सोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक और आकरुट पर चैटिंग करने और वीडियो गेम खेलने के लिए कंप्यूटर या टेलीविजन के सामने घंटों बैठे रहने वाले बच्चों में दिल की बीमारियों के खतरे बढ़ रहे हैं। नए वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार जो बच्चे घर के बाहर खेलने-कूदने की बजाय घंटों फेसबुक और आकरुट जैसी सोशल नेटवर्किग साइटों पर चैटिंग करते हैं, वीडियो गेम खेलते हैं अथवा टेलीविजन देखते हैं उनमें बड़े होने पर हृदय रोग एवं उच्च रक्तचाप होने के खतरे कई गुना बढ़ जाते हैं। सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ तथा नोएडा स्थित मेट्रो हार्ट इंस्टीच्यूट के निदेशक पुरुषोत्तम लाल ने बताया कि जो बच्चे खेल-कूद से दूर रहते हैं और लैपटाप, पीसी अथवा टेलीविजन के सामने घंटों बैठे रहते हैं उनकी रक्त धमनियां सिकुड़ जाती है और बाद में उनमें दिल रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। दिल्ली नेत्र विज्ञान सोसायटी (डीओएस) के सचिव डा. अमित खोसला ने बताया कि कंप्यूटर और टेलीविजन के सामने अधिक समय तक बैठे रहने का असर केवल आंखों पर ही नहीं बल्कि हृदय एवं रक्त धमनियों पर पड़ता है। असल में जो बच्चे अपना ज्यादा समय इंटरनेट, कम्पयूटर व टेलीविजन पर बिताते हैं वे खेलने-कूदने में काफी कम समय देते हैं। इस कारण उनकी रक्त नलिकायें अन्य बच्चों की तुलना में अधिक सिकुड़ती हैं और उन्हें बड़े होने पर हृदय रोग एवं उच्च रक्तचाप होने के खतरे अधिक होते हैं। भारतीय मूल के वैज्ञानिक डा. बामिनी गोपीनाथ एवं उनके सहयोगी वैज्ञानिकों ने डेढ़ हजार बच्चों पर अध्ययन करने पर पाया कि जो बच्चे अधिक समय तक घर के बाहर खेलते हैं उनमें रक्त की पतली नलिकाओं की स्थिति उन बच्चों की तुलना में अच्छी होती है जो घर में या तो कंप्यूटर या टेलीविजन के सामने बैठकर गेम खेलते हैं या चैटिंग करते हैं। इस अध्ययन में अधिक देर तक कंप्यूटर पर गेम खेलने या चैटिंग करने वाले छह साल उम्र के बच्चों की आंखों की रक्त नलिकाओं को संकुचित पाया गया जो कि हृदय रोग के खतरे के बढ़ने का संकेत है। यूनिवर्सिटी आफ सिडनी के सेंटर विजन रिसर्च के वैज्ञानिक डा. गोपीनाथ का कहना है कि बच्चों की अस्वास्थ्यकर जीवनशैली रक्त की पतली नलिकाओं में रक्त संचार पर बुरा प्रभाव डालती है जिससे भविष्य में उन्हें रक्त वाहिका रोग तथा उच्च रक्तचाप होने का खतरा बढ़ता है। दरअसल टेलीविजन देखने अथवा कंप्यूटर पर गेम खेलने या चैटिंग करने से जो नुकसान होता है उससे कहीं अधिक नुकसान घंटों तक बैठे रहने और व्यायाम नहीं करने के कारण होता है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि महानगरों एवं बड़े शहरों मे व्यायाम एवं खेल-कूद से दूर होने तथा फास्ट फूड के बढ़ते इस्तेमाल के कारण बच्चे हाइपरटेंशन, मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियों के तेजी से शिकार हो रहे हैं। हाल के एक अध्ययन से पता चला है कि शहरों में रहने वाले करीब 25 प्रतिशत किशोरों और बच्चों को हृदय रोग का खतरा है। डा. लाल ने बताया कि पिछले कुछ सालों में रहन-सहन एवं खानपान की आदतों में बदलाव तथा बढ़ते तनाव के कारण शहरी बच्चों में मोटापा 20-25 प्रतिशत बढ़ा है जिसके कारण उनमें हृदय रोगहोने के खतरे बढ़े हैं(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,25.4.11)।
मैं तो तीन से चार घण्टे चलकर काम करने में भी बिताता हूं... यह कितना ला्भ करेगा या नहीं करेगा.
जवाब देंहटाएंयह जानकारी सही भी है और पहले से पता भी पर जिस तरह का मेरा कार्य है, मुझे दिन में 15-16 घंटे लेपटॉप के सामने ही बिताने होते हैं|
जवाब देंहटाएंसुबह शाम साइक्लिंग करता हूँ, कुछ और भी करना होगा क्या?
जानकारी तो अच्छी है तो फिर आपको कमेन्ट कैसे करें और बाकी पोस्ट्स कैसे पढें?
जवाब देंहटाएंआज खेल के लिए बच्चों के साधन की भी कमी है .. बच्चे टेलीवीजन या कंप्यूटर में समय काटने को बाध्य हैं !!
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