आधुनिक चिकित्सा विज्ञान प्रति सेकंड की दर से प्रगति कर रहा है। नित नए उपकरण, औषधियाँ और इलाज खोजे जा रहे हैं। वह दिन दूर नहीं जब इंसान कभी भी बीमारी के कारण नहीं मरेगा। मरीजों को सुख- सुविधा पहुँचाने के लिए उपकरणों में लगातार सुधार हो रहे हैं। जीन थैरेपी, स्टेमसैल थैरेपी, कांबिनेशन ड्रग थैरेपी अब बहुत दूर की बात नहीं रह गई है। स्टेमसेल थैरेपी तो देश के चुनिंदा, सेंटरों पर उपलब्ध भी है।
चिकित्सा विज्ञान की नई खोजें मरीज का जीवन और आसान बनाने के लिए की जा रही हैं। मानव समाज की आम बीमारियों जैसे दिल की बीमारियाँ, डायबिटीज, कैंसर, बुढ़ापे से संबंधित बीमारियाँ, टीबी आदि के नए इलाज सामने आए हैं। दिल की बीमारियों में प्रमुख हैं- धमनियों में थक्के जमना। थक्के खराब कोलेस्ट्रॉल की वजह से जमते हैं।
स्टेटिन्स : स्टेटिन्स कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली औषधियाँ हैं। इससे दिल के दौरे पड़ने तथा मस्तिष्क के दौरे पड़ने की समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
कार्डियक स्टेंट्स : दिल की धमनियों में जमे थक्कों के कारण हर साल असंख्य जानें जाती हैं। कई सालों से कार्डियक स्टेंट्स यानी स्टेनलैस स्टील की जाली लगाना इस समस्या का कारगर उपाय माना जाता है। सिर्फ अमेरिका में ही हर साल लाखों मरीजों को कार्डियक स्टेंट्स डाले जाते हैं। कार्डियक स्टेंट्स को लेकर हर साल नए शोध सामने आ रहे हैं। अब दवा छोड़ने वाले ड्रग एल्यूटिंग स्टेंट्स भी देश में मिल रहे हैं। अकेले स्टेंट्स की बदौलत दिल के दौरों से मरने वालों में ४० प्रतिशत तक कमी आई है।
मिनिमल इन्वेसिव सर्जरी : माइक्रो सर्जरी के क्षेत्र में कई बदलाव आए हैं। मरीज के शरीर की कम से कम चीरफाड़ की जाती है। सर्जरी करने के लिए लंबे चीरे लगाना अब अतीत की बात हो गई है। मुँह अथवा मल-मूत्र द्वार के जरिए या छोटे से छेद में से सर्जरी के उपकरण शरीर में पहुँचाकर ऑपरेशन किए जा रहे हैं। इससे मरीज की रिकवरी तेजी से होती है तथा कार्य घंटों का नुकसान नहीं होता।
जाँच उपकरण : सीटी स्कैन, एमआरआई की आधुनिक मशीनें अब देश में कई सेंटरों पर काम कर रही हैं। मस्तिष्क सहित पूरे शरीर की चार आयामी अनुकृति कम्प्यूटर पर गढ़ी जा रही है। ब्रेन मैपिंग के जरिए मस्तिष्क के छुपे हुए अनजान रहस्यों की जानकारी हासिल की जा रही है।
चिकित्सा के क्षेत्र में रोबोट : सर्जरी के अलावा कई प्रोसीजर्स में अब देश के कई सेंटरों पर रोबोट्स की मदद ली जाने लगी है। जिन ऑपरेशंस में बहुत सटीक शल्यक्रिया की जरूरत होती है वहाँ रोबोट कारगर साबित होते हैं। रोबोट्स बहुत एक्यूरेसी के साथ सर्जरी कर सकते हैं। रोबोट की मदद से दिल में गहरे टाँके लगाए जा सकते हैं तथा कैंसर की गठान निकालते समय स्वस्थ एवं प्रभावित क्षेत्र का फर्क आसानी से कर सकते हैं।
