एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (एसीएस) के पश्चात ३० दिनों तक मर्दों की बनिस्बत महिलाओं पर मौत का साया मँडराता रहता है। एसीएस से तात्पर्य है दिल की रक्त वाहिका में चर्बी के जमाव के कारण उत्पन्ना समस्याएँ जैसे हृदयाघात़। इस मामले में रोग की गंभीरता और एसीएस की किस्म जैसे कारकों पर भी बहुत कुछ निर्भर होता है।
हृदयाघात के बाद पहले वर्ष में पुरुषों की मृत्यु दर २५ प्रतिशत और महिलाओं की मृत्यु दर ३८ प्रतिशत होती है। कम उम्र के मरीज़ों में यह अंतर और अधिक है। ५० साल से कम उम्र की औरतों में उसी वर्ग के पुरुषों के मुकाबले मृत्यु दर दोगुनी है। महिलाओं को जोखिमों पर आधारित निम्न, मध्यम या उच्च हार्ट अटैक का खतरा रहता है। रजोनिवृत्ति के बाद हृदय रोग विकसित होने का खतरा २-३ गुना बढ़ जाता है। जो स्त्रियाँ धूम्रपान करती हैं उन्हें २ से ६ गुना ज़्यादा खतरा होता है। जितनी अधिक सिगरेटों की संख्या होगी जोखिम उतना ही बढ़ता जाएगा। शारीरिक निष्क्रियता, मधुमेह, उच्च कॉलेस्ट्रॉल ये सब दिल की बीमारी में प्रमुख रूप से योगदान देते हैं। ६६ से ७५ प्रतिशत मधुमेह के मरीज़ दिल के रोग से मरते हैं। मधुमेह खराब कॉलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लीसिराइड का स्तर बढ़ा देता है। मधुमेह से ग्रस्त कई औरतों को उच्च रक्तचाप भी होता है और उनका वज़न भी अधिक होता है इसलिए उन्हें हृदय रोग का अधिक खतरा होता है।
हृदय रोग का पहला लक्षण है हार्ट अटैक। इसलिए अच्छा है कि हार्ट अटैक के लक्षणों को जान लें ताकि वक्त पड़ने पर तुरंत चिकित्सकीय मदद ली जा सके। अधिकतर हार्ट अटैक के मामलों में सीने में दर्द या परेशानी महसूस होती है, छाती के निचुड़ने या भरे होने का अहसास होता है। दर्द बढ़कर बाएँ जबड़े या कंधे या शरीर के वाम भाग के अन्य किसी अंग को प्रभावित कर सकता है। उबकाई आना, साँस का छोटा होना ये कुछ लक्षण हैं, जो आमतौर पर प्रकट होते हैं। आदर्श स्थिति यह है कि दिल के दौरे का पहला लक्षण सामने आने के 1 घंटे के अंदर उसका इलाज़ शुरू हो जाए(सेहत,नई दुनिया,अगस्त 2011 प्रथमांक)।
अभी तक तो यही सुना था की दिल की बीमारी पुरुषो को ही ज्यादा होती है | अच्छी जानकारी दी धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट तो हमेशा ही जानकारियों से भरी होती है .......आभार
जवाब देंहटाएंमहिलाओं के लिए ज़रूरी जानकारी ।
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