मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

सौंदर्य-चिकित्सा के नए आयाम

चेहरे की ढीली स्किन, झुर्रियाँ एवं चमक खोती त्वचा किसी भी व्यक्ति को चिंतित कर सकती है। आधुनिकता के इस दौर में सभी ढलती उम्र में भी जवान, फिट एवं तरोताजा दिखना चाहते हैं। वह भी किसी तकलीफदायक सर्जरी से गुजरे बिना। चेहरे एवं शरीर की ढीली त्वचा में कसावट लाने एवं अनचाही चर्बी को कम करने की नई तकनीकें उपलब्ध हैं कॉस्मेटोलॉजी विज्ञान के नए आविष्कारों द्वारा यहाँ काफी हद तक संभव हो गया है। एसपीआरएफ एक नई तकनीक है, जिसमें नॉन लेसर सुपर-पल्स करंट त्वचा के नीचे फोकस किया जाता है, इससे कुछ सेकंडों के लिए तापमान ५०-६० डिग्री से. तक बढ़ जाता है। इससे नई कोशिकाएँ एवं ऊतकों का निर्माण शुरू हो जाता है, त्वचा उत्तेजित होती है।

कुछ ही हफ्तों की सिटिंग्स में बारीक झुर्रियाँ एवं ढीली त्वचा बेहतर दिखने लगती हैं। इस तरह की झुर्रियों को डायनामिक रिंकल्स कहते हैं। कुछ मशीनों में सुपर पल्स करंट के साथ-साथ वैक्यूम भी होने से यह और अच्छे परिणाम देता है।

कहाँ उपयोगी है
यह मुख्यतः आँखों के नीचे की झुर्रियों, ठोढ़ी की लटकती त्वचा (डबल चिन) एवं गोल उभरे हुए गालों को चपटा करने के लिए उपयोगी है। साथ ही लटकती हुई पलकों को भी बिना ऑपरेशन के बेहतर किया जा सकता है।

बोटॉक्स एवं न्यूरोन्स
इंजेक्शन पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रचलित एंटी रिंकल ट्रीटमेंट है। यह मुख्यतः बड़े एवं मुश्किल से जाने वाली झुर्रियों के लिए उपयोगी है। पूर्व में यह बहुत महँगा होता था, लेकिन अब लगातार शोध एवं विकास तकनीकों के चलते यह किफायती हो गया है। बोटॉक्स में चेहरे की मसल्स को शिथिल कर देने का गुण होता है, जिससे मसल्स से जुड़ी ऊपरी त्वचा एवं झुर्रियाँ अपने आप टाइट हो जाती हैं। इसे त्वचा के ऊपर से बहुत ही बारीक एवं दर्दरहित इंजेक्शन निडल द्वारा डाला जाता है। साधारणतः इस प्रक्रिया में १५-२० मिनट का समय लगता है। इसका असर ६-८ माह तक ही रहता है, परंतु अब बोटॉक्स के साथ-साथ अन्य तकनीकें जैसे फिलर्स, लेजर, फेशियल आदि जोड़ने से त्वचा काफी लंबे समय तक टाइट एवं चमकदार दिखती है। बोटॉक्स के बारे में बहुत सी भ्रांतियां एवं डर व्याप्त होने के कारण अधिकतर लोग इसे नहीं लेना चाहते हैं। परन्तु,वास्तविक तौर पर बोटॉक्स का साईड इफेक्ट काफी ज्यादा काफी ज़्यादा डोज(600-700 यूनिट्स के ऊपर)देखे जाते हैं जबकि चेहरे पर मात्र 50-40 यूनिट्स का ही उपयोग होता है जो बिल्कुल सुरक्षित है।

लेजर फेशियल
यह पूर्णतः ऑपरेशनरहित तकनीक है जिसमें टीपीएल लेजर एवं क्यू स्विच लेजर का उपयोग किया जाता है। ये लाईट की किरणें त्वचा के भीतर जाकर नए ऊतकों के निर्माण को प्रेरित करती है। ये लाईट की किरणें त्वचा के भीतर जाकर नए ऊतकों के निर्माण को प्रेरित करती है। साथ ही,रंग बनाने वाली कोशिकाएं मेलेनो साइट्स को कम करती हैं,जिससे त्वचा का रंग साफ एवं चमकदार होने लगता है। पूर्णतः नॉन-सर्जिकल होने से यह तकनीक पूरी तरह सुरक्षित एवं दर्दरहित होती है। इसके असर को काफी महीनों तक देखा जाता है। अधिक सिटिंग्स देने पर यह चेहरे के गड्ढों पर भी असर करती है।



देसी नुस्खे
ड्राय स्किन : सूखी त्वचा की देखभाल के लिए बादाम का पेस्ट सबसे मुफीद माना जाता है। दस बादाम का पेस्ट बनाएँ और उसमें दो चम्मच शहद डालें। इससे चेहरे का ५-७ मिनट तक मसाज करें, चेहरा कुनकुने पानी से धोएँ। थपथपाकर सुखा लें।

तैलीय त्वचा : तैलीय त्वचा की साफ-सफाई के लिए आपको हल्के क्लीन्जर की जरूरत है ताकि मृत त्वचा और धूल-मिट्टी साफ की जा सके। पके हुए पपीते का गूदा भी क्लीन्जर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। 

मॉइस्चराइजिंग : जिस तरह गर्मियों के मौसम में त्चचा को मॉइस्चराइज करना जरूरी होता है उसी तरह बारिश में भी जरूरत होती है। बारिश का पानी सूखी त्वचा से रहा सहा तेल भी खींच लेता है, इसी तरह तैलीय त्वचा को अतिरिक्त तरीके से पानी से भर भी सकता है। होता यह है कि बारिश में चेहरा बार-बार भीगता है और सुखाया जाता है। इस प्रक्रिया में त्वचा की नमी के साथ तेल भी निकल जाता है। यही वजह है कि बारिश में त्वचा पर खुजली होती है। ऐसे में पानी रहित मॉइस्चराइजर का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। 

सूखी त्वचा के लिए एक चम्मच शहद, एक चम्मच दही और एक चम्मच जोजोबा ऑइल मिला लें। इसे चेहरे और गरदन पर लगाएँ। १० मिनट तक रहने दें फिर खूब सारे गुनगुने पानी से धो लें। तैलीय और मिश्रित त्वचा पर दो चम्मच गुलाब जल में दो बू्‌ँदे स्ट्राबेरी ऑइल की मिला दें। साथ में फ्रेश ऑरेंज ऑइल भी मिलाएँ। चेहरे और गरदन पर १० मिनट के लिए रखें फिर धो लें(डॉ. अनिल सोनी,सेहत,नई दुनिया,फरवरी द्वितीयांक 2011)।

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