पेट दर्द, पीठ दर्द और कमर दर्द जैसी आम समस्याएं आज लगभग हर व्यक्ति को सताती हैं। इनसे निपटने के लिए हंसासन काफी लाभदायक और तुरंत ही आराम प्रदान करना वाला है। इस आसन से इन बीमारियों के साथ ही कई अन्य छोटी-बड़ी बीमारियां भी दूर हो जाता है। इस आसन से चेहरे पर तेज, चमक तथा शरीर में स्फूर्ति व ताजगी आती है।
हंसासन की विधि
समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर घुटनों के बल बैठ जाएं। अब दोनों हाथों को फर्श पर टिकाकर रखें। अंगुलियों को आगे की ओर करके व अंगुलियों को खोलकर रखें। दोनों हाथों के बीच 10 इंच की दूरी रखें। अब घुटनों को मोड़कर आगे की ओर और कोहनियों को मोड़कर पीछे की ओर करें।
इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए दोनों हथेलियों पर जोर देकर अपने शरीर के पिछले भाग को ऊपर उठाएं तथा शरीर का पूरा भाग हथेलियों पर रखकर संतुलन बनाएं। अब गर्दन को आगे की ओर झुकाकर शरीर का आकार पक्षी की तरह बनाएं। इस स्थिति में 10 से 30 सैकेण्ड तक रहें और इस क्रिया को 2 से 3 बार करें। शुरु में यह अभ्यास कठिन होता है, परन्तु प्रतिदिन अभ्यास करने से यह सरल हो जाता है।
हंसासन के लिए सावधानी
इस आसन का अभ्यास शुरु में करना कठिन होता है। इस आसन की सभी क्रिया धीरे-धीरे करें तथा सांस लेने व छोडऩे की क्रिया सामान्य रुप से करें।
आसन के अभ्यास से रोगों में लाभ
इस आसन से हाथ व पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती है तथा गर्दन का मोटापा कम होता है। इस से छाती मजबूत, पुष्ट व चौड़ा होता है तथा शरीर शक्तिशाली बनता है। इस आसन से चेहरे पर तेज, चमक तथा शरीर में स्फूर्ति व ताजगी आती है।
नाड़ी-तंत्र (स्नायु तंत्र) सही रुप से काम करने लगता है, जिससे रक्त संचार (खून का बहाव) तेज हो जाता है। यह पेट की चर्बी को कम कर मोटापे को घटाता है। इससे फेफड़े स्वच्छ एवं अधिक सक्रिय बने रहते हैं। यह मल-मूत्र की रुकावट को दूर करता है और पेट दर्द, पीठ दर्द, कमर दर्द, पसली का दर्द तथा प्लूरिसी आदि रोगों को खत्म करता है। इस आसन से शरीर में काफी ऊर्जा उत्पन्न होती है जिससे आपका पूरा दिन अच्छे से गुजरता है। कार्यक्षमता में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी होती है(दैनिक भास्कर,उज्जैन,24.12.2010)।
आसन के अभ्यास से रोगों में लाभ
इस आसन से हाथ व पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती है तथा गर्दन का मोटापा कम होता है। इस से छाती मजबूत, पुष्ट व चौड़ा होता है तथा शरीर शक्तिशाली बनता है। इस आसन से चेहरे पर तेज, चमक तथा शरीर में स्फूर्ति व ताजगी आती है।
नाड़ी-तंत्र (स्नायु तंत्र) सही रुप से काम करने लगता है, जिससे रक्त संचार (खून का बहाव) तेज हो जाता है। यह पेट की चर्बी को कम कर मोटापे को घटाता है। इससे फेफड़े स्वच्छ एवं अधिक सक्रिय बने रहते हैं। यह मल-मूत्र की रुकावट को दूर करता है और पेट दर्द, पीठ दर्द, कमर दर्द, पसली का दर्द तथा प्लूरिसी आदि रोगों को खत्म करता है। इस आसन से शरीर में काफी ऊर्जा उत्पन्न होती है जिससे आपका पूरा दिन अच्छे से गुजरता है। कार्यक्षमता में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी होती है(दैनिक भास्कर,उज्जैन,24.12.2010)।
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