बहुत से रोगों में रामबाण साबित होने वाली शंखपुष्पी, तुलसी, कौंच, पिपली, मकोय, मधुकरी, बहेड़ा, हरड़ आदि जड़ी बूटियां धीरे-धीरे विलुप्त हो रही हैं। इन जड़ी बूटियों की सही कीमत न मिल पाने से किसानों को इनकी खेती करने में रुचि नहीं रह गयी है। इसी बात को ध्यान में रखकर सरकार ने बाजार उपलब्ध कराने की कवायद शुरू की है। साथ ही विदेशों में हर्बल व्यापार में भारतीय हिस्सेदारी बढ़ाना भी सरकार का लक्ष्य है।
जड़ी बूटियों की खेती का घटता दायरा देख सरकार मनरेगा और राष्ट्रीय मिशन केंद्र प्रवर्तित योजना के तहत औषधियों की खेती करा रही है। बीते वर्ष राष्ट्रीय मिशन केंद्र प्रवर्तित योजना में जिले का चयन हुआ था लेकिन किसान न मिल पाने से योजना लागू नहीं हो पायी थी। अब अगले वित्तीय वर्ष में उद्यान विभाग के अधिकारी गांवों में चौपाल लगाकर लोगों को प्रेरित करेंगे। उनके माल की खरीद को केंद्र भी बनाये जायेंगे।
इन फसलों पर 50 प्रतिशत अनुदान : अग्निमंथ, सर्पगंधा, बेल, अशोक, पीला चंदन, वरुण, नागकेशर, सप्तपर्णी, अकरकरा, शिलारस, शिरीष कबाब चीनी समेत 32 औषधियों पर लागत का 50 फीसदी अनुदान मिलेगा।
इन पर 20 प्रतिशत सहायता : पिपली, मकोय, मधुकरी, बहेड़ा, हरड़, अश्वगंधा, सनाय, पुनर्नवा, दालचीनी, घृतकुमारी, कालमेघ, शतावर, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, तुलसी, कौंच समेत 45 फसलों की खेती में लागत का 20 प्रतिशत अनुदान मिलेगा(दैनिक जागरण,कानपुर,24.3.11)।
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