गैर-कामकाजी गर्भवती महिलाएं अपना और बच्चे का ख्याल अब और बेहतर ढंग से रख सकेंगी। केंद्र सरकार का सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय जल्द ही गर्भवती महिलाओं के लिए इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना शुरू करने जा रहा है। इसके तहत मंत्रालय उन सभी गर्भवती महिलाओं को पोषक खुराक के लिए चार हजार रुपए की आर्थिक मदद देगा जो सरकारी या निजी क्षेत्रों में नौकरीपेशा नहीं हैं।
इसके लिए देश के 35 राज्यों के 52 जिलों में जानकारियां जुटाने के लिए पहली बार पायलट सर्वे किया गया है। इसके तहत 6 माह की गर्भवती महिलाओं को सेहत का अंतिम महीनों में ख्याल रखने के लिए खुराक के लिए 4 हजार रु. दिए जाएंगे।
ये पैसे 1500-1500 और एक हजार की तीन किश्तों में दिए जाएंगे। इसमें नौकरीपेशा की शर्त के अलावा कोई ज्यादा मापदंड पात्रता के लिए नहीं रखे गए हैं। 19 साल से ऊपर की महिला इस योजना का लाभ ले सकेंगी। पात्र महिलाओं की पहचान उनके नजदीक स्वास्थ्य केंद्र की ओर से करके विभाग को भेजी जाएगी।
दो बच्चों तक मिलेगा फायदा
कोई भी महिला इस योजना का लाभ दो प्रेग्नेंसी में ही ले सकेगी। यानी दो बच्चों पर लेकिन अगर किसी के जुड़वां बच्चे होंगे तो उसे केवल एक बार ही यह लाभ मिलेगा। योजना में सभी राज्यों से डाटा आने के बाद इसमें कुछ फेरबदल भी किया जा सकता है।
मृत्यु दर कम करना है मकसद
दरअसल मंत्रालय का इस योजना को शुरू करने का मकसद गर्भवती महिलाओं और बच्चों की मृत्युदर कम करना है। अक्सर देखा जाता है कि गर्भवती महिलाएं प्रेग्नेंसी में भी घर चलाने के लिए काम करती रहती हैं। इस अवस्था में पैसे की तंगी के कारण भी अंतिम दिनों में वह अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखतीं, जिसका बच्चे के जन्म पर बुरा असर पड़ता है। इसी खामी को यह योजना काफी हद तक दूर करके मां-बच्चे की सेहत का ख्याल रखेगी(अनिल शर्मा,दैनिक भास्कर,हमीरपुर,10.5.11)।
दो बच्चों तक मिलेगा फायदा
कोई भी महिला इस योजना का लाभ दो प्रेग्नेंसी में ही ले सकेगी। यानी दो बच्चों पर लेकिन अगर किसी के जुड़वां बच्चे होंगे तो उसे केवल एक बार ही यह लाभ मिलेगा। योजना में सभी राज्यों से डाटा आने के बाद इसमें कुछ फेरबदल भी किया जा सकता है।
मृत्यु दर कम करना है मकसद
दरअसल मंत्रालय का इस योजना को शुरू करने का मकसद गर्भवती महिलाओं और बच्चों की मृत्युदर कम करना है। अक्सर देखा जाता है कि गर्भवती महिलाएं प्रेग्नेंसी में भी घर चलाने के लिए काम करती रहती हैं। इस अवस्था में पैसे की तंगी के कारण भी अंतिम दिनों में वह अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखतीं, जिसका बच्चे के जन्म पर बुरा असर पड़ता है। इसी खामी को यह योजना काफी हद तक दूर करके मां-बच्चे की सेहत का ख्याल रखेगी(अनिल शर्मा,दैनिक भास्कर,हमीरपुर,10.5.11)।
बहुत अच्छा आइडिया है ।
जवाब देंहटाएंलेकिन यह कैसे तय करेंगे कि बच्चा दूसरा ही है ।
योजना तो अच्छी है....
जवाब देंहटाएंPahal to achchi hai.... ise theek lagu kiya jana chahiye...
जवाब देंहटाएंये एक अच्छा कदम है। निश्चित ही इसके सकारात्मक परिणाम आएंगे।
जवाब देंहटाएंबहुत कठिन है डगर पनघट की ....
जवाब देंहटाएंयह एक ख़ुशख़बरी है। सरकार ध्यान दे तो बहुत सी समस्याएं दूर हो सकती हैं, ख़ासकर वे जो कि बिना सरकार के हस्तक्षेप के दूर ही नहीं हो सकतीं। समूह के कल्याण के लिए सरकार का जागरूक होना बहुत ज़रूरी है।
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट के लिए आपका शुक्रिया ।