भारतीय भोजन में स्वाद व सुगंध देने वाले पौधों में पुदीना व तुलसी संभवत: सबसे पुराने व पूरे भारतवर्ष में सबसे प्रचलित पौधे हैं। अब हम उसमें हरा धनिया, मीठा नीम व सूखे मसालों के रूप में अजवायन, सौंठ, सौंफ, लहसुन व गर्म मसालों की लंबी सूची भी मिला सकते हैं। पाश्चात्य भोजन व सलाद के प्रचलन के साथ अब हमारे भोजन में सेलरी, लीक, हरा प्याज, पार्सले जैसे सुगंधित पौधे भी आ गए हैं, जो कि भोजन को स्वाद व सुगंध तो देते ही हैं, साथ ही अपने औषधीय गुणों के कारण लाभदायक भी होते हैं।
दरअसल अपनी रसोई में हम जिन मसालों का इस्तेमाल करते हैं, वो गुणों की खान होते हैं। पुदीना, हरा प्याज, धनिया पत्ती आदि हमारे लिए स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहद उपयोगी होते हैं। इनके नियमित सेवन से कई बीमारियों को दूर रखने में मदद मिलती है। खास बात यह है कि इन्हें आसानी से गमले में या किचन गार्ड्रन में भी उगाया जा सकता है।
पुदीना
सबसे पहले बात पुदीना की करते हैं। ‘मिन्ट’ के नाम से लोकप्रिय इस पौधे के पत्तों का प्रयोग सलाद, चटनी, रायता, सूप व उबली व अवन में तैयार की गई डिशेज में भी होता है। गरमी के मौसम में इसके पौधे अपनी टहनियों व जड़ों की मदद से दूर-दूर तक फैल जाते हैं। वहीं बारिश के मौसम में बहुत ज्यादा पानी पुदीने को नुकसान पहुंचा सकता है। शीत ऋतु में पुदीने का पौधा अकसर सूख जाता है, पर अगर आपने पुदीने को ऐसी जगह लगा रखा है, जहां ओस की बूंदें न गिरती हों तो पुदीने का पौधा नहीं सूखेगा।
हरा धनिया
ठंड के मौसम में धनिया का पौधा तेजी से पनपता है। इस बात का अंदाजा ठंड के मौसम में खाने में धनिया पत्ती के बढ़ते इस्तेमाल से सहज लगाया जा सकता है। अंग्रेजी में इसे ‘कोरिएंडर’ कहते हैं। भोजन में धनिया के नरम पत्तों का प्रयोग सलाद, चटनी के अलावा सूप में और सब्जी को और स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। धनिया के नरम पत्तों को ऊपर से काट देने पर पौधा तेजी से पनपता है। गरमी के मौसम में भी इसे थोड़े छायादार स्थान पर उगाया जा सकता है।
हरा प्याज
प्याज के नरम डंठलनुमा हरे पत्ते वाले भाग को ‘स्प्रिंग अनियन’ कहते हैं, जो सलाद, सूप, चटनी, सब्जी आदि में प्रयोग में आते हैं और स्वाद व सुगंध दोनों के लिए लोकप्रिय है। प्याज की पौध को आप क्यारी के किनारे अथवा गमले में बो सकते हैं। कई बार तो केवल आपको ऊपर के हरे पत्ते चाहिए होते हैं, जो कि आप काट कर प्रयोग कर सकते हैं। कई लोग नरम जड़ वाला सफेद भाग भी प्रयोग में लाते हैं, जो कि कच्च खाने व सूप-सब्जी में प्रयोग लाया जाता है। हरे प्याज का ग्रोथ अच्छे तरीके से हो, इसके लिए क्यारी अथवा गमले को अच्छी धूप मिलना जरूरी है।
लीक
सूप आदि में लीक का काफी इस्तेमाल होता है। लीक प्याज की प्रजाति का ही है। इसके पत्ते चपटे होते हैं और प्याज की तरह नीचे कंद न बन कर यह ऊपर की ओर सफेद और लंबा होता है। इसकी मोटाई व लंबाई ही पसंद की जाती है। लीक की दो से ढाई सेंटीमीटर मोटाई हो जाने पर इसे तोड़ लिया जाता है। इसे तैयार होने में एक से बीस दिन तक का वक्त लगता है। इसे क्यारी व गमले दोनों में पौध द्वारा तैयार किया जाता है।
पार्सले
बीज द्वारा तैयार पार्सले का बीज अंकुरित होने में समय लगता है, इसलिए इसे रातभर भिगो देने पर अंकुरण में सहायता मिलती है। विटामिन डी व सी का स्नोत पार्सले स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है। पार्सले तीन-तार पत्ती वाला पौध है, जो काई के समान फैल जाता है। इसकी एक किस्म शलजम के समान भी होती है। इसे थोड़े छायादार स्थान में क्यारी व गमलों दोनों में उगाया जा सकता है। पार्सले की फसल नब्बे से सौ दिन में फसल तैयार हो जाती है। इसके नरम पत्तों का प्रयोग हरे धनिये के पत्तों के समान होता है।
