गुरुवार, 11 अगस्त 2011

हेयर ट्रांसप्लांट दिलाता है गंजेपन से छुटकारा

सौरव गांगुली, हर्षा भोगले और शेन वार्न में क्या समानता है? ज़ाहिर है तीनों क्रिकेट से जुड़े हैं! लेकिन इसके अलावा सभी बाल की समस्या से परेशान रहे हैं और मज़े की बात यह कि इन्होंने हेयर ट्रांसप्लांट से अपनी खोई खूबसूरती वापस पा ली हैं। ट्रांसप्लांट से पहले और बाद के उनके बालों में फर्क करना कठिन है। उनके बाल पहले की तरह घने और सुंदर हो गए हैं। हेयर ट्रांसप्लांट का चलन नया नहीं है। इसमें सिर के अन्य हिस्सों (डोनर साइट) जैसे कि सिर के पीछे और बगल के हिस्सों से हेयर फॉलिकल्स लेकर गंजे हिस्सों में लगाया जाता है। परंतु ट्रांसप्लांट की आधुनिक तकनीक पुरानी तकनीक से परिणाम के दृष्टिकोण से बहुत प्रभावी है। इसमें बेहद आधुनिकता के साथ उपचार होता है और मरीज़ के लिए संतोषप्रद परिणाम साफ नज़र आते हैं। ये हैं तकनीकें फॉलिक्युलर यूनिट हेयर ट्रांसप्लांटेशन (एफयूएचटी), फॉलिक्युलर यूनिट से परेशान एक्सट्रैक्शन (एफयूएएई) और बॉडी यूनिट हेयर ट्रांसप्लांटेशन (बीएचटी)। एफयूएचटी एक शल्य प्रक्रिया है। इसमें स्थायी डोनर एरिया से सिर की बाल वाली पट्टी निकाल ली जाती है। पट्टी का जख़्म भरने के लिए सर्जिकल स्टेपल इस्तेमाल किए जाते हैं, जो बाद में खुद घुल जाते हैं। इसके बाद बड़ी की गई पट्टी से एक-एक फॉलिक्युलर यूनिट ग्राफ्ट को विभाजित (डायसेक्ट) कर दिया जाता है। इस बीच सिर के गंजे हिस्से पर बारीक चीरे लगाए जाते हैं जिनमें निकाले गए फॉलिकल्स को लगा (ग्राफ्ट कर) दिया जाता है। चूँकि काम उस्तरे से होता है इसलिए लोकल एनेस्थेसिया दिया जाता है। चीरे भरने में करीब एक सप्ताह लग जाता है और ट्रांसप्लांट की गई हेयर फॉलिक्युलर यूनिट को उनके नए स्थान पर अच्छी तरह "लॉक" कर दिया जाता है। ट्रांसप्लांटेशन की इस तकनीक के शानदार नतीजे दिखते हैं। उगने वाले नए बाल बुढ़ापे तक साथ देते हैं। नए बाल प्राकृतिक हैं लिहाजा सधे हुए हेयर स्टाइलिस्ट भी कोई फर्क नहीं कर पाते हैं। दूसरा उपचार है एफयूएसई। इसमें टाँके नहीं लगते और बहुत कम शल्य प्रक्रिया की ज़रूरत पड़ती है। यह सुरक्षित है और इसमें एक-एक हेयर फॉलिक्युलर यूनिट को निकाले जाने का भय नहीं है। इसमें ग्राफ्ट वाली त्वचा को एक स्तर तक सूक्ष्म लेकिन तेज़ माइक्रो पंचेज से अलग किया जाता है। इसके बाद एक-एक फॉलिक्युलर यूनिट को अलग किया जाता है। अंत में,फॉलिक्युलर यूनिट को ग्राहक बाल्ड एरिया में बड़ी नर्मी से लगा दिया जाता है। आधुनिक तकनीकों द्वारा उपचार के कारण भर्ती नहीं होना पड़ता है। मरीज़ उपचार के दिन ही वापस घर जा सकता है। कुछ मामलों में मरीज़ के सिर पर इतने बाल नहीं होते कि ट्रांसप्लांट पर विचार किया जा सके पर उनके शरीर पर पर्याप्त बाल होते हैं। इन मामलों में हेयर ट्रांसप्लांट की दूसरी तकनीक-बीएचटी कामयाब है। इसमें सिर के अलावा अन्य डोनर साइट जैसे कि छाती,दाढ़ी,कांख,टांग आदि से हेयर फॉलिकल्स लेकर सिर के गंजे हिस्से पर लगा दिए जाते हैं। इस उपचार से पुनः भरपूर घने बाल उगने के प्रमाण हैं। किसी सर्जरी की तरह ट्रांसप्लांट के बाद कुछ काम करने और कुछ खास नहीं करने की ख़ास हिदायतें दी जाती हैं। ट्रांसप्लांट के बाद कई दिनों तक बहुत आराम से बालों और सिर को धोने की हिदायत दी जाती है। यह काम हल्के या बेबी शैम्पू से किया जाना चाहिए। इस बीच,नियमित रूप से चिकित्सक से मिलते रहना भी ज़रूरी है। ये तकनीकें बहुत आधुनिक हैं और अच्छे हेयर क्लिनिक में उपलब्ध हैं। आजकल कई झोलाछाप डॉक्टर भी बेहद कम दाम पर यह उपचार कर रहे हैं लेकिन ये संदिग्ध हैं। इनसे बाल उगने की बात तो दूर,मरीज़ों को ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है। इसलिए,मरीज़ों के लिए यही उपयुक्त होगा कि वे केवल प्रशिक्षित हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन के हाथों किसी विश्वस्त क्लिनिक में यह उपचार करवाएं जो आधुनिक हों और जहां स्वास्थ्यकर परिवेश में ट्रांसप्लांट किया जाए। हम सभी घने बालों की अहमियत समझते हैं। इससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। लोगों पर आपका अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए,यदि आप सौरभ गांगुली या शेन वार्न की तरह मीडिया की सुर्खियों में रहते हैं या किसी अन्य प्रोफेशन में हैं तो आप हेयर ट्रांसप्लांट की इन कारगर तकनीकों से अपने गंजेपन से छुटकारा पा सकते हैं(डॉ. अरविंद पोसवाल,सेहत,नई दुनिया,अगस्त प्रथमांक 2011)।

9 टिप्‍पणियां:

  1. nyi jankari ke liyen shukriya shayd bl;ogign me ab koi gnja nahin rahe ...akhtar khan akela kota rajsthan

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  2. हेयर ट्रांसप्लांट के बारे में काफी कुछ जाना आभार ...

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  3. खर्चा कितना आता है , यह भी बताएं । सोचता हूँ दो चार बाल हम भी ट्रांसप्लांट करा लें ।

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  4. अच्छी जानकारी। छोटे शहरों में यह तकनीक अभी सुलभ नहीं।

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