जीन थैरेपी : यद्यपि यह भविष्य की इलाज पद्धति कही जा रही है, लेकिन बहुत दूर भी नहीं है। मानव जीन का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। कैंसर के मरीजों के लिए टारगेट थैरेपी तय करने में जीनोम की मदद ली जाएगी। जीन मैपिंग की पूरी संभावनाओं को खोजने के लिए वैज्ञानिकों में अब तक चर्चा हो रही है। जिनोम से यह जानने में मदद मिलेगी कि कौन-सा मरीज किस दवा के कारण ठीक हो सकेगा। चिकित्सक अब मरीज की किसी खास बीमारी के लिए कारगर होने वाली उसकी व्यक्तिगत दवा खोज सकेंगे। वे जिनोम के जरिए यह तक बता सकेंगे कि किस व्यक्ति को भविष्य में कौन-सी बीमारी होने की आशंका है।
स्टेमसेल थैरेपी : चिकित्सा की यह पद्धति अभी विवादित है और शैशवावस्था में है। एक दिन यह जीन थैरेपी जितनी ही कारगर चिकित्सा पद्धति के रूप में प्रतिष्ठित होगी। इससे कई असाध्य बीमारियाँ ठीक हो सकेंगी। संभव है कि इससे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का चेहरा ही पूरी तरह बदल जाए।
कांबिनेशन ड्रग थैरेपी : एचआईवी संक्रमित मरीजों के लिए औषधियों पर किए जा रहे शोध के दौरान दवाओं के कई कांबिनेशन की खोज हो सकी है। सम्मिलित दवाओं के असर से २००६-०८ के बीच एचआईवी संक्रमित मरीजों की मौत में १० प्रतिशत की कमी आई है।
कैंसर के इलाज की नई औषधियाँ
कैंसर के इलाज की नई औषधियाँ अब न सिर्फ कैंसरग्रस्त सेल पर प्रहार करती हैं बल्कि उनकी ब्लड सप्लाए भी रोक देती हैं। इन औषधियों की वजह से कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी परिवर्तन आ रहे हैं। हरसेप्टीन नामक दवा स्तन कैंसर के एक विशेष तरह के कैंसर कारक जीन को नष्ट करती है। हरसेप्टीन से २५ प्रतिशत स्तन कैंसरग्रस्त महिलाओँ को फायदा पहुंचा है। इसी तरह एक दूसरी औषधि है ग्लीवेक जो जिनेटिक म्यूटेशन पर हमला करती है।
आईटी : इन्फॉरमेशन टैक्नोलॉजी से मरीज और चिकित्सक दोनों फायदा उठा रहे हैं। इंटरनेट और पीडीएस जैसे अन्य संचार माध्यमों के जरिए मरीज से संबंधित सूचनाओं का तेजी से आदान प्रदान हो रहा है। स्मार्ट फोन्स एवं अन्य संचार उपकरणों के जरिए मरीज २४ घंटे चिकित्सक की निगरानी में रह सकता है। इसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरुरत नहीं है। मरीज के दिल की धड़कनों की गति, ध्वनि, पसीना, रक्तचाप, शर्करा की उपस्थिति आदि रीयल टाइम में चिकित्सक के पास उपलब्ध रहेगी। मरीज के कपड़ों में ट्रांसड्यूसर्स लगाकर उसकी मॉनिटरिंग की जा सकेगी। यद्यपि यह सब अभी शोध के स्तर पर है लेकिन इन्हें सच्चाई में तब्दील होने में अधिक देर भी नहीं है। इस संभावना पर भी शोध किए जा रहे हैं कि मरीज की त्वचा के नीचे औषधियों के कैप्सूल लगाए जा सकते हैं जो चिकित्सक द्वारा रिमोट संकेत मिलते ही सुनिश्चित मात्रा में औषधि सीधे रक्त में पहुंचा देंगे। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के शोध आने वाले वर्षों में चिकित्सा का चेहरा पूरी तरह बदलकर रख देंगे(डॉ. मोहित भंडारी,सेहत,नई दुनिया,दिसम्बर 2010 तृतीय अंक)।
