आदिकाल से यह कहा जाता रहा है कि बच्चे को जन्म देना एक स्त्री का नया जन्म होता है। बच्चे के पैदाइश की पूरी प्रक्रिया में स्त्री के शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन होते हैं। प्रायः विवाह के पश्चात ससुराल वालों की अपेक्षाओं पर खरे उतरने का एक मनोवैज्ञानिक दबाव महिलाओं पर होता है। साथ ही नई दिनचर्या में स्वयं को ढालना भी एक बड़ा काम होता है। इस समय स्त्री अपने स्वास्थ्य और सौंदर्य का ठीक से ध्यान नहीं रख पाती, परंतु प्रायः जब वह गर्भवती होती है तो परिवार के सभी सदस्य उसका अधिक ध्यान रखने लगते हैं। पहले तीन महीने फोलिक एसिड की गोली एवं उसके बाद आयरन एवं कैल्शियम की गोलियाँ डॉक्टर की सलाह पर गर्भावस्था में ली जानी चाहिए। इससे शिशु के साथ ही बालों के स्वास्थ्य पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है। साथ ही गर्भावस्था के समय स्त्रावित होने वाले हार्मोन के कारण भी बालों का स्वास्थ्य सुधरता है। उपरोक्त कारणों से गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को प्रायः बालों की समस्या नहीं होती। प्रसव के पश्चात प्रसूता स्त्री एवं परिवार के अन्य सदस्य प्रायः नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने लगते हैं।
कई बार प्रसूता नौकरी-पेशा हो तो समस्या और भी गंभीर हो जाती है। वह बच्चे की देखरेख और नौकरी की व्यस्तता में अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाती। ऐसी स्थिति में प्रसव के पश्चात अत्यधिक बाल झड़ने लगते हैं, जिसका प्रमुख कारण आयरन, कैल्शियम आदि पोषक तत्वों का अभाव एवं उचित आराम का न मिल पाना है। ऐसी समस्या से निपटने हेतु सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि प्रसव के समय आपके हिमोग्लोबिन का स्तर साढ़े बारह ग्राम (१२.५ ग्राम) से कम न हो। प्रसव के पश्चात भी दूध का सेवन सुबह-शाम अवश्य करें। हरी सब्जियाँ प्रचुर मात्रा में लें। गुड़ का एक छोटा टुकड़ा रोज खाएँ। नीबू-पानी रोज पीएँ। जब तक गर्भाशय पूर्व की स्थिति में नहीं आ जाता, तब तक अपना विशेष ध्यान रखें। सप्ताह में दो से तीन बार उचित आयुर्वेदिक तेल बालों की जड़ों में लगाएँ। आवश्यक हो तो आयरन की गोली प्रसव के बाद भी लें।
इस संबंध में एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि कई परिवारों में बेटी को जन्म देने वाली माता की प्रसव के पश्चात् उपेक्षा की जाती है जिससे नव-प्रसूता में बहुत अधिक दुर्बलता आ जाती है। उन्हें चाहिए कि नवजात बेटे और बेटी में फर्क न करते हुए नवजात एवं नवप्रसूता-दोनों के स्वास्थ्य की उचित देखभाल करें और परिवार में प्रेम तथा सौहार्द का वातावरण बनाए रखें(डॉ. प्रीति सिंह,सेहत,नई दुनिया,अप्रैल 2011 पंचमांक)।
इस संबंध में एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि कई परिवारों में बेटी को जन्म देने वाली माता की प्रसव के पश्चात् उपेक्षा की जाती है जिससे नव-प्रसूता में बहुत अधिक दुर्बलता आ जाती है। उन्हें चाहिए कि नवजात बेटे और बेटी में फर्क न करते हुए नवजात एवं नवप्रसूता-दोनों के स्वास्थ्य की उचित देखभाल करें और परिवार में प्रेम तथा सौहार्द का वातावरण बनाए रखें(डॉ. प्रीति सिंह,सेहत,नई दुनिया,अप्रैल 2011 पंचमांक)।
किन्तु मेरा अनुभव इसके बिलकुल उलटा ही है मैंने देखा था की गर्भावस्था के दौरान अचानक से मेरे बाल बहुत ज्यादा ही सफ़ेद होने लगे थे जो बच्चे के जन्म के बाद बंद हो गए और कुछ समय बाद ज्यादातर बाल फिर से काले हो गये |
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी...अपनी पुत्रवधु को भेज दे रहा हूँ.
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