शनिवार, 13 अगस्त 2011

बारिश में त्वचा की देखभाल

मानसून मन को सुकून देने वाला मौसम होता है, परंतु इस समय में चमड़ी की उचित देखभाल करना भी ज़रूरी हो जाता है नहीं तो कई परेशानियाँ होने लगती हैं। चर्मरोग के प्रकार और चमड़ी के रखरखाव में थोड़ा परिवर्तन मौसम के अनुरूप आता है जिसका ध्यान रखकर बारिश का पूरा मज़ा लिया जा सकता है। गर्मी के बाद बारिश का मौसम आता है इसलिए शुरुआत में अधिक नमी और गर्मी मिलकर हर तरह के जीवाणु और विषाणुओं के पनपने के लिए उपयुक्त माहौल बना देते हैं। उमस बढ़ने के साथ ही घमौरिया और कवक जनित चर्म रोग (फफूँद संक्रमण) बढ़ जाते हैं। बेक्टीरियल संक्रमण और खुजली के रोग या स्केबीज़ (जो एक प्रकार के छोटे से कीड़े या माइट के कारण होते हैं) भी इस मौसम में सबसे ज़्यादा होते हैं। घमौरियाँ संक्रमण की वजह से नहीं बल्कि अधिक पसीना आने और फिर पूरी तरह सूख न पाने के कारण होती हैं। बैक्टीरियल संक्रमण भी इस तरह कमज़ोर हुई चमड़ी पर आसानी से पनपते हैं। इस अवस्था में लाल खुजली वाली घमौरियाँ पीली-सफेद पस वाली फुंसियों में बदल जाती हैं। सूती कपड़े और अंतर्वस्त्र पहनने से घमौरियों से कुछ बचाव संभव है। डस्टिंग पावडर और कैलामाइन लोशन लगाने से भी घमौरियों में राहत मिलती है। तेल, मॉश्चराइज़र एवं बॉडी लोशन आदि पसीना सुखाने में बाधा उत्पन्ना करते हैं इसलिए इनका कम से कम इस्तेमाल करें। सिंथेटिक या चुभने वाले कपड़े नहीं पहनने चाहिए। हालाँकि घमौरियों से बचने का सबसे सही उपाय एयरकंडीशनिंग है। शरीर के फोल्ड वाले हिस्से जैसे बगल, जाँघ आदि के लगातार नम बने रहने से यहाँ संक्रमण ज़्यादा आसानी से होते हैं। फंगस या कवकजनित रोग को सामान्य भाषा में रिंग वर्म भी कहा जाता है। इस अवस्था में चमड़ी पर गोल-गोल चकत्ते बन जाते हैं और इनमें खुजली होती है। इससे बचने के लिए ज़्यादा पसीने वाले स्थान पर पावडर का इस्तेमाल करना चाहिए। अंतर्वस्त्रों को प्रेस करके पहनना भी एक अच्छा उपाय है। एक बार पहने हुए कपड़े कभी भी फिर से बिना धोए न पहनें। अक्सर,लोग रात में पहनने वाले कपड़े जींस आदि को दो-तीन बार पहनने के बाद ही धोते हैं। इस आदत को छोड़ना ही उचित है। गीले कपड़े पहनने से फंगल संक्रमण बहुत जल्दी होता है,इसलिए कभी भी गीले कपड़े न पहनें। धुले कपड़ों में यदि नमी और डिटरजेंट के अंश भी रह गए हों,तो ऐसे में इरिटेंट कॉन्टेक्ट डरमेटाइटिस का ख़तरा काफी बढ़ जाता है। इससे खुजली होती है और लाल-लाल दाने पड़ जाते हैं। बैक्टीरियल संक्रमण पस वाली फुंसियों के रूप में सबसे अधिक देखने को मिलता है। इसके अलावा भी यह विभिन्न रूपों में हो सकता है,जैसे-पानी वाले छालों के रूप में यह बच्चों में अधिक देखने को मिलता है जिसे बुल्लस इंपेटिगो कहते हैं। शरीर की उचित साफ-सफाई के अभाव में ऐसे रोग उत्पन्न होते हैं। मधुमेह के रोगियों को इस तरह के संक्रमण का ख़तरा ज़्यादा रहता है। इन्हें संक्रमण काफी अधिक मात्रा में होता है। रोज़ाना अच्छे से नहाने और स्वच्छ कपड़े पहनने से इनसे बचा जा सकता है। बारिश में यदि भीग गए हों,तो जितना जल्दी हो सके,नहा लेना चाहिए। ऐसी जगहों से बचना चाहिए,जहां पानी जमा हो। ट्राइक्लोसानयुक्त साबुन का इस्तेमाल भी बैक्टीरियल संक्रमण से कुछ हद तक बचाव कर सकता है। संक्रमण होने पर डाक्टर की सलाह से उचित एंटीबायोटिक लेना आवश्यक है। इसी तरह,रिंग वर्म यानी दांत होने पर भी एंटी-फंगल लगाया जा सकता है। बाज़ार में मिलने वाले ऐसे एंटी-फंगल उत्पादों से बचना चाहिए जो एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टेरियल होने का दावा करते हैं। स्केबीज़,खुजली या खरूज के रोगी भी इस मौसम में बहुत देखने को मिलते हैं। यह एक माइट के कारण होता है। ये रोग बहुत ही संक्रामक होते हैं जो छूने,साथ उठने-बैठने से फैल जाते हैं। इसमें रात के समय खुजली होती है। बगल,जांघ,पेट व अंगुलियों के बीच लाल दाने बनते हैं जो बहुत ज्यादा खुजली पैदा करते हैं। इसके इलाज़ के लिए परमेथ्रिन नामक दवा पूरे शरीर पर लगानी होती है जिसे न सिर्फ मरीज़ बल्कि उसके साथ रहने वाले सभी लोगों को लगाना होता है। बारिश में मच्छर और घास के कीड़े बहुत हो जाते हैं। कुछ बच्चों को इनके काटने पर लाल दाने बन जाते हैं। ऐसे बच्चों को पूरी बांह के कपड़े पहनाना चाहिए। मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए। घास में खेलने जाते समय और जानवरों के पास जाते समय कीड़ों से बचाव करने का विशेष ध्यान रखना चाहिए। रोगों के अतिरिक्त भी,बारिश में चमड़ी और बालों की देखभाल में तोड़ा परिवर्तन आवश्यक है। चेहरा धोने के लिए साबुनरहित क्लेंजर अच्छे होते हैं। इनसे दिन भर में कम से कम दो बार चेहरा धोना चाहिए। मॉइश्चराइजर,बॉडी लोशन एवं तेल की मालिश से बचना चाहिए। चेहरे पर त्वचा यदि ज़्यादा सूखी हो,तो बार-बार चेहरा धोने से बचें और वॉटर-बेस्ड मॉइश्चराइज़र का उपयोग करें। जिन लोगों की त्वचा धूप से सेंसेटिव हैं,उन्हें बारिश के मौसम में भी सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करना चाहिए। इस मौसम के लिए कम एसपीएफ वाली सनस्क्रीन चुनी जा सकती है। बालों के लिए रोज़ शैम्पू करना अच्छा होता है। तेल एवं अन्य उत्पादों का उपयोग बारिश में कम से कम करें। कोई अन्य कंडीशनर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। बारिश में भीग जाने पर जल्द से जल्द शैम्पू से बाल धो लेने चाहिए। इस मौसम में टोपी लगाने या बालों को ज़्यादा देर ढंककर रखने से बचना चाहिए। इस तरह की छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर इस मौसम में अपनी त्वचा को स्वस्थ रखा जा सकता है(डॉ. एस. के. नारंग,सेहत,नई दुनिया,अगस्त प्रथमांक 2011)।

