शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

आयुर्वेदिक दवाओं के दाम 70 फीसदी बढ़े

आसमान छूती सोने-चांदी की कीमतों के कारण पिछले छह माह के दौरान आयुर्वेदिक दवाओं के दाम 60 से 80 फीसदी बढ़ गए हैं। खास ही नहीं अमूमन उपयोग आने वाली दवाओं की भी कीमत बढ़ने से मरीज भी हलाकान हैं। कुछ मरीज महंगी आयुर्वेदिक दवा से कन्नी भी काट कर एलोपैथिक दवा लेने लगे हैं।

आयुर्वेदिक दवाओं की कीमत आसमान छूने लगी हैं। छह माह पहले की कीमत में 60 से 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। मधुमेह, लकवा, बीपी, अस्थमा, चर्म रोग व अन्य बीमारियों में कारगार दवाएं महंगी हो गई हैं।

सोने व चांदी की प्रति तोला मात्रा की कीमत में आई उछाल के कारण दवाओं के दाम बढ़ गए हैं। इन दिनों सोना प्रति 10 ग्राम 20, 550 रुपए व चांदी प्रति किलोग्राम 44,500 रुपए है। आयुर्वेदिक दवाओं में स्वर्ण व रजत भस्म का उपयोग किया जाता है। सभी कंपनियों ने दवाओं की कीमत बढ़ाई है।

दोनों धातुओं की कीमत में उछाल आने के कारण दवा कंपनियों ने दवाओं की कीमत भी बढ़ा दी। दवा में उपयोग होने वाले कच्च माल के कारण भी कीमत बढ़ने का दूसरा कारण है।

"आयुर्वेदिक दवाओं में स्वर्ण व रजत भस्म की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये जीवाणुनाशक के साथ स्वास्थ्यवर्धक भी होते हैं। सोने-चांदी की कीमतों में उछाल के कारण आयुर्वेदिक दवाओं के दाम 60 से 80 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। इसके असर से कुछ दवाओं की कीमत दोगुनी भी हो गई है। "

डॉ. हरींद्रमोहन शुक्ला, प्रोफेसर, आयुर्वेदिक कॉलेज

दवाओं की कीमत (10 टेबलेट)

दवा छह माह पहले अब कीमत उपयोग

कुमार कल्याण रस 400 रु. 700 रु. बच्चों के

स्वास्थ्य काथ चिंतामणि 375 रु. 550 रु. अस्थमा

रसराज रस 500 रु. 800 रु. वात, लकवा

बसंत कुस्माकर रस 350 रु. 700 रु. मधुमेह

स्वर्ण सूत शेखर 300 रु. 520 रु. चर्म रोग, पित्त(दैनिक भास्कर,रायपुर,21.1.11)

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