शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

सुरक्षित सर्जरी के लिए साइमुलेटर विधि को मानक रूप देने का निर्णय

अब देश के सर्जनों को पायलट की तरह ट्रेनिंग दी जाएगी । वे वीडियो गेम्स की तर्ज पर खेल-खेल में सीखेंगे सर्जरी । एसोसियेशन ऑफ सर्जंस ऑफ इंडिया ने सुरक्षित एवं सटीक सर्जरी के लिए "साइमुलेटर" विधि को मानक का रूप देने का निर्णय किया है । इस विधि में कंप्यूटर से संचालित मशीनी मानव शरीर होगा, जिस पर सर्जन चाकू चलाना सीखेंगे । इस शरीर को नकली दर्द भी होगा, चीरा लगाने पर उससे नकली खून भी बहेगा और गलत चीरा लगने पर वे तमाम जटिलताएं पैदा होंगी जो वास्तविक शरीर में हो सकती हैं । यहां तक कि हार्टअटैक भी होगा। इस नकली सर्जरी के दौरान कोई बड़ी गलती होने पर मशीनी मानव दम भी तोड़ेगा । ऐसी ही ट्रेनिंग हवाई जहाज चलाने के लिए पायलट को दी जाती है । माना जा रहा है कि ट्रेनिंग की इस विधि के लागू होने पर सर्जरी के दौरान होने वाली भूलों में ५०० प्रतिशत तक की कमी आ जाएगी ।

एम्स में एसोसियेशन ऑफ सर्जंस ऑफ इंडिया के सम्मेलन "एसिकॉन" २०१० में आए देश-विदेश के सर्जनों के बीच ट्रेनिंग की यह विधा चर्चा के केंद्र में है । बुधवार से शुरु होकर ६ दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन "एसिकॉन" को सर्जनों का महाकुंभ माना जा रहा है। इसमें सर्जरी में मौत और जटिलताओं को कम से कम करने के लिए ट्रेनिंग के और कई तरीकों पर चर्चा होनी है ।

एसोसिएशन ऑफ सर्जंस ऑफ इंडिया व एसिकॉन के अध्यक्ष और एशियन इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के प्रबंध निदेशक डॉ. एन. के. पांडे ने कहा कि इस सम्मेलन के बाद देश में सर्जरी के एक नए अध्याय की शुरुआत हो जाएगी । हवाई जहाज उड़ाने के लिए पायलट को भी यही ट्रेनिंग दी जाती है । हवाई जहाज उड़ाने में सुरक्षा का सर्वोच्च मानक लागू होता है । अभी तक हम मृत मानव शरीर पर सर्जरी की ट्रेनिंग ले रहे हैं । इसलिए सटीक सर्जरी की स्थिति में नहीं पहुंचे हैं । अंतरराष्ट्रीय ख्याति के सर्जन डॉ. पांडे ने एक कहा कि दर्जनों गलतियों के जोखिम के बीच मरीज के शरीर पर चाकू चलाते हुए सर्जन भी भगवान को याद कर लेता है (धनंजय,नई दुनिया,दिल्ली,16.12.2010)।

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