बुधवार, 12 जनवरी 2011

मीठा और स्वास्थ्य

मीठा बोलना सेहत के लिए अच्छा होता है और मीठा खाना भी अधिकांश लोगों को भाता है, लेकिन सच यह है कि जरूरत से ज्यादा मीठा खाना सेहत को कई मुसीबतों की चपेट में ला देता है। प्राकृतिक तौर पर संतुलित मीठा ही सेहत के लिए आदर्श होता है, लेकिन इस संतुलन को बनाए रखने की जानकारी जरूरी है और साथ ही शुगर फ्री का दावा ठोंकने वाली आर्टिफिशियल शुगर के बारे में भी सावधानी बरतनी चाहिए। बता रही हैं निशी भाटः

जायका बढ़ाने में कारगर मीठी चीजों का सेवन डाइट प्लान को चौपट कर सकता है। अधिक शुगर से होने वाले नुकसान को देखते हुए लगभग एक दशक पहले शुगर फ्री उत्पाद लांच किए गए, लेकिन एफडीए के हालिया अध्ययन कहते हैं कि कम कैलोरी का दावा करने वाले शुगर फ्री उत्पाद ही वजन बढ़ाने के लिए अधिक कारगर माने गए हैं, जो शरीर में पहुंचने वाले कैलोरी को तो नियंत्रित रखते हैं, लेकिन इनसे एनर्जी नहीं मिलती, इसलिए व्यक्ति को पेट भरने का एहसास ही नहीं होता, जिससे सीधे वजन बढ़ जाता है। इसलिए शुगर फ्री को समझना जरूरी है।

क्यों जरूरी शुगर
प्राकृतिक रूप में उपलब्ध लगभग सभी उत्पाद में शुगर की निर्धारित मात्र होती है, लेकिन चीनी या स्टार्ज को ग्लूकोज के रूप में ऊर्जा देने वाले काबरेहाइड्रेट का सबसे बेहतर स्नोत माना जाता है। शुगर से मिलने वाली कैलोरी या ग्लूकोज को रक्त में उपस्थित बीटा सेल्स रिसेस्टर ग्रहण करते हैं और ऊर्जा का निर्माण करते हैं। यही अतिरिक्त कैलोरी या शुगर इंसुलिन को अनियंत्रित भी कर सकती है। इसलिए कोलेस्ट्रॉल के साथ ही शरीर में शुगर की भी निर्धारित मात्रा पहुंचनी चाहिए। किस आयु वर्ग के व्यक्ति को शुगर की कितनी मात्र लेनी चाहिए, हालांकि इसका अभी निर्धारण नहीं किया गया है। इसके बावजूद, यूनाइडेड स्टेट डेवलपमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के अनुसार रोजाना ली जाने वाली कैलोरी में शुगर से मिलने वाली कैलोरी का हिस्सा केवल 8 प्रतिशत होना चाहिए, जिससे वजन और रक्त-ग्लूकोज को नियंत्रित रखा जा सकता है।

अप्रत्यक्ष शुगर अधिक
बाजार में उपलब्ध संरक्षित खाद्य पद्धार्थ जैसे सॉस, टेमेटो केचअप, कुकीज और बेकरी उत्पाद के अलावा आइसक्रीम और चॉकलेट के रूप में अनजाने में ही अधिक मात्र में शुगर रक्त में पहुंच जाती है, जिसे अप्रत्यक्ष इंटेक ऑफ शुगर कहा जाता है। विशेषज्ञों की माने तो ब्राउन शुगर, व्हाइट शुगर और लो कैलोरी उत्पाद का विकल्प लेकर शुगर के प्रति सचेत रहा जा सकता है। हालांकि शुगर के साथ ही विटामिन सी की नियंत्रित मात्र शुगर के प्रभाव को कम कर सकती है, जिसे शरीर के डब्लूबीसी (सफेद रक्त कणिकाएं) को मजबूत करने के लिए जरूरी माना जाता है।

