वर्तमान समय में माइग्रेन तेजी से बढ़ रहा है। यह बहुत ही कष्टदायक रोग है। इसमें सिर के एक ही भाग में ललाट पर या सिर के पिछले हिस्से में अथवा पूरे सिर में भी दर्द होता है। यह दर्द साधारण सिर दर्द से अधिक तेज और उग्र होता है। खास बात यह माइग्रेन का दर्द सूर्य उदय होते प्रारंभ होता है। जैसे-जैसे सूर्य निकलता है दर्द बढ़ता जाता है और दोपहर होते-होते तीव्र पीड़ा होती है। आयुर्वेद के अनुसार रुखा भोजन करने, शीतल वस्तुओं का अधिक सेवन करने, मल-मूत्र के वेग को रोकने, बहुत चलने, ज्यादा कसरत करने या फिर अति सहवास करने से इस रोग की उत्पत्ति होती है। इन कारणों के साथ ही पानी कम पीने, समय पर भोजन न करने, नींद पूरी न होने से भी यह समस्या हो सकती है। वहीं महिलाओं में माहवारी की गड़बड़ी से भी यह रोग देखने को मिलता है। इन कारणों को देखते हुए एक कुशल चिकित्सक से परामर्श लेकर इस रोग की चिकित्सा करानी चाहिए। आयुर्वेद पद्धति से माइग्रेन के रोगी बहुत आसानी से ठीक हो जाते हैं। घरेलू उपचार में गाय का ताजा घी सुबह-शाम दो-चार बूंद नाक में रुई से टपकाने से इस रोग में आराम होता है। वहीं आधा गिलास अंगूर का रस सूर्य निकलने से पहले रोगी को देने से भी उसे आराम मिलेगा। खाना खाने से पहले और खाना खाने के बाद दो-दो चम्मच शहद का सेवन करें। इसके लिए तुलसी के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर रोगी को पिलाएं। इससे माइग्रेन में काफी लाभ होता है। दो भाग तिल के साथ एक भाग वायविडंग पीसकर थोड़ा गरम कर लेप करने या चंदन को गुलाब जल में घिसकर माथे पर लगाने से रोग में आराम मिलता है। एक तोला कल्क को गर्म दूध में मिलाकर पीने से भी बहुत लाभ पहुंचता है(डॉ. सर्वाश मालवीय,दैनिक जागरण,इलाहाबाद,2.3.11)।
घरेलू उपाय सदैव उपयोगी साबित होते हैं...... आभार
जवाब देंहटाएंबड़ी अच्छी जानकारी दी आप ने मेरी मम्मी को है ये भी कर के देखते है |
जवाब देंहटाएंमाईग्रेन के लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम भी बहुत उपयोगी है. अनुभूत है.
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