शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

इनहेल अब्यूज के शिकार हो रहे हैं जम्मू के बच्चे

अगर आपके लाड़ले का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा, घर आते ही सुस्त हो जाता है या फिर स्कूल से खिसकने की शिकायतें आ रही हों, तो सावधान हो जाईए। आपका लाड़ला सूंघने का नशा(इनहेल अब्यूज) का शिकार भी हो सकता है।

शहर में ये बीमारी बच्चों में तेजी से बढ़ रही है। इसी का नतीजा है कि पहले कभी कभार नोटिस में आने वाले मामले अब रोज सामने आने लगे हैं। डॉक्टरों मानना है कि बहुत से मामले तो अस्पताल तक पहुंंच ही नहीं पाते।

क्या है इनहेल अब्यूज
थिनर, पेंट, फलूड, ग्लू आदि ये सब वो चीजें हैं, जिन्हें बच्चे सूंघने के नशे में इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि ये सब नया नहीं है। लेकिन बच्चे इसकी ओर काफी तेजी से आकर्षित हुए हैं। पहले युवा वर्ग के इसकी चपेट में थे। तीन तरीकों से इसे इस्तेमाल में लाया जा रहा है। इसमें स्नीफिंग(रुमाल में फेंक कर सूंघना) हाफिंग(मुंह खोल कर जोर जोर से इसकी सुगंध को अंदर लेना) बैगिंग( पॉलिथीन में ज्यादा मात्रा में डालकर उसमें पूरा मुंह डालना) शामिल है।

कारण
पांच कारणों से ये तेजी से फैल रहा है। पहला हर जगह आसानी से ये पदार्थ उपलब्ध हैं। दूसरा सस्ते हैं, तीसरा कोई कानूनी प्रतिबंध इन पर नहीं हैं, चौथा बच्चों को आकर्षित करता है और पांचवा ये डिटेक्ट नहीं हो पाता। ये सब कारण इसकी वजह बन रहे हैं।

नुकसान
इसका नशा करने से दिमाग, किडनी, नजर कमजोर होना, दिल का दौरा और काम में सुस्ती आ जाना आदि की समस्या हो जाती है।

आठवीं कक्षा का बच्चा भी
इस नशे का एक मामला स्टडी किया गया है। जम्मू के रमन (बदला नाम) के अभिभावक बच्चे की स्कूल परफार्मरमेंस से चिंतित थे। पूछताछ करने पर अभिभावकों ने बताया कि पिछले दो साल से उसकी परफारमेंस सही नहीं है। स्कूल के शिक्षक उसके स्कूल न आने की शिकायत भी कर रहे हैं। एक दिन उन्होंने सुस्त हालत में देखा। उसके पास पड़े डस्टबीन में फ्लयूड की दो बोतलें पड़ी थी। इस बच्चे की छह हफ्ते के लिए डॉक्टरों द्वारा कांउसलिंग की जा रही है।

डॉक्टर चिंतित
मनोचिकित्सक अस्पताल के डॉक्टर मनु अरोड़ा का कहना है कि पहले ये बीमारी युवाओं या स्ट्रीटचाइल्ड में थी। लेकिन अब अच्छे घरों के बच्चे इसके शिकार हो रहे हैं। पहले दो महीने में कोई एक केस अस्पताल आता था। लेकिन अब रोजाना इसके मरीज आ रहे हैं। इसमें 8 से 14 वर्ष के बच्चे शामिल हैं(अजय मीनिया,दैनिक भास्कर,जम्मू,12.2.11)।

4 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामीफ़रवरी 12, 2011

    बहुत ही चिन्ताजनक है यह तो!

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  2. प्‍लेटफार्म पर दिखाई देता था यह.

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  3. नशे का क्या करें....इनका उत्तर कहाँ है.....पिटा-माता अपना भोजन सही रखें और सही रास्ते से कमाए हुए धन का उपयोग करें....तो क्या पता फर्क पड़े आने वाली नस्ल पे...

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