कैंसर का इलाज अब ग्लूकोज से होगा। जी हां, भारतीय वैज्ञानिकों ने 15 साल की लंबी रिसर्च के बाद ऐसी दवा बनाई है, जो कैंसर के इलाज में रामबाण साबित होगी। इस दवा का नाम टू डक्ष ऑक्सी डी ग्लूकोज है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह दुनिया की अपनी तरह की पहली दवा है। इसके जरिए रेडियोथेरेपी से कैंसर के इलाज के दौरान स्वस्थ कोशिकाओं को रेडिएशन के असर से बचाना आसान हो जाएगा। इसका सीधा नतीजा यह होगा कि कैंसर पीड़ित को बचाया जा सकेगा और वे लंबा जीवन जी सकेंगे। इस दवा के ट्रायल का तीसरा चरण पूरा हो चुका है, जिसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं। इस दवा को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, सीएसआईआर व आईसीएमआर की क्लीनिकल कमेटी ने अप्रूवल दे दिया है। इस ग्लूकोज का इस्तेमाल रोगियों पर दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट एवं एम्स के आईआरसीएच सेंटर में जल्द ही आरंभ होगा। डिफेंस रिसर्च एंड डवलेपमेंट आर्गनाइजेशन(डीआरडीओ) व भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद(आईसीएमआर) ने इस ग्लूकोज (लिक्वड सिरप) को तैयार किया है। डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. डब्ल्यू सेल्वमूर्ति के अनुसार रेडियोथेरेपी शुरू करने से कुछ मिनट पहले यह ग्लूकोज मरीजों को देना होता है। इसके बाद रेडिएशन का प्रभाव सिर्फ उन्हीं कोशिकाओं पर होता है, जो कैंसर ग्रस्त हैं।
इस ग्लूकोज के दो फायदे हैं। एक तो यह स्वस्थ कोशिकाओं का बचाव करता है तो दूसरा कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को कमजोर कर देता है, जिससे रेडिएशन की हल्की डोज से भी इन कोशिकाओं को खत्म करना आसान हो जाता है। वैज्ञानिकों टीम में शामिल एक अन्य विशेषज्ञ के अनुसार यह ग्लूकोज शरीर में मौजूद ग्लूकोज से अलग है, क्योंकि यह एनर्जी नहीं देता है। कैंसर ग्रस्त कोशिकाएं एनर्जी की ज्यादा भूखी होती हैं और ग्लूकोज की खुराक मिलते ही आम कोशिकाओं के मुकाबले बहुत मात्रा में इसे सोख लेती हैं। यह ग्लूकोज कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को स्वस्थ कोशिकाओं के मुकाबले कमजोर बना देता है और स्वस्थ कोशिकाओं पर कोई असर नहीं डालता। इसके बाद जब रेडियोथेरेपी दी जाती है तो यह रेडिएशन को तेजी से अपनी ओर खींचता है। ऐसे में खतरनाक रेडिएशन का असर सिर्फ कैंसर ग्रस्त सेल्स पर ही पड़ता है।
आईआरसीएच के निदेशक डा. जीके रथ ने कहा कि किसी भी तरह के कैंसर के इलाज के तीन विकल्प हैं : कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी। कीमोथेरेपी में काफी महंगी दवाओं का इस्तेमाल होता है, जबकि सर्जरी हर मामले में नहीं की जा सकती। ऐसे में ज्यादातर मरीजों को रेडियोथेरेपी का सहारा लेना पड़ता है। इसका कॉन्सेप्ट कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को जलाकर खत्म करना होता है लेकिन ये किरणों बहुत खतरनाक होती हैं और संपर्क में आने वाली स्वस्थ कोशिकाओं को भी क्षतिग्रस्त कर देती हैं। यही आगे चलकर कैंसर ग्रस्त हो जाती हैं। ऐसे में अगर स्वस्थ कोशिकाओं को बचाने में सक्षम ग्लूकोज उपलब्ध हो जाता है, तो यह कैंसर मरीजों के लिए नई उम्मीद साबित होगी। एक अनुमान के अनुसार देश में हर साल कैंसर के दस लाख नए मामले सामने आते हैं। इनमें से 60 फीसद लोगों को कीमोथेरेपी लेनी पड़ती है। यह थेरेपी लेने के बाद रोगी के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अति कमजोर हो जाती है, जिससे सामान्य करना फिलहाल विशेषज्ञों के वश की बात नहीं थी। ऐसे में यह ग्लूकोज उनके जीवन को बचाने में महती भूमिका अदा करेगा। रेडियोथेरेपी शुरू करने से कुछ मिनट पहले यह ग्लूकोज मरीजों को देना होता है(ज्ञान प्रकाश,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,18.3.11)।
Aabhar.
जवाब देंहटाएंहोली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
आइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।