सोमवार, 13 जून 2011

रजोनिवृत्ति और हॉट फ्लैशेज

हॉट फ्लेशेज महिलाओं के शरीर में होने वाले हारमोनल परिवर्तनों का सूचक होते हैं। यह समस्या रजोनिवृत्ति के आसपास महिलाओं में आमतौर पर देखी जाती हैं। शरीर के ऊपरी हिस्से में अचानक से गर्मी महसूस होने लगती है। हॉट फ्लेशेज में कुछ देर के लिए असहज रूप से गर्मी लगने लगती है। 

रजोनिवृत्ति के बाद शरीर में इस्ट्रोजन नामक हारमोन का निर्माण कम मात्रा में एवं अनियमित हो जाता है। यही हॉट फ्लेशेज का कारण होता है। एशियाई महिलाओं में हॉट फ्लेशेज की आवृत्ति कम होती है। इसका श्रेय उनके खान-पान को दिया जाता है, जो फाइटो-इस्ट्रोजन्स (वनस्पति इस्ट्रोजन) से भरपूर होता है। कम उम्र की वे महिलाएँ, जिनमें शल्य चिकित्साजन्य रजोनिवृत्ति होती है, उन्हें हॉट फ्लेशेज की समस्या ज्यादा सताती है। ऐसी महिलाओं में यह परेशानी रजोनिवृत्ति की सामान्य उम्र आने तक बनी रहती है।

हॉट फ्लेशेज में अचानक ही तेज गर्मी लगने लगती है, जिससे पसीना आता है और कई बार दिल की धड़कन भी तेज हो जाती है। हर आवृत्ति पर यह स्थिति २ से १० मिनट तक रहती है। हॉट फ्लेशेज की शुरुआत चेहरे पर गर्मी महसूस होने के साथ होती है। इसका पैटर्न हर किसी में अलग-अलग होता है। हो सकता है कि चेहरे के साथ सीने में भी गर्मी लगने लगे या फिर चेहरे और सीने में होने वाला गर्मी का एहसास पूरे शरीर में ही महसूस होने लगे। अंदर से गर्मी लगने के साथ त्वचा पर लालपन दिखाई देता है, छूने पर त्वचा गरम भी गलती है। इसी वजह से इस स्थिति को "हॉट फ्लश" नाम दिया गया है।

कुछ महिलाएँ हफ्ते में कभी-कभी हॉट फ्लेशेज महसूस करती हैं तो कुछ एक ही दिन में कई बार, इसकी आवृत्ति समय बीतने के साथ कम होने लगती है। रजोनिवृत्ति के पहले या इसके बाद की स्थिति में ही ज्यादातर हॉट फ्लेशेज आने की शुरुआत होती है। कभी-कभी रजोनिवृत्ति शुरू होने के कई सालों पहले से ही हॉट फ्लेशेज आने लगते हैं और रजोनिवृत्ति के कई सालों बाद तक आते रहते हैं। कुछ महिलाएँ ऐसी भी होती हैं, जिन्हें कभी हॉट फ्लेशेज की समस्या होती ही नहीं है, वहीं कुछ को यह काफी हल्के और अनियमित रूप से आते हैं।

इलाज...
-चाय और कॉफी जैसे गर्म तासीर वाले पेय पदार्थ बिलकुल बंद कर दें या कम से कम मात्रा में लें।
-तेज मिर्च-मसाले वाला खाना, चॉकलेट और अल्कोहल से दूर रहें।
-गरम वातावरण में न रहें।
-सूत से बने हल्के और आरामदायक कपड़े पहनें। सिंथेटिक और तंग फिटिंग वाले कपड़े नहीं पहनें।
-ठंडे पानी से नहाएँ।
-एक मिनट में ६-८ बार गहरी व लंबी साँस लें।

व्यायामः पैदल चलने, तैरने और साइकलिंग जैसे व्यायाम प्रतिदिन कम से कम ३० मिनट के लिए जरूर करें।
-कुछ देर आराम करने के लिए संगीत सुनें या ध्यान-योग करें।
-खानपान में परिवर्तन से भी हॉट फ्लेशेज में राहत मिल सकती है। सोया उत्पादों को आहार में शामिल करने के कई फायदे हैं, जिनमें हॉट फ्लेशेज और रजोनिवृत्ति के अन्य कष्टकर लक्षणों से बचाव भी शामिल हैं।
-यह सब करने के बाद भी यदि हॉट फ्लेशेज और नाइट स्वेट आना बंद न हो या थोड़ी सी भी राहत न मिले तो चिकित्सक से परामर्श लें(नई दुनिया,जून प्रथमांक 2011)।

1 टिप्पणी:

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।