जीन थैरेपी : यद्यपि यह भविष्य की इलाज पद्धति कही जा रही है, लेकिन बहुत दूर भी नहीं है। मानव जीन का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। कैंसर के मरीजों के लिए टारगेट थैरेपी तय करने में जीनोम की मदद ली जाएगी। जीन मैपिंग की पूरी संभावनाओं को खोजने के लिए वैज्ञानिकों में अब तक चर्चा हो रही है। जिनोम से यह जानने में मदद मिलेगी कि कौन-सा मरीज किस दवा के कारण ठीक हो सकेगा। चिकित्सक अब मरीज की किसी खास बीमारी के लिए कारगर होने वाली उसकी व्यक्तिगत दवा खोज सकेंगे। वे जिनोम के जरिए यह तक बता सकेंगे कि किस व्यक्ति को भविष्य में कौन-सी बीमारी होने की आशंका है।
स्टेमसेल थैरेपी : चिकित्सा की यह पद्धति अभी विवादित है और शैशवावस्था में है। एक दिन यह जीन थैरेपी जितनी ही कारगर चिकित्सा पद्धति के रूप में प्रतिष्ठित होगी। इससे कई असाध्य बीमारियाँ ठीक हो सकेंगी। संभव है कि इससे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का चेहरा ही पूरी तरह बदल जाए।
कांबिनेशन ड्रग थैरेपी : एचआईवी संक्रमित मरीजों के लिए औषधियों पर किए जा रहे शोध के दौरान दवाओं के कई कांबिनेशन की खोज हो सकी है। सम्मिलित दवाओं के असर से २००६-०८ के बीच एचआईवी संक्रमित मरीजों की मौत में १० प्रतिशत की कमी आई है।
कैंसर के इलाज की नई औषधियाँ
कैंसर के इलाज की नई औषधियाँ अब न सिर्फ कैंसरग्रस्त सेल पर प्रहार करती हैं बल्कि उनकी ब्लड सप्लाए भी रोक देती हैं। इन औषधियों की वजह से कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी परिवर्तन आ रहे हैं। हरसेप्टीन नामक दवा स्तन कैंसर के एक विशेष तरह के कैंसर कारक जीन को नष्ट करती है। हरसेप्टीन से २५ प्रतिशत स्तन कैंसरग्रस्त महिलाओँ को फायदा पहुंचा है। इसी तरह एक दूसरी औषधि है ग्लीवेक जो जिनेटिक म्यूटेशन पर हमला करती है।
आईटी : इन्फॉरमेशन टैक्नोलॉजी से मरीज और चिकित्सक दोनों फायदा उठा रहे हैं। इंटरनेट और पीडीएस जैसे अन्य संचार माध्यमों के जरिए मरीज से संबंधित सूचनाओं का तेजी से आदान प्रदान हो रहा है। स्मार्ट फोन्स एवं अन्य संचार उपकरणों के जरिए मरीज २४ घंटे चिकित्सक की निगरानी में रह सकता है। इसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरुरत नहीं है। मरीज के दिल की धड़कनों की गति, ध्वनि, पसीना, रक्तचाप, शर्करा की उपस्थिति आदि रीयल टाइम में चिकित्सक के पास उपलब्ध रहेगी। मरीज के कपड़ों में ट्रांसड्यूसर्स लगाकर उसकी मॉनिटरिंग की जा सकेगी। यद्यपि यह सब अभी शोध के स्तर पर है लेकिन इन्हें सच्चाई में तब्दील होने में अधिक देर भी नहीं है। इस संभावना पर भी शोध किए जा रहे हैं कि मरीज की त्वचा के नीचे औषधियों के कैप्सूल लगाए जा सकते हैं जो चिकित्सक द्वारा रिमोट संकेत मिलते ही सुनिश्चित मात्रा में औषधि सीधे रक्त में पहुंचा देंगे। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के शोध आने वाले वर्षों में चिकित्सा का चेहरा पूरी तरह बदलकर रख देंगे(डॉ. मोहित भंडारी,सेहत,नई दुनिया,दिसम्बर 2010 तृतीय अंक)।
सार्थक जानकारी………
जवाब देंहटाएंलेख से इतर………
आपको तो सदैव ही हमारी शुभकामनाएं रहती है यह पाश्चात्य नव-वर्ष का प्रथम दिन है, अवसरानुकूल है आज शुभेच्छा प्रकट करूँ………
आपके हितवर्धक कार्य और शुभ संकल्प मंगलमय परिपूर्ण हो, शुभाकांक्षा!!
आपका जीवन ध्येय निरंतर वर्द्धमान होकर उत्कर्ष लक्ष्यों को प्राप्त करे।