बुधवार, 11 मई 2011

फरीदाबाद में खुला कृत्रिम प्रजनन केंद्रःटेस्ट ट्यूब बेबी नहीं,तो पैसा वापस

निःसंतान दंपतियों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए एस्कार्ट्स फोर्टिज अस्पताल ने फरीदाबाद में ब्लूम फर्टिलिटी सेंटर खोला है। अब तक, निःसंतान दंपतियों को दिल्ली और अन्य महानगरों में जाना पड़ता था। इनफर्टिलिटी चिकित्सक डा. ऋृषिकेश पई, डा. नंदिता पालशेतकर व डा. रिशमा पई के नेतृत्व में यह सेंटर खोला गया है। इस केंद्र में सहायक प्रजनन सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी, जिनमें आईयूआई, आईबीएफ, आईसीएसआई, अंडाणु व एम्ब्रायो डोनेशन, ऊसाइट फ्रीजिंग व बैंकिंग, असिस्टड लेजर हैचिंग, आईएमएसआई और निसंतान दंपत्तियों के लिए परामर्श की सुविधा शामिल है। इस मौके पर डा. ऋृषिकेश पई ने कहा है कि अस्पताल में उनके पास काफी निःसंतान दंपत्ति संतान प्राप्ति के लिए आ रहे है। इसे ध्यान में रखते हुए ही सर्वोत्तम सुविधाओं से पूर्ण ब्लूम फर्टिलिटी केंद्र खोलने की योजना बनाई गई थी। फोर्टिज ब्लूम फर्टिलिटी केन्द्रों की वर्तमान सफलता ३५ वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में ४० से ५० प्रतिशत तक पहुंच चुकी है, जो पश्चिमी देशों की इकाईयों के समान है(नई दुनिया,दिल्ली,11.5.11)।

इस बारे में आज नई दुनिया में धनंजय जी की रिपोर्ट ज्यादा विस्तृत हैः
अमेरिका की तरह भारत में भी "शर्तिया" टेस्ट ट्यूब बेबी का युग आने ही वाला है। यानी टेस्ट ट्यूब बेबी नहीं तो पैसा वापस। टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक की सफलता के प्रतिशत में लगातार वृद्धि को देखते हुए देश के कुछ जाने माने प्रजनन विशेषज्ञ इस तरह का "पैकेज" शुरू करने पर गंभीरता से विचार करने लगे हैं।

निःसंतान दंपतियों के लिए यह पैकेज एक "जुए" की तरह होगा। इस तरह के प्रजनन संस्थान निःसंतान दंपति से करीब आधे दर्जन बार के निषेचन का पैसा एक मुश्त ले लेंगे। उतनी बारी में भी सफलता नहीं मिलने की सूरत में ही संस्थान को पैसा वापस देना पड़ेगा। हो सकता है कि किसी दंपति को पहले चक्र में ही टेस्ट ट्यूब बेबी मिल जाए, तो बाकी चक्रों का पैसा संस्थान का फायदा हुआ।

देश-विदेश के जाने माने विजिटिंग एम्ब्रियॉलॉजिस्ट (भ्रूण विशेषज्ञ) डॉ. ऋषिकेश पई ने दिल्ली में "नईदुनिया" से एक खास बातचीत में कहा कि शर्तिया टेस्ट ट्यूब बेबी का पैकेज निश्चित रूप से इस क्षेत्र में विशेषज्ञता का पैमाना है। कभी हम टेस्ट ट्यूब बेबी में १०-१५ प्रतिशत से अधिक सफलता की गारंटी नहीं दे पाते थे, लेकिन अब नई तकनीक के आ जाने से अच्छे संस्थानों में यह प्रतिशत ५० से ऊपर पहुंच गया है।

इस तरह के पैकेज के शुरू होने पर इन संस्थानों की कमाई में भी भारी इजाफा होगा। मुंबई के लीलावती अस्पताल में कृत्रिम प्रजनन तकनीक विभाग के प्रमुख डॉ. पई यहां फरीदाबाद के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में "ब्लूम फर्टिलिटी सेंटर" शुरू करने आए हुए हैं। यह संस्थान भी उन्हीं की देखरेख में चलेगा।

पूरे भारत में तकनीक की मदद से बच्चा पैदा करने वाले उत्कृष्ट संस्थान स्थापित करने की योजना पर काम कर रहे रहे डॉ. पई ने कहा कि इस विधि में पहले ९० प्रतिशत दंपतियों को निराश होना पड़ता था, लेकिन अब सफलता का प्रतिशत इतना बढ़ गया है कि इस तरह के पैकेज में फायदा ही फायदा है।

उन्होंने कहा कि हम तो वह पैकेज अभी शुरू कर दें लेकिन हिचक इस बात को लेकर है कि हम पर तिजारत करने का आरोप न लगे। उन्होंने कहा, "दिक्कत यह भी है कि मेरे प्रजनन संस्थानों में ज्यादातर दंपतियों को पहले चक्र में ही सफलता मिल रही है।" 

बहरहाल, सफलता का प्रतिशत चाहे जो भी हो गया हो पेट्री डिश में शुक्राणु और अंडे को मिलाते हुए डॉ. पई अभी भी ऊपर वाले को याद करना नहीं भूलते। उन्होंने कहा कि महिला की उम्र जितनी कम होगी, निषेचन में सफलता की संभावना उतनी बढ़ जाती है।

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