जितना सोचा था, नतीजा उतना अच्छा नहीं सामने आया, लेकिन अब तो बोरिया बिस्तर समेटवाने का ही खेल खेला जाने लगा है। बात हो रही है, देहरादून के सबसे बड़े दून अस्पताल में खुले जेनेरिक दवा स्टोर की। मरीजों को सस्ती दवा मुहैया कराने के मकसद से खोले गई यह दुकान नामी दवा कंपनियों के आंख की किरकिरी बनी हुई है। सरकार के इस प्रयास को फेल करने के लिए इन कंपनियों ने दबाव का रणनीति अख्तियार की है। इसमें मोहरा बनाए गए हैं कंपनियों के रिप्रजंटेटिव यानि एमआर। धमकी दी जा रही है जो दवा उनकी कंपनियां बना रही है, वह इस स्टोर में न रखें। सीधा सा मतलब कि जेनेरिक दवा स्टोर का शटर डाउन कर दें, वरना देखो आगे-आगे होता है क्या...। इन शिकायतों के बाद दज्न अस्पताल प्रशासन के होश उड़े हुए हैं। मजबूरी यह कि एमआर और डाक्टरों की दोस्ती तोड़ने का साहस जुटा नहीं पा रहे, दूसरा विकल्प कोई सूझ नहीं रहा। अस्पताल के सीएमएस कार्रवाई की बात कह तो रहे हैं, लेकिन फिलहाल कंपनियों के खेल को फेल करने के दावों में दम कम ही नजर आ रहा है। करीब सवा साल पहले दून अस्पताल में जेनरिक दवाओं के लिए सरकार ने जन औषधि केंद्र खुलवाया था। तमाम कारणों से अभी तक यह केंद्र गति नहीं पकड़ पाया। सरकार और विभाग के आला-अफसर फरमान देकर थक गए, लेकिन अस्पताल के डाक्टरों ने जेनेरिक दवाएं लिखने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। हाल ही में मुख्यमंत्री ने भी इस पर कड़ा ऐतराज जताया, लेकिन डाक्टरों पर इसका भी कोई असर नहीं पड़ा। डाक्टरों और दवा कंपनी प्रतिनिधियों की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है, लिहाजा यही माना जाता रहा कि शायद इसी दोस्ती के खातिर डाक्टर साहब मुख्यमंत्री के आदेशों को भी तवज्जो नहीं दे पा रहे, लेकिन अब तो पानी सिर के ऊपर से गुजरने लग गया है। शिकायतें मिल रही हैं कि कंपनियों के प्रतिनिधि जन औषधि केंद्र पर दवाएं न रखने का दबाव डाल रहे हैं। यहां तक कहा जा रहा कि उनकी दवाओं के विकल्प मरीजों को न दिए जाएं(अमित ठाकुर,दैनिक जागरण,देहरादून,22.12.2010)।
purani chot se kya har thandi ke mousme dard ho sakta,agar aesa hota to iska ilaj bataiye
जवाब देंहटाएंमुझे बी सीने में दर्द होता है बिच में किया करू बहुत ही ज्यादा होता है मेरी हेडी आबाज करती है ab to bhut hi dard hota hai kya kru sir plz
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