सेलरी
अजवायन के रूप में सेलरी भारतीय भोजन में खूब लोकप्रिय है। इसके पत्ते सुगंधित व स्वाद वाले होते हैं। सूप, गोश्त, सब्जी, सलाद सभी डिशेज में इसका प्रयोग होता है। इसे भी बीज बोकर तैयार किया जा सकता है। सेलरी को गमले में भी लगाया जा सकता है। इसका पौधा भी धूप-छाया में पनप जाता है।
मेथी पत्ता
‘फ्रेनुग्रीक’ के नाम से प्रसिद्ध मेथी अपने सुगंधित पत्तों के लिए प्रसिद्ध है। भारतीय भोजन में यह दाल, परांठे, सब्जी, पकौड़ी में प्रयोग में लाई जाती है। इसकी हरी पत्तियों का उपयोग भी किया जाता है और इसी सूखी पत्तियों का भी। क्यारी में, गमलों में बीज बोकर इसका पौधा तैयार कर लें व नरम पत्तों को चाकू या कैंची से काट कर प्रयोग में लाएं। कसूरी मेथी अपने नरम पत्तों की सुगंध के लिए प्रसिद्ध है। ठंड के मौसम में इसकी पत्तियों को धोकर कपड़े से सुखा लें। इसके बाद अखबार के बीच में रख कर अखबार को चारों ओर से बंद करके धूप में रख कर सुखाने से इसका रंग व सुगंध दोनों कायम रहते हैं।
मीठा नीम
दक्षिण भारतीय भोजन में इसका प्रयोग किया जाता है। यह वास्तव में एक झाड़ीनुमा पौधा है, जिसके पत्ते प्रयोग में लाए जाते हैं। दाल, रायता, चटनी, सब्जी में इसके पत्ते छौंक के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
लहसुन
‘गार्लिक’ नाम से प्रसिद्ध यह एक कंदीय पौधा है, जिसके कलियों के समान जुड़े हुए कंद को सुखाकर प्रयोग में लाया जाता है। इसके हरे नरम पत्ते का उपयोग सूप, चटनी, दाल व सब्जी में भी होता है। यह अत्यंत गुणकारी पौधा है। क्यारी में विशेषकर टमाटर, गोभी की क्यारी की मुंडेर पर लगाने से यह प्राकृतिक कीटनाशक का काम करता है। सब्जियों की क्यारियों की मुंडेर पर लगा देने से आप इसके हरे पत्ते व बाद में तैयार कंद तो प्राप्त कर ही सकते हैं, साथ ही सब्जियों में होने वाले नन्हें कीटों से भी बच सकते हैं। इसे बोने के लिए लहसुन की स्वस्थ कलियों को अलग-अलग कर लें व मुंडेर पर उन्हें बो दें। लहसुन के पौधों में पानी ज्यादा न दें(प्रतिभा आर्य,हिंदुस्तान,14.12.2010।
लीक
सूप आदि में लीक का काफी इस्तेमाल होता है। लीक प्याज की प्रजाति का ही है। इसके पत्ते चपटे होते हैं और प्याज की तरह नीचे कंद न बन कर यह ऊपर की ओर सफेद और लंबा होता है। इसकी मोटाई व लंबाई ही पसंद की जाती है। लीक की दो से ढाई सेंटीमीटर मोटाई हो जाने पर इसे तोड़ लिया जाता है। इसे तैयार होने में एक से बीस दिन तक का वक्त लगता है। इसे क्यारी व गमले दोनों में पौध द्वारा तैयार किया जाता है।
पार्सले
बीज द्वारा तैयार पार्सले का बीज अंकुरित होने में समय लगता है, इसलिए इसे रातभर भिगो देने पर अंकुरण में सहायता मिलती है। विटामिन डी व सी का स्नोत पार्सले स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है। पार्सले तीन-तार पत्ती वाला पौध है, जो काई के समान फैल जाता है। इसकी एक किस्म शलजम के समान भी होती है। इसे थोड़े छायादार स्थान में क्यारी व गमलों दोनों में उगाया जा सकता है। पार्सले की फसल नब्बे से सौ दिन में फसल तैयार हो जाती है। इसके नरम पत्तों का प्रयोग हरे धनिये के पत्तों के समान होता है।
सेलरी
अजवायन के रूप में सेलरी भारतीय भोजन में खूब लोकप्रिय है। इसके पत्ते सुगंधित व स्वाद वाले होते हैं। सूप, गोश्त, सब्जी, सलाद सभी डिशेज में इसका प्रयोग होता है। इसे भी बीज बोकर तैयार किया जा सकता है। सेलरी को गमले में भी लगाया जा सकता है। इसका पौधा भी धूप-छाया में पनप जाता है।
