यूपी सरकार ने चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में अहम कदम उठाते हुए उप्र चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा नियमावली, 2004 में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके तहत चिकित्सकों को नियुक्ति के बाद अनिवार्य रूप में चार साल गांवों में बिताने होंगे। इसके बिना उनकी प्रोन्नति नहीं होगी। मुख्यमंत्री मायावती की अध्यक्षता में सोमवार को यहां हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय किया गया। फैसले के अनुसार लोक सेवा आयोग द्वारा एक दिसम्बर 2010 को या उसके पश्चात चयनित चिकित्साधिकारियों को वरिष्ठ चिकित्साधिकारी के पद से परामर्शदाता के पद पर प्रोन्नति के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र(सीएचसी), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) व अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर चार वर्ष की सेवा पूरी करनी होगी। यह भी तय हुआ कि चिकित्साधिकारी यदि किसी पिछड़े ब्लाक में दो वर्ष की अवधि के लिए तैनात है तो यह अवधि, वरिष्ठ चिकित्साधिकारी से परामर्शदाता के पद पर प्रोन्नति के लिए पर्याप्त होगी। परामर्शदाता पद पर प्रोन्नति की अन्य शर्तें यथावत रहेंगी। सरकार के इस निर्णय से ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की किल्लत कम होने के आसार हैं। अभी चिकित्सक ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने में टालमटोल करते थे। अब उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में चार वर्ष कार्य करना ही होगा(दैनिक जागरण,लखनऊ,23.11.2010)।
SARAHANIY KADAM.
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