आज अधिकांश लोगों को पेट से जुड़ी कई छोटी-छोटी समस्याएं परेशान करती हैं। इस समस्याओं में पेट दर्द एक आम बात है। असंतुलित खाने की वजह से किसी को भी पेट संबंधी कई बीमारियां हो जाती हैं, जैसे कब्ज, एसीडीटी, समय पर भूख ना लगना, आंत संबंधी बीमारियां, कमर दर्द इत्यादि। यदि आप भी इन सभी बीमारियों से परेशान हैं तो नियमित रूप से सेतुबंध आसन करें। आसन निश्चित ही आपका एक नई ऊर्जा प्रदान करेगा और इन बीमारियों में राहत देगा।
आसन की विधि:
समतल स्थान पर कंबल या अन्य कपड़ा बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। दोनो हाथ सीधे और शरीर के पास और हथेलियों को जमीन की ओर रखें। दोनो पैरों के घुटनों को ऊपर की ओर उठाएं ताकि पैर के तलवे जमीन से लग जाए। अब सांस भरें, कुछ पल के लिए सांस रोकें और धीरे-धीरे कमर को भी जमीन से ऊपर उठाएं। कमर को इतना ऊपर उठाए कि छाती ठुड्डी से स्पर्श करने लगे। साथ ही बाजुओं को कोहनी से मोड़कर हथेलियों को कमर के नीचे लगा लें। अब इस अवस्था में कमर और शरीर का भार आपकी कलाइयों और हथेलियों पर आ जाएगा। सांस सामान्य कर लें। वैसे तो इस आसन में इतना कर लेना पर्याप्त है परंतु अत्यधिक लाभ के लिए दोनो पैरों को आगे की ओर सरकाते जाएं ताकि घुटने सीधे हो जाएं और पैर का तलवा जमीन से लग जाए। दोनो पैरों को आपस में मिलाकर रखें। कुछ देर इसी अवस्था रुकें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए हाथ सीधे कर कमर को नीचे कर लें। पैरों को भी सीधा कर कुछ देर शवासन में विश्राम करें। इसे व्यावहारिक रूप में यहां देखा जा सकता है।
सावधानियां
- आसन को पूर्ण नियंत्रण के साथ किया जाना चाहिए। ध्यान रहें शरीर को किसी प्रकार का झटका ना लगे।
- अगर आपकी कमर, हथेली और कलाई पर अत्यधिक भार महसूस हो तो पहले भुजंगासन, शलभासन और पूर्वोत्तानासन का अभ्यास एक-दो महीने तक करें।
- जिन्हें पहले से अधिक कमर-दर्द, स्लिप डिस्क या अल्सर की समस्या हो, वे सेतुबंधासन का अभ्यास न करें या योग शिक्षक की देखरेख में ही अभ्यास करें।
- आसन को पूर्ण नियंत्रण के साथ किया जाना चाहिए। ध्यान रहें शरीर को किसी प्रकार का झटका ना लगे।
- अगर आपकी कमर, हथेली और कलाई पर अत्यधिक भार महसूस हो तो पहले भुजंगासन, शलभासन और पूर्वोत्तानासन का अभ्यास एक-दो महीने तक करें।
- जिन्हें पहले से अधिक कमर-दर्द, स्लिप डिस्क या अल्सर की समस्या हो, वे सेतुबंधासन का अभ्यास न करें या योग शिक्षक की देखरेख में ही अभ्यास करें।
आसन के लाभ
- आसन रीढ़ की सभी कोशिकाओं को अपने सही स्थान पर स्थापित करने में सहायक है।
- ये आसन कमर दर्द को दूर करने में भी सहायक है. पेट के सभी अंग जैसे लीवर, पेनक्रियाज और आंतों में खिंचाव आता है. कब्ज की समस्या दूर होती है और भूख भी समय पर और खुलकर लगती है(दैनिक भास्कर,उज्जैन,19.12.2010)।
- आसन रीढ़ की सभी कोशिकाओं को अपने सही स्थान पर स्थापित करने में सहायक है।
- ये आसन कमर दर्द को दूर करने में भी सहायक है. पेट के सभी अंग जैसे लीवर, पेनक्रियाज और आंतों में खिंचाव आता है. कब्ज की समस्या दूर होती है और भूख भी समय पर और खुलकर लगती है(दैनिक भास्कर,उज्जैन,19.12.2010)।
लाभदायक जानकारी ।
जवाब देंहटाएंलेकिन इस आसान में सावधानी बरतने की ज़रुरत है ।