमितता, आहार में फल-सब्ज़ी जैसी पोषक चीज़ों का अभाव, धूम्रपान, मोटापा और शारीरिक श्रम में कमी कुछ ऐसे कारण हैं, जो हृदय रोग और हृदयाघात के खतरे को बढ़ाते हैं। 

परिजनों के लिए : 
यदि घर का कोई सदस्य हृदय रोग से पीड़ित हो तो घर के सभी लोग इस बीमारी के बारे में जान लें। ऐसे में सबसे ज़रूरी है हार्ट अटैक के लक्षणों को पहचानना। कई बार मरीज़ को हार्टअटैक के लक्षण महसूस होते हुए भी उन्हें समझ न पाए। ऐसे में हर दिन मरीज़ से बातचीत करें। अगर वह किसी प्रकार के दर्द की बात करे तो कार्डियोलॉजिस्ट को बताएँ। कुछ मरीज़ ऐसे भी होते हैं, जो डॉक्टर के पास जाना पसंद नहीं करते और दर्द या किसी अन्य परेशानी के बारे में बताने के बजाए उसे टाल देते हैं, लेकिन यह लापरवाही प्राणघातक सिद्घ हो सकती है। ऐसे में परिजनों की ज़िम्मेदारी बनती है कि वो समय रहते मरीज़ को डॉक्टर के पास लेकर जाएँ। उनकी दवाओं का नाम और देने का समय, दवा किस प्रकार लेनी है आदि बातें घर के अन्य सदस्यों को भी मालूम होनी चाहिए। ध्यान रखें कि मरीज़ समय पर दवाई ले। घर का कोई ज़िम्मेदार सदस्य रोज़ उन्हें दवाई दे या कम से कम इस ओर ध्यान दे। कार्डियोलॉजिस्ट, नज़दीकी अस्पताल, एम्बुलेंस और आपातकालीन सेवाओं के फोन नंबर घर के सभी सदस्य अपने पास लिखकर रख लें और मरीज़ के कमरे में बड़े अक्षरों में लिखकर दीवार पर चिपका दें। हार्टअटैक जैसी आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होने पर यह जानकारी काफी महत्वपूर्ण होती है। 

पकाने के चुनिंदा तरीके 
खूब तेल-घी इस्तेमाल करके बनाया गया खाना हृदय रोगियों के लिए बहुत ही खतरनाक है। इसके बजाय अन्य तरीकों को अपनाया जा सकता है - 

भूनना : भूनना और बेक करना लगभग एक जैसी प्रक्रिया हैं। कंवेक्शन तरंगें ओवन के तापमान को एक समान रखती हैं, जिससे इसमें तेल की आवश्यकता बिलकुल नहीं होती और भोजन स्वाद से भरपूर होता है। स्टोव पर भी इसी तरह से चीज़ को भूना जा सकता है। 

उबालना, भाप द्वारा पकाना : उबालना यानी खाने को पानी में पकाना। भाप द्वारा पकाने के लिए बर्तन में पानीभरकर उसके ऊपर एक जाली रखी जाती है, जिस पर भोजन को रखकर पकाया जाता है। पानी उबलने के साथ जो भाप बनती है, उससे ऊपर रखा भोजन पक जाता है। इन प्रक्रियाओं से खाना आसानी से पक जाता है और पोषक तत्व भी नष्ट नहीं होते एवं तेल की ज़रा भी ज़रुरत नहीं होती। कुकर में खाना इसी तरह अंदर एकत्रित भाप से पकता है। 

बिना तेल-घी के मसाला भूनने का तरीका : क़ड़ाही गर्म कर उसमें जीरा डालकर भूरा होने तक भूनें। भूरा होते ही इससे खुशबू आने लगती है। फिर इसमें प्याज़ डालकर धीरे-धीरे चलाएँ। इसके बाद लहसुन-अदरक डालें। प्याज़ के हल्के भूरे रंग का होने तक चलाते रहें। अब पिसा हुआ टमाटर डाल दें। कुछ देर चलाएँ, फिर थोड़ा-सा पानी डालकर भूनें। मसाले को पानी छोड़ने तक भूनते रहें। फिर इसमें हल्दी डालकर थोड़ी देर और भूनें। इसके बाद नमक, मिर्च, धनिया डालकर कुछ देर चलाएँ। अब इसमें जो सब्ज़ी या दाल बनानी है, वो डालकर पकाएँ। व्यंजन बनाने के बाद उसमें गरम मसाला डालें और ऊपर से धनिया डालें(सेहत डेस्क,नई दुनिया,अक्टूबर प्रथमांक 2011)।

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही उपयोगी जानकारी दी है सर!
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    कल 21/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. ये तो बहुत उपयोगी जानकारियां हैं खासकर हमारे बुजुर्गों के लिए

    हिन्‍दी कॉमेडी

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  3. @ऋतु जी
    आपके ब्लॉग पर टिप्पणी का लिंक नहीं है। कृपया देखें।

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  4. रमण जी,
    सराहनीय कार्य है आपका
    इतनी अच्छी अच्छी जानकारी देते है !
    आभार ....

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  5. रमण जी
    आपने बहुत ही अच्छी जानकारी और सजेसन दी है, येदी इतनी जानकारी और सजेसन को अमल किया जाये तो कोही भी ब्यक्ति दिल की बीमारी से बच सकता है, आपने मानव कल्याण के लिए ये जानकारी प्रस्तुत की है , इसकी लिए आपको धन्यवाद .

    http://herbo-life.blogspot.com

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  6. आपने अच्छा चेताया है ....अभी से ध्यान रखना होगा

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  7. ज्ञानवर्धक प्रस्‍तुति ।

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