मंगलवार, 2 नवंबर 2010

धड़ल्ले से बिक रही हैं रसायन वाली सब्जियां

बाजारों में खतरनाक रसायन वाली सब्जियां बिक रही हैं। गैरसरकारी संस्था कंस्यूमर वॉइस की स्टडी में प्रतिबंधित पांच तरह के रसायनों में से चार यहां की सब्जियों में मिले हैं। इन रसायनों के इस्तेमाल से ब्रेन व ब्लड कैंसर हो सकता है, किडनी और फेफड़े डैमेज हो सकते हैं, कई तरह की न्यूरोलॉजिकल समस्या, त्वचा की बीमारियां हो सकती हैं। यहां तक कि ये रसायन लिवर और हार्मोन के फंक्शन को भी डिस्टर्ब कर सकते हैं। संस्था ने 35 तरह की सब्जियों के 193 सैंपल जांच के लिए उठाए थे। इनमें क्लॉरडेन, एंट्रीन, हेप्टेकर, एथिल पैराथियान रसायन पाए गए। इतना ही नहीं, यूरोपियन स्टैंडर्ड के मुताबिक इनमें 45 तरह की अन्य कमियां भी पाई गईं। स्टडी के मुताबिक करेला और पालक में सबसे ज्यादा प्रतिबंधित पेस्टिसाइड पाए गए। सब्जियों के सैंपल दिल्ली, एनसीआर, कोलकाता और बेंगलुरु की होलसेल और रिटेल मार्केट से उठाए गए थे। इनमें आलू, कुंद्रू, टमाटर, ब्रॉकली, तोरई, लौकी, टिंडा, ककड़ी, परवल, मटर, करेला, पालक, प्याज, अरवी, चुकंदर, मेथी, कमल ककड़ी और गांठ गोभी जैसी सब्जियां शामिल की गई थीं। संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि सब्जियों व फलों में पेस्टिसाइड के मामले में यूरोपियन स्टैंडर्ड सबसे उपयुक्त होता है, मगर यहां की सरकारी एजेंसियों ने स्टैंडर्ड को पहले ही बहुत औसत रखा है, जो स्टैंडर्ड तय हैं उनका सही ढंग से पालन हो रहा है अथवा नहीं, इस बात की जांच करने का कोई सिस्टम नहीं है। यही वजह है कि मानकों का धड़ल्ले से उल्लंघन हो रहा है(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,2.11.2010)।

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