गाय के घी के सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। क्योंकि इसमें वैक्सीन एसिड, ब्यूट्रिक एसिड, बीटा-कैरोटीन जैसे माइक्रोन्यूट्रींस मौजूद होते हैं।
इन माइक्रोन्यूट्रींस में शरीर में उत्पन्न कैंसरीयस तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है। यह खुलासा हरियाणा के करनाल स्थित नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्ययन में हुआ है। जिसके मुताबिक शरीर में जमा होने वाला अनसेचुरेटेड फैट कैंसरीयस तत्व उत्पन्न करता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के ताजा अंक में इसे प्रकाशित किया गया है।
ऐसे किया गया अध्ययन :
21 दिन की उम्र के तीस-तीस चूहों के दो समूहों में खास तरह के रासायनिक तत्व की मदद से कैंसर उत्पन्न किया गया। विशेषज्ञों की टीम ने ४४ हफ्तों तक इन चूहों के एक समूह को शारीरिक वजन के हिसाब से गाय के घी से तैयार भोजन दिया, जबकि दूसरे समूह को सोयाबीन ऑयल युक्त भोजन दिया गया।
पाया गया कि जिन चूहों के समूह को सोयाबीन ऑयल युक्त भोजन दिया गया, उनमें ट्यूमर (कैंसरीयस) की मात्रा दूसरे समूह की अपेक्षा ज्यादा है। इन चूहों में 23 हफ्ते के अंदर ट्यूमर बनने लगा था, जबकि गाय के घी का सेवन कर रहे चूहों में 27 हफ्ते का समय लगा।
अध्ययन के दौरान सोयाबीन ऑयल युक्त भोजन लेने वाले चूहों में से कई की मौत भी हो गई।
टीम के मुताबिक मेमोरी ग्लैंड के निर्माण के समय सोयाबीन ऑयल की अपेक्षा गाय का घी खाने वाले चूहों में कैंसर होने की आशंका 39 फीसदी तक कम पाई गई। गौरतलब है कि देश में जीवनशैली के पश्चिमीकरण होने की वजह से चिकनाइयुक्त खाद्य पदार्थो का प्रचलन काफी बढ़ गया है।
बीते एक दशक में सीने व मुंह का कैंसर बहुत तेजी से फैला है। एम्स के कैंसर विभाग के प्रमुख डॉ. जीके रथ कहते हैं कि भारत में प्रति वर्ष कैंसर के नौ लाख नए मरीज सामने आ रहे हैं(धनंजय कुमार,दैनिक भास्कर,दिल्ली,12.6.11)।
टीम के मुताबिक मेमोरी ग्लैंड के निर्माण के समय सोयाबीन ऑयल की अपेक्षा गाय का घी खाने वाले चूहों में कैंसर होने की आशंका 39 फीसदी तक कम पाई गई। गौरतलब है कि देश में जीवनशैली के पश्चिमीकरण होने की वजह से चिकनाइयुक्त खाद्य पदार्थो का प्रचलन काफी बढ़ गया है।
बीते एक दशक में सीने व मुंह का कैंसर बहुत तेजी से फैला है। एम्स के कैंसर विभाग के प्रमुख डॉ. जीके रथ कहते हैं कि भारत में प्रति वर्ष कैंसर के नौ लाख नए मरीज सामने आ रहे हैं(धनंजय कुमार,दैनिक भास्कर,दिल्ली,12.6.11)।
देसी गाय के घी की ही वकालत करते थे स्व०राजीव दीक्षित जी और रामदेव जी तो हमेशा से करते आये हैं.
जवाब देंहटाएं४०० रूपये प्रति किलो NDRI करनाल से उनका अपना तैयार किया घी भी मिल जाता है मै अपने घर के लिए लाता हूँ ये पोस्ट पढ़ कर अच्छा लगा कि मै कम से कम एक चीज़ तो शुद्ध १००% खाता हूँ
जवाब देंहटाएंआपने भी अच्छी बात बतायी है।
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी। गौ-दुग्ध तथा इससे बनने वाले खाद्यों के गुणों को भारतीय मनीषि वर्षों से बताते आये हैं। यह शोध इस ज्ञान पर मुहर लगाता है।
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