हमारे देश की जलवायु गर्म है, इस कारण गर्मी के मौसम में घमौरियों की समस्या बेहद आम हो जाती है। इसकी एक वजह यह है कि अब हमारे पहनावे में सिंथेटिक फैब्रिक से बने वस्त्र ज्यादा शामिल हो गए हैं। इस कारण भी पसीना सूख नहीं पाता और घमौरियां बनी रहती हैं।
कब निकलता है पसीना: स्वस्थ शरीर के भीतर का तापमान 36.6 सेंटीग्रेड होना चाहिए। इस तापमान को बनाए रखने में पसीना महत्ती भूमिका निभाता है। जब बाहर का तापमान ज्यादा होता है, तब त्वचा के नीचे स्थित स्वेद ग्रंथियों से पसीना निकलता है। त्वचा की सतह पर पहुंच उसका वाष्पीकरण होता है। इस तरह शरीर को ठंडक मिलती है। जब तापमान ज्यादा होता है, तो शरीर से ज्यादा पसीना निकलता है। ऐसे में सिथेंटिक कपड़े पसीने को वाष्प में बदलने नहीं देते और वह फंस जाता है, जिसकी परिणति घमौरियों के रूप में होती है।
घमौरियों की समस्या: घमौरियां अमूमन शरीर के उन स्थानों पर निकलती हैं, जहां स्वेद ग्रंथियां बंद होती हैं या जहां का पसीना सूख नहीं पाता है। इनमें खुजली होने लगती है, जो खुजाने पर और बढ़ती जाती है। हालांकि कई टेल्कम पाउडर दावा करते हैं कि उनके इस्तेमाल से घमौरियां ठीक हो जाती हैं, लेकिन स्थिति इसके उलट है।
इन बातों का रखें ध्यान
सीधी धूप से बचें। ढीले सूती वस्त्र या सूती मिक्स फैब्रिक वाली पोशाक को तरजीह दें। खुजली कम करने के लिए एंटीहिस्टेमाइन का हल्की मात्रा में इस्तेमाल करें। क्रीम या टेल्कम पाउडर के इस्तेमाल से पसीना लाने वाली ग्रंथियां बंद होती हैं। दिन में दो-तीन बार नहाएं। नहाने के पानी में कुछ बूंदे सोडियम बायकाबरेनेट की डालें। यह प्रक्रिया घमौरियां ठीक हो जाने तक अमल में लाएं। ट्रायक्लोरहैक्सिडाइन युक्त साबुन का इस्तेमाल करें। साबुन सीधे त्वचा पर नहीं लगाएं, मुलायम स्पंज या हर्बल स्क्रबर के जरिए लगाएं। अगर घमौरियां लाल या मवाद युक्त हो जाएं, यदि तापमान लगातार बढ़ता रहे, वातावरण में आद्रता बढ़े और घमौरियां कम नहीं हों, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
दिखावे पर न जाएं..: टेल्कम पाउडर को बनाने में जिंक स्टीयरेट और सिलिकेट्स के बारीक पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है। इस कारण ये स्वेद ग्रंथियों का मुंह बंद कर देते हैं। इससे पसीना बाहर नहीं निकल पाता है। पाउडर के कण बेहद बारीक होते हैं और वे सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और निमोनिया समेत जलन या सूजन का कारण भी बनते हैं। कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों में तो टेल्कम पाउडर और कैंसर के बीच भी संबंध पाया गया है। घमौरियों को खत्म करने वाले टेल्कम पाउडर के कई विज्ञापन छोटे परदे पर छाए रहते हैं, लेकिन वह न तो इसमें आराम पहुंचाते हैं और न ही घमौरियां होने से रोकते हैं। सच तो यह है कि इसके अलावा ये अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी जन्म देते हैं(दैनिक भास्कर,जयपुर,10.6.11)।
दिखावे पर न जाएं..: टेल्कम पाउडर को बनाने में जिंक स्टीयरेट और सिलिकेट्स के बारीक पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है। इस कारण ये स्वेद ग्रंथियों का मुंह बंद कर देते हैं। इससे पसीना बाहर नहीं निकल पाता है। पाउडर के कण बेहद बारीक होते हैं और वे सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और निमोनिया समेत जलन या सूजन का कारण भी बनते हैं। कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों में तो टेल्कम पाउडर और कैंसर के बीच भी संबंध पाया गया है। घमौरियों को खत्म करने वाले टेल्कम पाउडर के कई विज्ञापन छोटे परदे पर छाए रहते हैं, लेकिन वह न तो इसमें आराम पहुंचाते हैं और न ही घमौरियां होने से रोकते हैं। सच तो यह है कि इसके अलावा ये अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी जन्म देते हैं(दैनिक भास्कर,जयपुर,10.6.11)।
मैं तो इनका बिल्कुल इस्तेमाल नहीं करता.
जवाब देंहटाएंगर्मी से बचने के लिए तो काफी कुछ करना ही पड़ता है लोगों को... बढ़िया जानकारी...
जवाब देंहटाएंवैसे बचपन में घमौरियां होती थी, अब तो नहीं होती, क्यों कि ज्यादा धूप में घूमना नहीं होता.
जवाब देंहटाएंहाला कि मैंने बचपन में ज़रूर इन पाउडरों का इस्तेमाल किया है और मुझे लाभ भी पहुंचा है....उस समय nycil नाम का पाउडर आता था...
आज कल तो पता नहीं किस किस नाम से आ रहे हैं .
Nycil powder is best in ghamoriya
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