पैनिक डिसऑर्डर एक ऐसा मनोरोग रोग है जिसमें किसी बाहरी खतरे की शंका भर होने से विभिन्न शारीरिक लक्षण,जैसे-दिल की धड़कन का असामान्य हो जाना, चक्कर आना, भयग्रस्त होना आदि सामने आते हैं। ये घबराहट के दौरे तब होते हैं जब मनुष्य में किसी खतरे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने की सामान्य मानसिक प्रक्रिया अप्रत्याशित रूप से जाग जाती है। गाड़ी चलाते वक्त, शॉपिंग, भीड़-भाड़ वाली जगह पर, सीढ़ियाँ चढ़ते वक्त आदि में अगर किसी को एक बार पैनिक अटैक आ जाए तो पीड़ित के अंदर डर समा जाता है। फिर वह ऐसी अवस्थाओं का सामना करने से कतराने लगता है और धीरे-धीरे उसमें डर बैठ जाता है। पीड़ित को यह डर भी सताता है कि अगले दौरे का सामना कभी भी करना पड़ सकता है। पैनिक डिसऑर्डर एक ऐसा मनोरोग रोग है जिसमें किसी बाहरी खतरे की शंका भर होने से विभिन्न शारीरिक लक्षण जैसे दिल की धड़कन का असामान्य हो जाना, चक्कर आना, भयग्रस्त होना आदि सामने आते हैं। ये घबराहट के दौरे तब होते हैं जब मनुष्य में किसी खतरे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने की सामान्य मानसिक प्रक्रिया अप्रत्याशित रूप से जाग जाती है। गाड़ी चलाते वक्त, शॉपिंग, भीड़-भाड़ वाली जगह पर, सीढ़ियाँ चढ़ते वक्त आदि में अगर किसी को एक बार पैनिक अटैक आ जाए तो पीड़ित के अंदर डर समा जाता है। भविष्य में होने वाली अनहोनी के खयाल का खौफ अधिकतर समय मन में मौजूद रहता है और व्यक्ति के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। बच्चों में पैनिक अटैक होने से उनका स्वास्थ्य गिरने लगता है। वे स्कूल जाने से कतराने लगते हैं और उनके मन में आत्महत्या आदि के विचार आने लगते हैं।
पैनिक अटैक के लक्षण
बढ़ती दिल की धड़कन, छाती में दर्द, पेट में मरोड़, चक्कर आना या उल्टी होना, साँस लेने में तकलीफ, घुटन महसूस होना, हाथ में झनझनाहट या सुन्नापन, पसीना आना, शरीर में कंपन होना, सपना देखने लगना, डर लगना, ऐसा लगना कि कुछ बहुत बुरा घटित होने वाला है और वह उसे रोकने में पीड़ित असमर्थ है। किसी भी तरह से उस अवस्था से भागने की कोशिश करना, नर्वस होना, शर्मिंदगी महसूस करना, मरने का डर आदि उस पर हावी रहता है। पैनिक अटैक की अवधि दस मिनट या इससे अधिक तक हो सकती है। इसके लक्षण हार्ट अटैक की तरह प्रतीत होते हैं। अगर किसी को एक बार अटैक हो जाए तो उसे दूसरा अटैक आने की भी आशंका बढ़ जाती है। बार-बार अटैक आने पर पैनिक डिसऑर्डर हो जाता है। ये लक्षण लगभग एक घंटे के भीतर सामान्य हो जाते हैं। पैनिक अटैक सोते समय भी हो सकता है। इस अवस्था को नॉक्चुर्नल पैनिक अटैक यानी रात में होने वाला पैनिक अटैक कहते हैं।
क्या है उपचार
घबराहट के दौरे को नियंत्रित करने के कई उपचार मौजूद हैं जैसे-दवाईयां,साइकोथैरेपी आदि। इलाज़ से,पैनिक डिसॉर्डर के मरीज़ों में 70 से 90 प्रतिशत को राहत मिल सकती है। शुरूआती अवस्था से ही इलाज़ कराने से रोग की स्थिति गंभीर नहीं होने पाती। हताशा के लक्षणों की कोई और वजह तो नहीं है,यह जानने के लिए मरीज़ का पूर्ण परीक्षण किया जाता है। थायरॉयड हार्मोन की समस्या,खास तरह की मिर्गी,हृदय संबंधी समस्या की वजह से दिल की धड़कन बढ़ने आदि की संभावनाओं की जांच कर यह तय किया जाता है कि मरीज़ किसी शारीरिक रोग से नहीं बल्कि पैनिक डिसॉर्डर से पीड़ित है। साइकोथैरेपी के प्रयोग और दवाओं के सेवन द्वारा पैनिक डिसॉर्डर का इलाज़ किया जा सकता है। इलाज़ का चयन मरीज़ की ज़रूरतों और प्राथमिकताओं के अनुसार होता है। कई दवाएं इस रोग के उपचार में काफी कारगर हैं। दवाओं के साथ साइकोथैरेपी करने से जल्दी और असरकारी राहत मिलती है। पैनिक डिसऑर्डर के मरीज़ों को शराब और कैफीन का सेवन नहीं करना चाहिए। मरीज़ को एरोबिक व्यायाम,ध्यान,योग तथा तनाव घटाने वाली कसरतें करने से फायदा होता है।
