शनिवार, 23 अप्रैल 2011

आक्सीडेटिव स्ट्रेस बना सकता है नपुंसक

मधुमेह रोग का नियंत्रण होना आक्सीडेटिव स्ट्रेस (लगातार तनाव के बाद की स्टेज) भी हो सकता है। इस आक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण शरीर में बनने वाले फ्रीरेडिकल्स से मरीज नंपुसक भी हो सकता है। यह बात शुक्रवार को लखनऊ में चिकित्सा विश्वविद्यालय के फिजियोलॉजी व फार्माकोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में हमदर्द इंस्टीटय़ूट आफ मेडिकल साइंस एण्ड रिसर्च सेंटर के डा. अमित ने कही। कार्यशाला में मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम से होने वाली बीमारियों पर भी चर्चा की गयी। डा. अमित ने कहा कि नये शोध में पता चला है कि डायबटीज को बढ़ाने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। आक्सीडेटिव स्ट्रेस की शुरुआत लगातार तनाव से होती है। इसका सीधा असर लिवर व पैक्रियांज पर पड़ता है। इससे पैक्रियाज में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है और डायबिटीज हो जाती है। सही इलाज नहीं होने से आक्सीडेटिव स्ट्रेस से शरीर में फ्रीरेडिकल्स बनने लगते है। यह फ्रीरेडिकल्स शुक्राणु की बनावट को भी प्रभावित करता है। यह शुक्राणु अण्डाणु के साथ सक्रिय नहीं हो पाते। उन्होंने कहा कि खाना खाकर टहलने से खाना सही तरीके से नहीं पचता है। नये शोध के मुताबिक खाना खाने से पहले आधा घंटा टहलना ही खाना पचाने के लिए उचित है। एसजीपीजीआई के डा. यूके मिश्र ने बताया कि डिमेंशिया में ज्यादातर डाक्टरों की धारणा है कि 75 वर्ष की उम्र के बाद भी मस्तिष्क की कोशिकाओं में परिवर्तन होता रहता है जबकि यह गलत है। कार्यशाला में प्रो. एस बी देशपाण्डे ने कहा कि नये शोध में पता चला है कि अगर सांप या बिच्छू के काटने पर इंसुलिन का इंजेक्शन लगा दिया जाए तो उसके जहर का असर देर से होता है(रा्ष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,23.4.11)।

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब, शुभकामनायें आपको

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  2. याने तनाव से बचना ज्यादा महत्वपूर्ण है ।

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  3. अंग्रेजी के शब्द लिखने के लिए अंग्रेजी की वर्णमाला का प्रयोग करें. पढ़ने में आसानी रहती है.

    बहुत कृपा होगी.
    जैसे कि
    स्ट्रेस की बजाये अगर आप stress लिखेंगे तो ज्यादा उपयुक्त और readable होगा.

    धनयवाद.

    उम्मीद है, मेरी इस टिपण्णी पर ध्यान दिया जाएगा.

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