कौडि़हार(इलाहाबाद) के रहने वाले दशरथ सिंह के चेहरे पर पुत्ररत्न प्राप्ति की खुशी की जगह परेशानी के भाव हैं व काफी घबराए हुए हैं। बच्चे को पैदा हुए 24 घंटे हो गए,पर वह रोया नहीं, पूरी तरह सुस्त है। चिल्ड्रेन अस्पताल में दशरथ की नजरें कभी बच्चे तो कभी उसकी जांच कर रहे डॉक्टर को बड़ी बेचैनी के साथ देख रही हैं। हर बार बस एक ही सवाल, डॉक्टर साहब क्या हुआ बच्चे को.यह रोता क्यों नहीं,.एक बार भी नहीं रोया है? अस्पताल में इस तरह से परेशान अकेले दशरथ नहीं बल्कि कुछ और भी लोग हैं,उनके बच्चों में भी कुछ वैसी ही शिकायतें हैं। चिल्ड्रेन अस्पताल में यह कोई एक दिन का नजारा नहीं। लगभग रोज ही दो-तीन मामले ऐसे यहां पर आ रहे हैं और महीने में 40 से 55 के करीब। डॉक्टर बताते हैं कि ये मामले बर्थ एसफीक्सिया के हैं और इलाहाबाद जिले में तेजी से बढ़ रहे हैं। चिंताजनक यह है कि ऐसे मामले में पचास फीसदी बच्चों की जान बच पाती है। डॉक्टरों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में जन्म दर के सापेक्ष एक प्रतिशत बच्चों में इस तरह की समस्या मिलती है, वहीं इलाहाबाद में यह डेढ़ प्रतिशत है। केवल चिल्ड्रेन अस्पताल ही नहीं बल्कि शहर के कई अन्य निजी अस्पतालों में भी इस तरह के मामले खासी संख्या में आ रहे। बाल रोग विशेषज्ञों की मानें तो शहर के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में औसतन 60-70 बर्थ एसफीक्सिया के मामले हर रोज सामने आ रहे हैं। चिल्ड्रेन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ व मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. डीके सिंह भी बर्थ एसफीक्सिया के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हैं। इस मर्ज के बारे में वह बताते हैं, नवजात शिशुओं की मौतों के पीछे बर्थ एसफीक्सिया एक प्रमुख कारण है। इस बीमारी में बच्चे पैदा होने के तुरंत बाद नहीं रोते और इस वजह से वह सही ढंग से सांस नहीं ले पाते हैं। इसके फलस्वरूप बच्चों के दिमाग और अन्य अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है। इस बीमारी में बच्चे को दौरे पड़ते हैं और सुस्त होकर कराहता रहता है। यदि समय पर इलाज उपलब्ध नहीं हुआ तो बच्चे की जान पर खतरा बढ़ जाता है। बच्चे की जान बच भी जाती है तो भविष्य में उसे दिमाग की कमजोरी, मिर्गी के दौरे और मानसिक विकास की काफी धीमी गति की समस्या से जूझना पड़ता है। बच्चा मंद बुद्धि व शारीरिक विकलांगता से भी ग्रसित हो जाता है। वहीं अम्बेडनगर के महामाया मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य व बाल रोग विशेष डॉ. बीएन त्रिपाठी बताते हैं,जिन महिलाओं में शुगर या फिर ब्लड प्रेशर की शिकायत रहती है, उनके प्रसव के दौरान शिशु के साथ यह समस्या पेश आती है। प्रसव के पहले, के दौरान या बाद में भी ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,23.11.2010)।
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