घबराहट के दौरे को नियंत्रित करने के कई उपचार मौजूद हैं जैसे-दवाईयां,साइकोथैरेपी आदि। इलाज़ से,पैनिक डिसॉर्डर के मरीज़ों में 70 से 90 प्रतिशत को राहत मिल सकती है। शुरूआती अवस्था से ही इलाज़ कराने से रोग की स्थिति गंभीर नहीं होने पाती। हताशा के लक्षणों की कोई और वजह तो नहीं है,यह जानने के लिए मरीज़ का पूर्ण परीक्षण किया जाता है। थायरॉयड हार्मोन की समस्या,खास तरह की मिर्गी,हृदय संबंधी समस्या की वजह से दिल की धड़कन बढ़ने आदि की संभावनाओं की जांच कर यह तय किया जाता है कि मरीज़ किसी शारीरिक रोग से नहीं बल्कि पैनिक डिसॉर्डर से पीड़ित है। साइकोथैरेपी के प्रयोग और दवाओं के सेवन द्वारा पैनिक डिसॉर्डर का इलाज़ किया जा सकता है। इलाज़ का चयन मरीज़ की ज़रूरतों और प्राथमिकताओं के अनुसार होता है। कई दवाएं इस रोग के उपचार में काफी कारगर हैं। दवाओं के साथ साइकोथैरेपी करने से जल्दी और असरकारी राहत मिलती है। पैनिक डिसऑर्डर के मरीज़ों को शराब और कैफीन का सेवन नहीं करना चाहिए। मरीज़ को एरोबिक व्यायाम,ध्यान,योग तथा तनाव घटाने वाली कसरतें करने से फायदा होता है।
बढ़ जाती है दिल के दौरे की आशंका
- एक अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि जो महिलाएँ पैनिक अटैक की समस्या से पीड़ित हैं, और रजोनिवृत्ति की ओर अग्रसर हैं, उन्हें आने वाले पाँच वर्षों में दिल के दौरे की आशंका अधिक होती है।
- शोधकर्ताओं का मानना है कि पैनिक अटैक के लक्षणों के साथ यदि सीने में जकड़न और दर्द हो तथा साँस लेने में तकलीफ भी होती हो तो ये दिल की बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं।
- कई बार चिकित्सक की निगाह से ऐसे लक्षण छूट जाते हैं। कुछ वर्षों तक कार्डियोवैस्क्यूलर तनाव के साथ पैनिकएक अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि जो महिलाएँ पैनिक अटैक की समस्या से पीड़ित हैं, और रजोनिवृत्ति की ओर अग्रसर हैं, उन्हें आने वाले पाँच वर्षों में दिल के दौरे की आशंका अधिक होती है।
- शोधकर्ता अब तक यही स्थापित नहीं कर पाये कि जिन महिलाओं में पैनिक अटैक के लक्षण नहीं थे,लेकिन सीने में जकड़न और दर्द की शिकायत थी,उन्हें भविष्य में दिल का दौरा पडा या नहीं।
- पैनिक अटैक के लक्षण दिल के दौरे के वास्तविक लक्षणों को छिपा सकते हैं। इसके यह होता है कि मरीज का इलाज़ पैनिक अटैक के लिए होता रहता है और एक दिन दिल के दौरे से उसकी जान चली जाती है।
- सीने में दर्द के साथ सांस लेने में तक़लीफ हो रही हो,बहुत जल्दी थकान आ जाती हो,तो इन लक्षणों को पैनिक अटैक के साथ-साथ दिल की बीमारी से जोड़कर भी देखा जाना चाहिए।
- जानकारी के अभाव में मरीज़ का इलाज़ किसी और लक्षणों के लिए होता रहेगा और वह किसी दूसरी ही बीमारी से दम तोड़ देगा(डॉ. गौरव गुप्ता,सेहत,नई दुनिया,जनवरी प्रथमांक,2011)।
सर, मैं पैनिक अटैक से ग्रस्त हूँ, बहुत परेशान हूँ आपकी थोड़ी मदद चाहिये बस मुझे इस नंबर पर संपर्क करे: 9803256340 आपकी बहुत मेहरबानी होगी मेरा नाम राहुल है
जवाब देंहटाएंHello he mera name sarvan kumar h m panike attake
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जवाब देंहटाएंHelp for panik attekv
जवाब देंहटाएंSar mere ko v h to so plzz call krna
जवाब देंहटाएं08696839834
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