बुधवार, 25 मई 2011

नवजात में एक्जिमा

नवजात शिशुओं में अक्सर एक्ज़िमा की समस्या होती है। इसे एटोपिक डर्मेटाइटिस कहा जाता है, जो कभी-कभी गाय के दूध से होती है। वैसे इस नवजात शिशुओं को माता का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है, लेकिन किन्हीं परिस्थितियों में गाय भैंस अथवा बकरी का दूध भी मजबूरीवश पिलाना पड़ता है। नवजात शिशुओं को एक्ज़िमा विभिन्ना एलर्जीकारक तत्वों के संपर्क में आने से होता है। यह समस्या कई बार वंशानुगत होती है। प्रभावित बच्चों में इसके लक्षण बचपन से ही देखे जा सकते हैं। इसकी शुरुआत केवल तीन माह की उम्र से भी हो सकती है।

कारक

एक साल की उम्र के बच्चों में खाद्य पदार्थों से एलर्जी एटोपिक डर्मेटाइटिस का बड़ा कारण होती है। हालाँकि यह वयस्कों को प्रभावित नहीं करती।

गाय का दूध, मुर्गी के अंडे और मूँगफली जैसे खाद्य पदार्थों से प्रभावित लोगों की स्थिति बिगड़ सकती है।

प्रभावित बच्चों और वयस्कों में घर में जमी धूल में पनपने वाले कीड़ों (डस्ट स्माइट्स) से भी यह बढ़ता है।

कुत्ते और बिल्ली जैसे फर वाले पालतु जानवरों का घर में होना भी एक बड़ा कारण हो सकता है।

कुछ बैक्टीरिया के कारण अचानक, गंभीर रूप से भड़क सकता है।

कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस अधिकतर इससे प्रभावित होने वाले वयस्क ही होते हैं। कुछ रसायनिक पदार्थों और त्वचा के संपर्क में आने पर व्यक्ति में कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस की शुरुआत हो जाती है और २४ घंटों के भीतर ही यह बढ़ जाता है।

दो तरह का होता है

एलर्जिक एक्जिमा : जब त्वचा किसी चीज़ के प्रति संवेदनशील हो जाती है और आगे चलकर उस चीज़ से दोबारा संपर्क में आने पर एलर्जी के कारण त्वचा पर इस तरह का एक्ज़िमा हो जाता है।

संक्रमण के कारण

इस तरह का एक्ज़िमा उन पदार्थों के संपर्क में आने से होता है, जिनसे त्वचा पर मौजूद प्राकृतिक तेल की परत नष्ट हो जाती है। त्वचा में खुजलाहट होने के साथ ही यह लाल हो जाती है। यह एक्ज़िमा एलर्जी के कारण नहीं होता।



एलर्जी के कारण 

ज़ेवरात,कपड़ों के बटन आदि में मौजूद निकल, रबड़, और सीमेंट आदि जैसे निर्माण कार्य में प्रयुक्त सामान, परफ्यूम और हेअर डाई जैसे सौंदर्य प्रसाधनों में मौजूद कई रसायन खुजली वाले एक्जिमा के सबसे आम कारण हैं। इनमें साबुन, डिटर्जेंट कपड़ों के कंडिशनर, शैंपू और ब्लीच शामिल हैं। 

लक्षण 

कई मामलों में एक्ज़िमा त्वचा के एक छोटे पैच में रुखापन और खुजली के रूप में होता है, लेकिन गंभीर मामलों में त्वचा का अधिक बड़ा हिस्सा प्रभावित होता है। इस हिस्से में अत्यधिक खुजली चलती है और सूजन आ जाती है। एक्ज़िमा से प्रभावित लोग हर्पीज़ और त्वचा के फंगस संक्रमण की चपेट में भी आसानी से आ जाते हैं।

निदान

एटोपिक एक्ज़िमा से प्रभावित लोग खाद्य और पर्यावरण में मौजूद एलर्जन्स के लिए "स्किन-प्रिक टेस्ट" के ज़रिए भी एक्ज़िमा के कारण का पता लगा सकते हैं। एक बार एलर्जन पहचानने में आ जाए तो फिर इस रोग का प्रभावी उपचार किया जा सकता है।
ये करें-
-कुनकुने पानी और एमोलिएन्ट्स से स्नान करें, लेकिन बहुत उधिक समय तक पानी में नहीं रहें।

-त्वचा को साफ तौलिए से हल्के से पोंछें। एक्ज़िमा से प्रभावित त्वचा को कभी भी रगड़कर न पोंछें। 

-साबुन, डिटर्जेंट के उपयोग से बचें।

-केवल सूती कपड़े ही पहनें। ऊन और पॉलिस्टर से बचें। 

-चुस्त फिटिंग वाले कपड़ों की बजाय ढ़ीले व आरामदायक कपड़ें पहनें। 

-चमड़ी को नाखून से न रगड़ें। 

-ऐसे खेलकूद से बचें, जिनमें अत्यधिक पसीना आता हो। 

-तनावमुक्त और शांत रहने के प्रयास करें। तनाव लेने से एक्ज़िमा की स्थिति बदतर हो सकती है(सेहत,नई दुनिया,मई द्वितीयांक 2011)।

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