बुधवार, 29 जून 2011

चटोरापन

कहते हैं कम खाने से बीमार होने की आशंका न्यूनतम होती है लेकिन अधिक खा कर बीमार होने की संभावना १०० प्रतिशत होती है। देश में अधिक खाकर बीमार पड़ने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। भोजन का सेहत से सीधा संबंध रहा है। आयुर्वेद ने हमेशा पेट को भूख से कुछ कम भरने की हिमायत की है। इसकी वजह भी यही है। आज चटोरेपन की लत पर शोध हो रहे हैं, कम खाने की सलाहें दी जा रही हैं। लेकिन हमारे धर्मों में पहले ही उपवास की सार्थकता सिद्ध हो चुकी है। एक चौथाई पेट को खाली रखने से सेहत पर जो भी फायदे होंगे लेकिन इतना तो तय है कि इससे आप बीमार नहीं पड़ेंगे।

चटपटा जंक फूड खाने की लत किसी भी नशे की लत की तरह होती है, जो हमेशा बढ़ती ही जाती है। मसालों की भोजन में उपस्थिति सेहत की दृष्टि से उपयोगी हो सकती है लेकिन इसकी अति पेट खराब ही करेगी। मिठाईयों के प्रति आसक्ति रखने वालों को किसी कलाकंद या जलेबी से वैसी ही "किक"मिलती है, जैसी नशेड़ी को भांग के गोले से मिलती होगी। जिस तरह नशेड़ी नशे की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाता रहता है उसी तरह मीठा खाने वाले भी "कम" से संतुष्ट नहीं होते। उन्हें बार-बार मीठा खाने के लिए चाहिए।

इसी तरह,मीठे की मात्रा भी औरों से अधिक चाहिए। यही बीमारी की जड़ है। इससे छुटकारा तभी संभव है,जब मरीज अपने आप संयम रखने का अभ्यास करे। सप्ताह में एक बार उपवास का प्रावधान शायद इसीलिए किया गया है।

जंक फूड की लत की सबसे अधिक शिकार युवा पीढ़ी हो रही है। कम उम्र में मधुमेह होने के मामले बीते कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़े हैं। कम उम्र में मधुमेह के रूप में चटोरेपन का खामियाजा समाज भुगत रहा है। कम उम्र में दिल का रोग भी इसी जीवनशैली का नतीज़ा है।



न्यूरोलॉजिस्ट मानते हैं कि भोजन करते समय आपका ध्यान केवल इसी पर केंद्रित होना चाहिए। इससे मस्तिष्क शरीर की ज़रूरत पूरी होते ही संतुष्टि का सिगनल भेज देगा और आप थाली से उठ जाएंगे। चटोरेपन से जंकफूड खाते समय आपका ध्यान कहीं और होता है,इसलिए मस्तिष्क संतुष्टि के भाव का सिग्नल समय रहते भेज ही नहीं पाता।

मोटापा,मधुमेह और दिल की बीमारियों के सूत्र एक साथ चटोरेपन से ही बंधे हैं। संयमित और संतुलित भोजन की आदत डालें। इसमें योग और ध्यान आपकी मदद कर सकता है(संपादकीय,सेहत,नई दुनिया,जून चतुर्थांक,2011)

6 टिप्‍पणियां:

  1. @लेकिन हमारे धर्मों में पहले ही उपवास की सार्थकता सिद्ध हो चुकी है। एक चौथाई पेट को खाली रखने से सेहत पर जो भी फायदे होंगे लेकिन इतना तो तय है कि इससे आप बीमार नहीं पड़ेंगे।

    आहार परिमाण से एक रोटी कम खाना बहुत ही फायदेमंद है। 1-आपकी सेहत सामान्य रहती है। 2-आपको संयम का परिक्षण मिल जाता है। 3-आहार का बचना, यानि भूखे तक भोजन सहज पहूंचना।

    @न्यूरोलॉजिस्ट मानते हैं कि भोजन करते समय आपका ध्यान केवल इसी पर केंद्रित होना चाहिए। इससे मस्तिष्क शरीर की ज़रूरत पूरी होते ही संतुष्टि का सिगनल भेज देगा और आप थाली से उठ जाएंगे।

    इसीलिए ज्ञानी कहते है। भोजन के वक्त मौन रहना चाहिए। भागमभाग की जिन्दगी में आज बात करने का अवसर डाईनिंग टेबल पर ही मिलता है। यह परिवार की सेहत के लिये खतरनाक है।

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  2. आपके इस लेख की वजह से मुझे आज पाव-भाजी छोडनी पडी :)

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  3. हमारे यहाँ चटोरापन कहते हैं जहाँ घर का सामान्य खाना छोड़ बाहर का खट्टा मीठा या चटपटा खाना खाया जाए ।
    निश्चित ही यह जंक फ़ूड हानिकारक हो सकता है ।

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  4. बहुत अच्छी.. सचेत करती पोस्ट......

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  5. मं भी बहुत चटोर हूं। अब संभल कर रहूंगा।

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  6. इस चटोरी जीभ की वजह से
    बेचारे शरीर को बहुत कुछ झेलना
    पड़ता है और मनको भी !
    कहते है ना जैसा अन्न वैसा मन !

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