शुगर फ्री की गफलत में नुकसान न उठाएं
शुगर में उपस्थित अधिक काबरेहाइड्रेट की मात्रा को देखते हुए प्रमुख चार तरह के शुगर फ्री उत्पाद बाजार में उपलब्ध हैं, जिनमें एस्पारटेमाइन, सैकरीन, साइक्लेमेट व सुक्रोलोज के रूप में जाना जाता है, जिनमें सबसे अधिक एस्पारटेमान शुगर फ्री का बाजार सबसे अधिक है। विशेषज्ञों की मानें तो आर्टिफिशियल मीठे का विकल्प सेहत के लिए बेहतर नहीं है, यह मोटापा कम करने की जगह उसे बढ़ाने में सहायक हो रहे हैं। इसका कारण कि इस तरह की शुगर क्योंकि शुगर फ्री होती है, इसलिए इनसे मिलने वाली कैलोरी से पेट भरने या ऊर्जा के उपयोग का एहसास नहीं होता और व्यक्ति भूख के प्रति अचेत होकर अधिक कैलोरी ले लेता है। इसलिए किस शुगर फ्री को लिया जाए, यह जानना जरूरी है।

बेहतर हैं ये मीठे के स्वाद
स्टीविया: प्राकृतिक रूप में उपलब्ध स्टीविया को कैमिकल मुक्त नये तरह के शुगर फ्री उत्पाद की श्रेणी में रखा गया है। इसका उपयोग रक्त ग्लूकोज पर किसी तरह का प्रभाव नहीं डालता, उच्च रक्तचाप व मोटापा कम करने में भी स्टीविया का उपयोग बेहतर है।

प्रोसेस्ड शहद: शहद को हालांकि शुगर फ्री नहीं कहा जा सकता। इसके बावजूद प्रोसेस्ड हनी में रक्त के ग्लूकोज स्तर को नियंत्रित रखने वाले गुण माने गए हैं। शहद को गरम पानी के लिए इस्तेमाल करना बेहतर बताया गया है, जबकि अकेले एक टी स्पून में 500 कैलोरी होती है।

ब्राउन शुगर: शुगर फ्री का नया विकल्प ब्राउन शुगर हो सकता है, जिसमें काबरेहाइड्रेट की मात्रा सामान्य शुगर की अपेक्षा कम होती है। रक्त में ग्लूकोज स्तर को नियंत्रित रखने के लिए ब्राउन शुगर अब बेकरी उत्पादों में इस्तेमाल किया जाने लगा है।

नोट : इसके अलावा, नियमित डाइट में कोलेस्ट्रॉल की कमी और अधिक फाइबर युक्त चीजों को इस्तेमाल कर शरीर में पहुंचने वाली अतिरिक्त कैलोरी को नियंत्रित किया जा सकता है, जबकि ध्यान रहे कि पुरुषों के लिए 1800 व महिलाओं के लिए 1500 नियमित कैलोरी बताई गई, इससे कम कैलोरी भी सही नहीं।

क्या करें गर्भवती महिलाएं
गर्भवती महिलाओं को डायबिटीज होने पर, कुल कैलोरी का 15 से 20% वसायुक्त भोजन से ग्रहण करना चाहिए। इस लिहाज से खाने में जैतून और सरसों का तेल, बादाम और अखरोट को शामिल करना चाहिए। लेकिन तर-भोजन, जैसे वनस्पति, देसी घी, तला खाना, पेस्ट्री वगैरह से परहेज़ करना चाहिए। डायबिटीज से बचने के लिए महिलाओं को हर तीन-चार घंटे के बाद कुछ न कुछ जरूर खाना चाहिए। मतली और मॉर्निग सिकनैस का असर घटाने के लिए सुबह-सुबह काबरेहाइड्रेट से भरपूर स्नैक्स लेने चाहिए, लेकिन तले-भुने मसालेदार खाने से उन्हें दूर रहना चाहिए(हिंदुस्तान,दिल्ली,11.1.11)।

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