घग्गर नदी के जहरीले पानी ने पंजाब के संगरूर जिले के लोगों की जिंदगी तबाह कर दी है। नदी किनारे बसे गांवों के पानी में आर्सेनिक व फ्लोरीन की मात्रा बीमारियों व मौतों का कारण बन रही है। रायधराना व शादी हरी गांव के पानी में आर्सेनिक व फ्लोरीन मिलने की पुष्टि हो चुकी है और यहां हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी बीमारी की चपेट में है। स्वास्थ्य विभाग से घग्गर के नजदीक के गांवों के पानी संबंधी जानकारी मांगी गई थी। जिले के सिविल सर्जन ने 26 मई 2010 को स्वास्थ्य निदेशक को भेजे पत्र में स्पष्ट किया गया कि उक्त गांवों के पानी में आर्सेनिक व फ्लोरीन मिला हुआ है, जिस वजह से गांवों का पानी पीने योग्य नहीं है। शादी हरी व रायधराना गांव के हालात रोंगटे खड़े करने वाले हैं। गांव के 90 प्रतिशत लोग दांत व घुटनों के दर्द से पीडि़त हैं। 25 साल पहले शादी होकर गांव आई रोशनी बेगम की जिंदगी एक बिस्तर तक सिमटी है, हाथ पूरी तरह से मुड़ चुके हैं और वह ठीक होने की उम्मीद लगाए मसीहा की तलाश में है। हमेशा गांव निवासियों के दुख दर्द में शरीक होने वाला 50 वर्षीय कपूर सिंह भी पिछले तीन साल से बिस्तर पर अपनी जिंदगी बसर कर रहा है। बीमारी के चलते उसकी दोनों टांगें कट गईं और अब अधरंग के अटैक ने उसे बिस्तर तक सीमित कर दिया है। दोनों गांवों में दो दर्जन के करीब लोग कैंसर से पीडि़त हैं। कई परिवार ऐसे भी हैं, जिनके यहां अगली पीढ़ी ने जन्म नहीं लिया। यानी प्रजनन क्षमता भी क्षीण हो गई है। सूचना अधिकार कानून के क्षेत्र में सक्रिय संकल्प नामक संस्था के प्रधान जतिंदर जैन ने आशंका जताई कि कारखानों के विषैले कचरे और प्रदूषित जल से घग्गर नदी और आसपास का भूजल जहरीला हो रहा है। सिविल सर्जन डा. नीलम बजाज ने गांवों में आर्सेनिक व फ्लोरीन मिलने की पुष्टि करते हुए कहा, पानी को फ्लोरीन व आर्सेनिक रहित करने का कोई तरीका नहीं है। इसलिए ग्रामीणों से एहतियात रखने की अपील की गई है और गांव में पानी के सैंपल भी लिए जाते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि आर्सेनिक युक्त पानी से कई गंभीर बीमारियां फैल सकती हैं। इस बारे में बात करने पर डिप्टी कमिश्नर हरकेश सिंह सिद्धू ने स्वीकार किया कि ऐसी बीमारियां दो नहीं, कई गांवों में हैं लेकिन साथ ही वे यह भी कहते हैं कि इलाके में पानी के सैंपल लिए गए थे, जो सही मिले हैं(सचिन धनजस,दैनिक जागरण,संगरूर,1.2.11))।
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