मंगलवार, 16 अगस्त 2011

खून जांच से लिंग निर्धारण के ख़तरे

खून जांच बताएगा बेटा या बेटी.., भले ही दुनिया भर के लोग इस जांच को चिकित्सा जगत की कामयाबी मान रहा हों, लेकिन सच तो यह है कि भारत जैसे देश के लिए यह जांच किसी अभिशाप से कम नहीं होगी। यह कहना है राजधानी की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों का। इनका कहना है कि जब अल्ट्रासाउंड ही कन्या भ्रूण हत्या की एक बड़ी वजह बनी हुई है ऐसे में खून जांच कन्या भ्रूण हत्या को और बढ़ावा देगी। भारत में यह जांच किसी भी सूरत में शुरू नहीं होनी चाहिए। रॉकलैंड अस्पताल की डॉक्टर आशा शर्मा की मानें तो हमारा समाज पहले से ही महिलाओं का विरोधी रहा है। चाहे वह पढ़ा लिखा तबका ही क्यों न हो। अगर ऐसे में सेल-फ्री फीटस डीएनए नामक यह जांच अगर भारत में शुरू होती है तो खतरनाक रूप धारण कर सकता है। यूरोप में यह इसलिए मान्य है क्योंकि वहां इसका मतलब लिंग जांच से नहीं है, बल्कि हीमोफीलिया जैसे लिंग से जुड़े जेनेटिक रोग का पता लगाना मकसद है क्योंकि यह रोग ज्यादातर लड़कों में होता है। फोर्टिस अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. उर्वशी झा का कहना है कि यह जांच नहीं गर्भ में पल रहे लड़कियों की मौत का फरमान है। बेटियों के लिए यह जांच अभिशाप बन जाएगी। ऐसी जांच तो अपने देश में किसी भी सूरत में शुरू नहीं होनी चाहिए। जबकि मैक्स की डॉ. अनुराधा कपूर का मानना है कि अपने समाज में आज भी महिलाएं उपेक्षित हैं। यहां लड़कियों को आज भी लड़कों जैसा हक नहीं मिलता। अगर यह जांच शुरू हो जाती है तो लोगों को भ्रूण जांच कराना और आसान हो जाएगा। गर्भ में बेटियां और भी दम तोड़ती नजर आएंगी। वहीं दूसरी ओर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. विनय भी यह मानते हैं कि अगर यह जांच भारत में आती है तो इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा। भले ही इस तकनीक का इजाद अच्छे मकसद से किया गया हो लेकिन अपने देश में इसका दुरुपयोग होगा इसमें कोई संदेह नहीं है। बता दें कि भारत में कन्या भ्रूण हत्या पहले से ही परेशानी का सबब बना हुआ है और इसलिए गर्भस्थ शिशु लिंग जांच यहां गैरकानूनी है। हालांकि 11-12 सप्ताह के बाद गर्भ में बच्चे की जांच अल्ट्रासाउंड से यह पता चल जाता है। जब कि सेल-फ्री फीटस डीएनए जांच में गर्भ के सात सप्ताह बाद ही इसका पता चल जाता है। फिलहाल इसका प्रयोग इन दिनों यूरोप में खूब हो रहा है। एक जांच पर लगभग 18 हजार रुपये खर्च आता है(दैनिक जागरण,दिल्ली,16.8.11)।

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