डायबीटीज का जाल केवल भारत में ही नहीं, बल्कि कई अन्य विकसित देशों में भी तेजी से फैलता जा रहा है। मिडल एज ग्रुप में बढ़ रही डायबीटीज की बीमारी खासतौर पर चिंता का सबब बनी हुई है। हाल ही में डायबीटीज को लेकर लंदन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा कॉर्डिनेट की गई एक स्टडी से सामने आई बातें और भी चौंकाने वाली हैं।
इस स्टडी के मुताबिक मिडल एज में डायबीटीज का शिकार हुए लोगों की उम्र सामान्य से 10 साल कम हो जाती है। डायबीटीज की वजह से हार्ट स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा तो डबल हो ही जाता है, लेकिन स्टडी से पता चला है कि टाइप-2 डायबीटीज के मरीजों में कैंसर, कई तरह के इन्फेक्शन, मेंटल डिसऑर्डर, लिवर, किडनी, फेफड़ों और पेट से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बहुत बढ़ जाता है, जो जल्दी ही मौत की वजह बन जाता है।
डायबीटीज के भारतीय विशेषज्ञों ने भी इस स्टडी के रिजल्ट से सहमति जताई है। सीनियर डायबेटॉलजिस्ट और दिल्ली डायबीटीज रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष डॉ. ए. के. झिंगन के मुताबिक यह स्टडी हमारे लिए और भी मायने रखती है, क्योंकि यहां खतरा अन्य देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। इसकी वजह देश में डायबीटीज को लेकर एजुकेशन, जागरूकता और सतर्कता का अभाव है।
यहां खतरा ज्यादा
डॉ. झिंगन के मुताबिक विदेशों मंे आमतौर पर 50 से 60 साल की उम्र में लोग डायबीटीज का शिकार होते हैं, लेकिन हमारे देश में 30 से 40 साल के दौरान ही लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं। चिंता की बात यह है कि इससे हमारे देश की प्रोडक्टिव लाइफ पर भी सीधा असर पड़ता है। देश में डायबीटीज के मरीजों की संख्या 5 करोड़ से ज्यादा है, लेकिन 50 प्रतिशत लोग ही इसका इलाज करवाते हैं। कई लोगों को तो लंबे समय तक इसका पता ही नहीं चलता। इससे बीमारी कंट्रोल से बाहर हो जाती है और उम्र 10 साल तक कम हो जाती है।
हो जाएं अलर्ट
डायबीटीज का सामान्य पैरामीटर (एचबी ए-1 सी : ग्लाइकोसिलेटेज हीमोग्लोबिन) 4 से 6 पर्सेंट के बीच है, लेकिन डायबीटीज के मरीजों में यह 6 पर्सेंट से ज्यादा बढ़ जाता है। 8 या 9 पर्सेंट का मतलब है कि डायबीटीज कंट्रोल से बाहर हो रही है। अगर लोग समय रहते सही तरीके से इसका इलाज करवाएं और डायबीटीज का स्तर 8 से 7 या 7 से 6 तक ले आएं और इस 1 पर्सेंट की कमी जिंदगी के 10 साल बढ़ा सकती है और डायबीटीज की वजह से होने वाली मौतों की संख्या में भी 14 पर्सेंट तक कमी आ सकती है।
चलेगा जागरूकता अभियान
फोर्टिस हॉस्पिटल के डायबीटीज विभाग के हेड और नैशनल डायबेटिक ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन के चीफ डॉ . अनूप मिश्रा ने बताया कि अन्य देशों के मुकाबले भारत में डायबीटीज की वजह से हार्ट अटैक , हार्ट स्ट्रोक और किडनी फेल होने के चलते 5 गुना ज्यादा लोगों की मौत होती है। उन्होंने बताया कि नैशनल डायबेटिक ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन डायबीटीज पर देश के 50 प्रमुख शहरों में जागरूकता अभियान चला रहा है जिसकी शुरुआत पुणे से शनिवार को हो रही है(प्रशांत सोनी,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,5.3.11)।
हो जाएं अलर्ट
डायबीटीज का सामान्य पैरामीटर (एचबी ए-1 सी : ग्लाइकोसिलेटेज हीमोग्लोबिन) 4 से 6 पर्सेंट के बीच है, लेकिन डायबीटीज के मरीजों में यह 6 पर्सेंट से ज्यादा बढ़ जाता है। 8 या 9 पर्सेंट का मतलब है कि डायबीटीज कंट्रोल से बाहर हो रही है। अगर लोग समय रहते सही तरीके से इसका इलाज करवाएं और डायबीटीज का स्तर 8 से 7 या 7 से 6 तक ले आएं और इस 1 पर्सेंट की कमी जिंदगी के 10 साल बढ़ा सकती है और डायबीटीज की वजह से होने वाली मौतों की संख्या में भी 14 पर्सेंट तक कमी आ सकती है।
चलेगा जागरूकता अभियान
फोर्टिस हॉस्पिटल के डायबीटीज विभाग के हेड और नैशनल डायबेटिक ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन के चीफ डॉ . अनूप मिश्रा ने बताया कि अन्य देशों के मुकाबले भारत में डायबीटीज की वजह से हार्ट अटैक , हार्ट स्ट्रोक और किडनी फेल होने के चलते 5 गुना ज्यादा लोगों की मौत होती है। उन्होंने बताया कि नैशनल डायबेटिक ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन डायबीटीज पर देश के 50 प्रमुख शहरों में जागरूकता अभियान चला रहा है जिसकी शुरुआत पुणे से शनिवार को हो रही है(प्रशांत सोनी,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,5.3.11)।
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