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपने बिल्कुल सही समय पर सही सलाह दी है।
    खाल की बीमारियां आज आम हैं और बरसात की वजह से तो ये बहुत बढ़ गई हैं। खाल अच्छी हो तो उस पर राखी और भी अच्छी लगती है लेकिन आज कल राखी में भी इतने केमिकल लगे होते हैं कि वह भी खाल को नुक्सान पहुंचाते हैं।
    सादा धागा ज़्यादा बेहतर है।

    हमारी शांति, हमारा विकास और हमारी सुरक्षा आपस में एक दूसरे पर शक करने में नहीं है बल्कि एक दूसरे पर विश्वास करने में है।
    राखी का त्यौहार भाई के प्रति बहन के इसी विश्वास को दर्शाता है।
    भाई को भी अपनी बहन पर विश्वास होता है कि वह भी अपने भाई के विश्वास को भंग करने वाला कोई काम नहीं करेगी।
    यह विश्वास ही हमारी पूंजी है।
    यही विश्वास इंसान को इंसान से और इंसान को ख़ुदा से, ईश्वर से जोड़ता है।
    जो तोड़ता है वह शैतान है। यही उसकी पहचान है। त्यौहारों के रूप को विकृत करना भी इसी का काम है। शैतान दिमाग़ लोग त्यौहारों को आडंबर में इसीलिए बदल देते हैं ताकि सभी लोग आपस में ढंग से जुड़ न पाएं क्योंकि जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उसी दिन ज़मीन से शैतानियत का राज ख़त्म हो जाएगा।
    इसी शैतान से बहनों को ख़तरा होता है और ये राक्षस और शैतान अपने विचार और कर्म से होते हैं लेकिन शक्ल-सूरत से इंसान ही होते हैं।
    राखी का त्यौहार हमें याद दिलाता है कि हमारे दरम्यान ऐसे शैतान भी मौजूद हैं जिनसे हमारी बहनों की मर्यादा को ख़तरा है।
    बहनों के लिए एक सुरक्षित समाज का निर्माण ही हम सब भाईयों की असल ज़िम्मेदारी है, हम सभी भाईयों की, हम चाहे किसी भी वर्ग से क्यों न हों ?
    हुमायूं और रानी कर्मावती का क़िस्सा हमें यही याद दिलाता है।

    रक्षाबंधन के पर्व पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं...

    देखिये
    हुमायूं और रानी कर्मावती का क़िस्सा और राखी का मर्म

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  2. त्वचा की देखभाल से सम्बंधित सही काम की बातें बताई हैं .

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  3. अच्छी जानकारी बहुत काम की बात वह भी मुफ्त, आभार.......

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  4. बेहद उपयोगी जानकारी।

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  5. बहुत ज़रूरी है। बंगाल में तो वैसे ही पसीना बहुत आता है।

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  6. प्रस्‍तुति पैराग्राफ में हो तो अधिक सुविधाजनक, पठनीय होगी.

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  7. बहुत उम्दा एवं आवश्यक जानकारी.

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  8. स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और ढेर सारी बधाईयां

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