शनिवार, 30 अप्रैल 2011

महिलाओं में गर्भाशय प्रत्यारोपण जल्द!

वैज्ञानिकों का कहना है कि महिलाओं में गर्भाशय प्रत्यारोपण अगले कुछ समय में हकीकत बन सकता है। एम्स के डॉक्टरों की टीम ने जानवरों पर इस तकनीक का सफल प्रयोग कर लिया है। डॉक्टरों का दावा है कि संतानहीन महिलाओं में डोनर से मिले स्वस्थ गर्भाशय का प्रत्यारोपण जल्द ही शुरू किया जाएगा। इससे उन महिलाओं को फायदा होगा, जिनमें जन्म से ही गर्भाशय नहीं होता या बीमारी की वजह से उसे निकालना पड़ता है। डाक्टर अब तक चुहिया, भेड़ और सुअरों में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण करके देख चुके हैं। उन्हें महिलाओं में भी इसी तरह की सफलता मिलने की उम्मीद है। अब तक सिर्फ एक बार वर्ष 2000 में सऊदी अरब में एक महिला में गर्भाशय ट्रांसप्लांट किया गया था लेकिन चार महीने के बाद उसने काम करना बंद कर दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि तब गर्भाशय प्रत्यारोपण फेल होने की वजह उसे शरीर की ब्लड सप्लाई से सही तरीके से जोड़ने में आई दिक्कत हो सकती है। तबसे अब तक सर्जरी के क्षेत्र में काफी तरक्की हो चुकी है। एम्स में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रमुख डा. सुनीता मित्तल के अनुसार इस तरह का शोध स्वीडन में यूनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग में भी चल रहा है। लेकिन हम अपने शोध पर केंद्रित हैं। कुछ जरूरी औपचारिकताएं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद(आईसीएमआर) से पूरी करनी हैं। पहले और दूसरे फेज के क्लीकिल ट्रायल सफल रहे हैं। उन्हीं के आधार पर आईसीएमआर में जल्द ही इथिकल कमेटी की एक बैठक होनी है। जिसमें यह पत्र रखा जाएगा। सब कु छ सामान्य रहा तो हम अपना प्रयोग जल्द शुरू करेंगे। टीम से जुड़े एक अन्य वैज्ञानिक का कहना है कि अगले साल तक देश के दस चुनिंदा अस्पतालों में से किसी एक में हम महिला पर गर्भाशय ट्रांसप्लांट का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन यह प्रत्यारोपण अस्थायी होगा। इसके कुछ माह तक सफलता का आकलन करेंगे, एक दो प्रेगनेंसी के बाद उसे हटाना पड़ सकता है। अब तक इसकी सफलता के आकलन के लिए खरगोश पर सफल प्रत्यारोपण किया जा चुका है। ऐसा होने से यह तय है कि वर्तमान में प्रचलित कृत्रिम गर्भधान विधि से होने वाले दुष्प्रभाव से संतानहीन महिलाओं को बचाया जा सकेगा। वे अपनी कोख से बच्चों को जन्म दे सकेंगी(ज्ञानप्रकाश,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,29.4.11)।

1 टिप्पणी:

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।