गुरुवार, 11 अगस्त 2011

"फैको" नहीं,"फेमटो" है मोतियाबिंद सर्जरी की नई तकनीक

पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद अब बैखौफ अपने दूसरे आंख के मोतियाबिंद की सर्जरी करा सकते हैं। कंप्यूटर संचालित जो नई लेजर तकनीक दिसंबर में भारत आने वाली है, उसमें आंख के जाने का भय जरा भी नहीं रहेगा। दिल्ली में १३ अगस्त से शुरू हो रहे आंख के सर्जनों के सम्मेलन में मोतियाबिंद की सर्जरी के इस अत्याधुनिक तकनीक को "शोकेस" किया जाएगा। दो साल पहले दिल्ली में इसी संगठन का उद्घाटन करते हुए लालू ने मोतियाबिंद की सर्जरी से लगने वाले अपने डर का इजहार किया था। मोतियाबिंद सर्जरी के चलते अंधे होने की अतीत में हो चुकी घटनाओं की वजह से यह "फोबिया" सिर्फ लालू को ही नहीं बल्कि आम लोगों को अभी भी सताता है। "फेमटो" नामक अत्याधुनिक लेजर तकनीक से मोतियाबिंद की सर्जरी मात्र २० सेकेंड में पूरी हो जाएगी। पहले की तकनीक "फेकोइमलसिफिकेशन" विधि से इस सर्जरी में ५ मिनट लगते हैं। इसकी कई और खासियतें हैं जो इसे सटीक एवं पूरी तरह से सुरक्षित बनाती हैं। इस तकनीक में छुरी का प्रयोग होता ही नहीं है। इस तकनीक को पिछले साल ही अमेरिका में एफडीए की मंजूरी मिली है। "इंट्राऑक्यूलर इम्प्लांट एंड रिफ्रैक्टिव सोसायटी, इंडिया" के सम्मेलन के अध्यक्ष एवं आंखों के अस्पताल समूह "सेंटर फॉर साइट" के चेयरमैन डॉ. महिपाल सचदेवा ने बताया कि यह तकनीक रोबोटिक सर्जरी की तरह है जिसमें डॉक्टर की कुशलता की जरूरत नहीं। पांच करो़ड़ रुपए की यह लेजर मशीन इस साल के अंत तक दिल्ली आ जाएगी। डॉ. सचदेवा लालू के एक आंख की सर्जरी कर चुके हैं। सम्मेलन के सह अध्यक्ष एवं भारती आई फाउंडेशन के मेडिकल निदेशक डॉ. एस. भारती ने बताया कि इस तकनीक के आने के बाद मोतियाबिंद की सर्जरी का जोखिम पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। पूरी दुनिया के पैमाने पर अब तक मोतियाबिंद की सर्जरी में संक्रमण की दर .५ प्रतिशत है जो घट कर .१ हो जाएगी। गौरतलब है कि भारत में मोतियाबिंद बहुत बड़ी समस्या है। भारत में हर साल (कैटैरैक्ट) मोतियाबिंद की ५० लाख सर्जरी होती है। आंख की सर्जरी में तकनीक का सुरक्षित होना सबसे अहम पहलू है। इस सम्मेलन में अकोमोडिटिव लेंस पर भी चर्चा होगी। इस नए कृत्रिम लेंस ने पावर की सीमा खत्म कर दी है। यह लेंस अपनी स्थिति बदल सकती है। डॉ. सचदेवा ने बताया कि पहले चश्मा हटाने की लासिक तकनीक कम पावर वाले लोगों पर भी कामयाब थी, लेकिन अब चश्मे का पावर कितना ही उच्च क्यों न हो, उसे हटाने की तकनीक आ गई है। सम्मेलन में देश विदेश के १००० सेअधिक नेत्र सर्जन शामिल होंगे(धनंजय,नई दुनिया,दिल्ली,11.8.11)।

7 टिप्‍पणियां:

  1. vaah chikits maamle ki nayi janakari dene ke liyen shukriya jnaab .akhtar khan akela kota rasjthan

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  2. जानकारी नई है मेरे लिए।

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  3. वास्तव में आई सर्जरी में बहुत विकास हो रहा है ।

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  4. जैसे आंख में मोतियाबिंद हो जाता है या नज़र कमज़ोर हो जाती है ऐसे ही अक्ल भी अंधी और कमज़ोर हो जाया करती है और तब अक्ल सही फ़ैसले नहीं ले पाती। आज ऐसी अक्ल के लोग ही हर जगह नेता और मार्गदर्शक बने हुए हैं। ऐसे लोगों को जो नहीं पहचानते उनकी अक्ल की हालत भी उन जैसी ही है।
    सारे झगड़े-फ़साद और ख़ून ख़राबे इसी बात की वजह से हैं कि आदमी अपने लिए हर तरह से सुरक्षा चाहता है और दूसरों को वही चीज़ देने के लिए तैयार नहीं है।
    आप 'ब्लॉगर्स मीट वीकली 3‘ में तशरीफ़ लाए होते तो उस मीटिंग के पहले और बिल्कुल आखि़री लेख देखकर इन समस्याओं से मुक्ति का सच्चा समाधान भी जान लेते।
    इस बार आपने समस्या उठाई है और अगली पोस्ट में आपको इनसे मुक्ति का उपाय भी बताना चाहिए।
    आप अब भी देख सकते हैं
    ‘ब्लॉगर्स मीट वीकली 3‘

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  5. http://mypoeticresponse.blogspot.com/2011/08/blog-post_8127.html

    can u please give some input here on progressive lens implant
    if u have any information on the same

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  6. बहुत ही अच्छी जानकारी। इससे बहुत से मामलों में मदद मिलेगी।

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