शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

बारिएटिक सजर्री

मोटापा कम करने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं इन्हीं में से एक है बारिएटिक सजर्री। जब मोटापा कम करने के सभी उपाय नाकामयाब रहते हैं और व्यक्ति को मोटापा दिन-रात सताने लगता है तभी बारिएटिक सजर्री की मदद ली जाती है।

दुनियाभर में मोटापे से ग्रस्त लोगों की मदद इसी सजर्री के माध्यम से की जाती है। इस सजर्री के जरिए शरीर में एक्स्ट्रा पाउंड जाने का रास्ता बाधित किया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि आदमी जरूरत से ज्यादा भोजन न करे। साथ ही इसमें खाने की न्यूट्रिशनल वैल्यू का भी ध्यान रखा जाता है।

खास तौर पर मोटापा बढ़ाने वाले भोजन को जहां तक हो सके अवॉइड किया जाता है। आहार विशेषज्ञा ईशी खोसला के मुताबिक बारिएटिक सजर्री एक ऐसा उपाय है जिसकी मदद से मोटापा कम करने के साधारण उपाय नाकाम होने पर अपनाया जा सकता है। इसके अंतर्गत होने वाली सजर्री बहुत कामयाब साबित हुई है और काफी लोग इसे भी मोटापा दूर करने के लिए अपनाते हैं।

बारिएटिक सजर्री के जरिए :
- कुछ अवरोध लगाए जाते हैं जिससे पेट छोटा हो जाता है और भोजन की सीमा भी कम हो जाती है।
- भोजन की पाचन सीमा बढ़ाने के लिए इन्टेस्टाइन की लम्बाई कम कर दी जाती है।
- पेट पर अवरोध लगाने और इन्टेस्टाइन की लम्बाई घटाने के लिए सजर्री की जाती है।

इसमें सबसे आम प्रक्रिया है गैस्ट्रिक बेंडिंग तथा गैस्ट्रिक बाइपास। गैस्ट्रिक बेंडिंग पेट का आकार कम कर देती है जिसमें छोटा ऊपरी पेट या पाउच बनाया जाता है जिससे भोजन के सेवन की क्षमता कम हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप कैलोरी शरीर में कम प्रवेश करती हैं।

दरअसल, गैस्ट्रिक बाइपास भी एक छोटा पाउच तैयार करती है और यह पाउच छोटी इन्टोस्टाइन के छोटे किए गए हिस्से से जोड़ी जाती है। पेट का आकार कम करने से भोजन कम अंदर जाता है और छोटी इन्टेस्टाइन के ऊपरी हिस्से को बाइपास कर देने से कैलोरी वाले भोजन का एब्जार्बशन और डाइजेशन कम हो जाता है।

इससे कुछ माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का एब्जार्बशेन भी कम हो जाता है। विशेषज्ञों की सलाह तो यही है कि ऐसी सजर्रियों का चलन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसका चयन केवल तभी किया जाना चाहिए जब मोटापा कम करने के सभी तरह के उपाय नाकाम साबित हो जाएं(हिंदुस्तान,दिल्ली,5.12.2010)।

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