बुधवार, 1 जून 2011

उत्तर भारत में पहली बारःगंगाराम अस्पताल में हुआ हृदय प्रत्यारोपण

दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम ने एक महिला मरीज के हृदय प्रत्यारोपण में सफलता प्राप्त की है। पचास डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की टीम ने लगातार दस घंटे तक ऑपरेशन कर यह कामयाबी हासिल की।

गंगाराम अस्पताल प्रशासन ने दावा किया है कि उत्तर भारत में किसी भी निजी अस्पताल में हृदय प्रत्यारोपण करने का यह पहला मामला है।

सर्जरी टीम के प्रमुख डॉ. डीएस राणा ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली के बलजीत नगर की रहने वाली सुनीता (44) को सांस लेने में दिक्कत महसूस होने के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था।

शुरुआती जांचों में उसके हृदय में खामियां होने की बात सामने आई। इस पर डॉक्टरों ने उसका हृदय प्रत्यारोपित करने का निर्णय लिया। संयोग से सुनीता के ब्लड ग्रुप का ही एक कैडावोर भी मिल गया।

डॉ. राणा ने बताया कि इस जटिल सर्जरी को करने के लिए चार ऑपरेशन थिएटरों का प्रयोग किया गया। इसके अलावा, बीस यूनिट खून इस्तेमाल किया गया और पूरी सर्जरी में 17-18 लाख रुपए का खर्च आया।

चूंकि, मरीज गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है, इसलिए अस्पताल प्रशासन ने उसकी सर्जरी का पूरा खर्चा वहन किया है। फिलहाल, सुनीता को किसी भी प्रकार की पोस्ट सर्जरी जटिलता नहीं है।

इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक डॉ. आरके श्रीवास्तव ने कहा कि पूरे देश में अब तक 100 मरीजों का हृदय प्रत्यारोपण किया गया है।

इनमें से 27 सर्जरी एम्स में संपन्न हुई हैं। दिल्ली में ही स्थित आर्मी के आरआर हॉस्पिटल में भी एक मरीज का हृदय प्रत्यारोपण किया जा चुका है।

चालीस अस्पतालों की बनी चेन
डॉ. आरके श्रीवास्तव ने बताया कि आर्गेन ट्रांसप्लांट को बढ़ावा देने के लिए 40 अस्पतालों की एक चेन बनाई गई है। इनमें अंग प्रत्यारोपण से संबंधित तमाम सूचनाओं के आदान-प्रदान की व्यवस्था की गई है।

इसके जरिए चेन में शामिल सभी अस्पताल प्रशासकों को यह पता लग सकेगा कि किस अस्पताल में कितने कैडावोर ने पंजीकरण करवाया है और किस अस्पताल में कितने मरीजों को किस प्रकार के अंग की जरूरत है। इस व्यवस्था के बाद मरीजों को विभिन्न अस्पतालों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे(दैनिक भास्कर,दिल्ली,1.6.11)।

3 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!
    बहुत अच्छी खबर है। एक ग़रीब की ज़िन्दगी बिना किसी व्यय के बचाने के लिए अस्पताल की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है।
    विज्ञान के साथ मानवता की भी मिसाल है यह।

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  2. अच्छी शुरुआत है । आगे भी उम्मीद है कि और तरक्की होगी ।

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