मेथी पत्ता
‘फ्रेनुग्रीक’ के नाम से प्रसिद्ध मेथी अपने सुगंधित पत्तों के लिए प्रसिद्ध है। भारतीय भोजन में यह दाल, परांठे, सब्जी, पकौड़ी में प्रयोग में लाई जाती है। इसकी हरी पत्तियों का उपयोग भी किया जाता है और इसी सूखी पत्तियों का भी। क्यारी में, गमलों में बीज बोकर इसका पौधा तैयार कर लें व नरम पत्तों को चाकू या कैंची से काट कर प्रयोग में लाएं। कसूरी मेथी अपने नरम पत्तों की सुगंध के लिए प्रसिद्ध है। ठंड के मौसम में इसकी पत्तियों को धोकर कपड़े से सुखा लें। इसके बाद अखबार के बीच में रख कर अखबार को चारों ओर से बंद करके धूप में रख कर सुखाने से इसका रंग व सुगंध दोनों कायम रहते हैं।
मीठा नीम
दक्षिण भारतीय भोजन में इसका प्रयोग किया जाता है। यह वास्तव में एक झाड़ीनुमा पौधा है, जिसके पत्ते प्रयोग में लाए जाते हैं। दाल, रायता, चटनी, सब्जी में इसके पत्ते छौंक के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
लहसुन
‘गार्लिक’ नाम से प्रसिद्ध यह एक कंदीय पौधा है, जिसके कलियों के समान जुड़े हुए कंद को सुखाकर प्रयोग में लाया जाता है। इसके हरे नरम पत्ते का उपयोग सूप, चटनी, दाल व सब्जी में भी होता है। यह अत्यंत गुणकारी पौधा है। क्यारी में विशेषकर टमाटर, गोभी की क्यारी की मुंडेर पर लगाने से यह प्राकृतिक कीटनाशक का काम करता है। सब्जियों की क्यारियों की मुंडेर पर लगा देने से आप इसके हरे पत्ते व बाद में तैयार कंद तो प्राप्त कर ही सकते हैं, साथ ही सब्जियों में होने वाले नन्हें कीटों से भी बच सकते हैं। इसे बोने के लिए लहसुन की स्वस्थ कलियों को अलग-अलग कर लें व मुंडेर पर उन्हें बो दें। लहसुन के पौधों में पानी ज्यादा न दें(प्रतिभा आर्य,हिंदुस्तान,14.12.2010।
बहुत ही लाभदायक जानकारी। आभार।
जवाब देंहटाएंलेकिन कौन से मसाले किस गुण के वर्धक है यदि जानकारी मिले तो हम हमारी प्रकृति अनुसार उसमें कमी-वृद्धि कर सकते है।
भोजन में हरी मिर्च का अधिक उपयोग लाभदायक है,अथवा हानिकारक?
@सुज्ञ जी,
जवाब देंहटाएंभोजन में मिर्च की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है क्योंकि मिर्च का स्वाद प्रधान हो जाता है,बाकी सब का गौण। मिर्च की ज़रूरत केवल उसे है,जिसे तब तक स्वाद नहीं आता,जब तक उसकी जीभ न तड़पे। यही कारण है कि ढाबे का खाना मिर्च भरा होता है,जबकि फाइव स्टार के खाने में क्या मज़ाल कि मिर्च का कोई स्वाद महसूस हो!
मसालों का इस्तेमाल हिन्दुस्तानी खाने में ही ज्यादा किया जाता है । अंग्रेज़ लोग तो जानते ही नहीं इनका स्वाद ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा
जवाब देंहटाएंबुधवार के चर्चामंच पर भी लगाई है!
क्या अद्भुत परिभाषा दी आपने कुमार जी,
जवाब देंहटाएंमिर्च की ज़रूरत केवल उसे है,जिसे तब तक स्वाद नहीं आता,जब तक उसकी जीभ न तड़पे।
लाभदायक जानकारी आभार.....
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की रचनात्मक सौम्यता को देखते हुए इसे आज के चर्चा मंमच पर सजाया गया है!
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/369.html
बहुत अच्छी जानकारी। अगर इन वस्तुओं के कुछ लाभ भी देते तो अच्छा था। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंsir ye nav ratn hamare south me behad lokpriy hai.hum bhi ghar me use karate hai.wase nirmala kapila ji ka sansay wajib hai.ese door kijiye,bahut upayogi hoga.thank you sir.
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