शुक्रवार, 18 मार्च 2011

अंग प्रत्यारोपण कानून में संशोधन

भारत में अंगदान की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिहाज से सरकार ने गुरुवार को मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम में संशोधन किया। यह संशोधन नियमों को सरल करेगा और परिजनों में अंगदाताओं के दायरे को दादा-दादी तक बढ़ाएगा। संशोधन को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई। स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा, अंग प्रत्यारोपण कानून में संशोधन कर नियमों को सरल किया गया है। आजाद के अनुसार, नियमों में बदलाव से अब अंग दाताओं के दायरे में दादा-दादी को भी शामिल किया जा सकेगा। मौजूदा नियमों के तहत पिता, माता, बेटा, बेटी, पत्नी, पति, बहन और भाई के रूप में परिवार के सदस्य अंगदान कर सकते हैं। पास और दूर के रिश्तेदार भी ऐसा कर सकते हैं। इनके अलावा ऐसे लोगों द्वारा भी अंगदान करने की इजाजत है जो प्यार व स्नेह वश ऐसा करने का प्रस्ताव करते हैं। सरकार का मानना है कि अंग प्रत्यारोपण कानून में प्यार और स्नेह वश अंगदान करने वाले लोगों के अंश के कारण ही अंगों के अवैध कारोबार को बढ़ावा मिल रहा था(दैनिक जागरण,दिल्ली,18.3.11)।
 

राष्ट्रीय सहारा की रिपोर्टः
भारत में अंगदान की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिहाज से सरकार ने आज मानव अंग प्रत्यारोपण अध्यादेश में संशोधन किया, जो नियमों को सरल करेगा और परिजनों में अंगदाताओं के दायरे को दादा-दादी तक बढ़ाएगा। संशोधन को केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज यहां हुई बैठक में मंजूरी दी गयी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने यहां संवाददाताओं से कहा कि नियमों को सरल किया गया है। नियमों में बदलाव किया जा रहा है ताकि परिवार में अंग दाताओं के दायरे को दादा-दादी तक बढ़ाया जा सके। मौजूदा नियमों में अंगदान पिता, माता, बेटा, बेटी, पत्नी, पति, बहन और भाई के रूप में परिवार के लोगों तक तथा पास व दूर के रिश्तेदारों तक सीमित है। बदलाव के बाद कोई व्यक्ति अपना अंग जरूरतमंद रोगी को दे सकता है और बदले में अपने संबंधी किसी रोगी के लिए उपयुक्त अंग पा सकते हैं। आजाद ने कहा कि अंगों के अवैध व्यापार के लिए सजा को और कड़ा कर दिया गया है और इमें जुर्माना बढ़ा दिया गया है तथा कैद की सजा जोड़ दी गयी है।

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