गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

सर्वांगासन है अनेक मर्ज़ों की दवा

यदि आप मानसिक तनाव महसूस करते हैं। निराशा, हताशा एवं चिंताएं आदि समस्याएं सताती रहती हैं, तो प्रतिदिन योगासन करें। योगासन मन को शांति देता और स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक रहता है। साथ ही योग से आंखों की रोशनी और चेहरे की चमक भी बढ़ती है। सर्वांगासन आंखों और चेहरे के लिए काफी फायदेमंद है। इसका नियमि अभ्यास करें।

सर्वांगासन की विधि
किसी सुविधाजनक स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर शवासन में लेट जाएं। अपने दोनों हाथों को जांघों की बगल में तथा हथेलियों को जमीन पर रखें। पैरों को घुटनों से मोड़कर ऊपर उठाइएं तथा पीठ को कंधों तक उठाइएं। दोनों हाथ कमर के नीचे रखकर शरीर के उठे हुए भाग को सहारा दीजिएं। इस तरह ठुड्डी को छाती से लगाए रखें। अब सांस को रोके नहीं स्वाभाविक रूप से चलने दें।

यथाशक्ति पैर और धड़ को एक सीध में रखें। इस स्थिति में रुकने के बाद, पैरों को जमीन पर वापस ले आएं। पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए घुटनों को माथे के पास ले आएं। हाथों को जमीन रखते हुये शरीर और पैरों को धीरे-धीरे वापस शवासन में आ जाएं। अब शवासन में शरीर को शिथिल अवस्था में आ जाएं। आसन करते समय आंखों को खुला रखें।

सावधानियां -  
जल्दबाजी एवं हड़बड़ाहट में यह आसन न करें। इस आसन का अभ्यास पीठ दर्द, कमर दर्द, नेत्र रोगी और उच्च रक्तचाप के रोगी ने करें।

लाभ- 
इसके नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव, निराशा, हताशा एवं चिंताएं आदि रोगों का नाश होता है। इससे आखों का तेज बढ़ता है और चेहरा कांतिमय बनता है। स्त्रियों के स्वास्थ में इस आसन से विशेष लाभ होता है । स्त्रियों की मासिक धर्म से जुड़ी बीमारियों में राहत मिलती है। सर्वांगासन से शरीर के उन अंगों से रक्त संचार होने लगता है जहां रक्त संचार कम होता है। शरीर का प्रत्येक अंग स्वस्थ हो जाता है। इस आसन के प्रभाव से चेहरे पर झाइयां नहीं पड़ती हैं। लम्बी उम्र तक चेहरे पर चमक बनी रहती है। समय से पूर्व बाल सफेद नहीं होते हैं। नेत्र ज्योति अंत तक बनी रहती है। इस आसन के करने से मानसिक तनाव दूर होता है। क्रोध और चिड़चिडा़पन दूर होता है। बच्चों के बौद्धिक विकास में यह आसन विशेष लाभदायक है। इसके करने से मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियां जाग्रत होती हैं तथा सतोगुण की वृद्धि होती है(दैनिक भास्कर,उज्जैन,16.2.11)।

2 टिप्‍पणियां:

  1. उपयोगी आसन की जानकारी के लिए आभार.....

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  2. आज के समय में योग की आवश्यकता सबसे अधिक है । बहुत ही काम की जानकारी दी आपने राधारमण जी शुक्रिया

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