शनिवार, 1 जनवरी 2011

बच्चों में फायमॉसिसःसमस्या और समाधान

स्मेग्मा क्या है?
प्रिप्युस के प्राकृतिक रूप से खुलने की प्रक्रिया के दौरान कभी-कभी चमड़ी और लिंग के मध्य पुट्टी के जैसा सफेद पदार्थ जमा हो जाता है। अक्सर पालक इसे मवाद या वीर्य समझकर भयभीत हो जाते हैं। दरअसल, यह चमड़ी की झड़ती हुई कोशिकाओं से बना होता है, जिसे स्मेग्मा कहते हैं।

सरकम सीजन क्या है?
यदि फायमॉसिस की वजह से बालक को समस्याएँ हो रही हों तो निश्चेतना की अवस्था में प्रिप्युस की चमड़ी को सावधानीपूर्वक काटकर निकाल दिया जाता है। इससे उसके लिंग का अग्रभाग स्थायी रूप से खुला रहता है और उसे पेशाब संबंधी या (युवावस्था में) संभोग संबंधी कोई समस्या नहीं होती है। आजकल यह ऑपरेशन "डे केयर सर्जरी" के रूम में किया जाता है और बालक को ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद ही छुट्टी दे दी जा सकती है।

फायमॉसिस कब एक समस्या है?
१. मूत्र में जलन या मवाद का आना।

२. लिंग के अग्र भाग में सूजन या खुजली होना।

३. मूत्र के समय चमड़ी का फूलना।

४. पतली धार या बूँद-बूँद कर मूत्र गिरना।

उपरोक्त में से किसी समस्या के न होने पर भी यदि बालक की आयु ३-४ वर्ष से अधिक हो, तब भी इसे असामान्य माना जाता है, क्योंकि इस आयु के बाद प्राकृतिक रूप से चमड़ी खुल जाने की संभावना कम होती जाती है। बाल्यावस्था में ही इस समस्या का निदान एवं उचित उपचार न होने पर कभी-कभी पुरुष युवावस्था में संभोग संबंधी समस्या या फिर वृद्धावस्था में कैंसर जैसी समस्या का सामना कर सकते हैं।

क्या करें?
हर उम्र के शिशु की चमड़ी पूर्ण रूप से खुल जाना आवश्यक नहीं है। यदि शिशु की उम्र ३-४ वर्ष से कम है और उसे पेशाब या लिंग संबंधी कोई तकलीफ नहीं है तो ऐसे फायमॉसिस के लिए सामान्य देखभाल (चिकित्सक की सलाह) ही पर्याप्त है।

क्या न करें?
स्मेग्मा को मवाद समझकर उस पर डेटॉल या अन्य कोई दवा न लगाएँ। भूलकर भी चमड़ी को जोर लगाकर खोलने का प्रयत्न न करें। यह बालक के लिए काफी दर्दनाक होता है और इसके कारण सूजन आने की वजह से चमड़ी अधिक गंभीर रूप से चिपक सकती है। इसे पैथॉलॉजिकल फायमॉसिस कहा जाता है(डॉ. राहुल तनवानी,सेहत,नई दुनिया,दिसम्बर,2010 तृतीय अंक)।

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