बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

सामान्य से अलग नहीं शुगर-फ्री आलू

डायबिटीज से भयभीत लोग सामान्य आलू की कीमत से कई गुना खर्च कर शुगरफ्री आलू खरीद रहे हैं, जबकि डॉक्टरों व कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस आलू में सामान्य से अलग कोई क्वालिटी नहीं है। उल्टा यह सेहत को और खराब कर रहा है।
नामी-गिरामी सभी आउटलेट के अलावा खुले बाजार में भी 45 से 50 रुपये प्रतिकिलो दर पर यह आलू बेचकर व्यापारी मोटी कमाई कर रहे हैं। ब्रांडेड आउटलेट में यह एक या दो किलो पैक में हैं तो मंडी में 10 या 20 किलो के पैक में बिक रहे हैं। दिल्ली डायबिटिक रिसर्च सेंटर अध्यक्ष डॉ. ए.के. झिंगन कहते हैं कि अन्य शुगर फ्री उत्पादों की तरह ही डायबिटीज के मरीजों के लिए यह आलू भी इमोशनल ब्लैकमेलिंग का साधन है। लोग इनके झांसे में आकर अपनी बीमारी को अनियंत्रित कर रहे हैं। शुगर फ्री दावे के साथ बेचा जा रहा आलू किसी भी मामले में सामान्य आलू से अलग नहीं होता है। ऐसे काफी मरीज आ रहे हैं, जिनके ब्लड में शुगर का लेवल शुगरफ्री आलू के चक्कर में पड़कर डावांडोल हो गया है। वह जमकर इनके चिप्स और चाट खा रहे हैं। डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि डायबीटीज के मरीजों को आमतौर पर काफी कम मात्रा में उबले आलू खाने की सलाह दी जाती है। पूसा के कृषि वैज्ञानिकों का भी कहना है कि आलू में ऐसा कोई भी मोडिफिकेशन अब तक नहीं हुआ, जिससे उसे स्टार्च फ्री बनाया जा सके। इसलिए शुगर फ्री के भ्रम में पड़कर अपनी सेहत खराब न करें(अमर उजाला,दिल्ली,2.2.11)।

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