सब योजना अनुरूप चला तो वो दिन दूर नहीं जब उत्तराखंड के दुर्गम व अति-दुर्गम इलाकों में भी लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी। दरअसल,राज्य सरकार 108 सेवा की तर्ज पर सूबे में टेलीफोनिक कंसल्टेशन की संभावनाएं टटोल रही है। ऐसा हुआ तो एक फोन करने पर ही लोगों को यह पता चल सकेगा कि किस मर्ज के लिए किस चिकित्सक से संपर्क किया जाए। बकायदा संबंधित चिकित्सक का नंबर भी मुहैया कराया जाएगा। यही नहीं इसी कड़ी में सूबे में लगभग मृतप्राय स्थिति में पहुंच चुके टेलीमेडिसन प्रोजेक्ट को भी पुन: प्रारंभ करने की कवायद प्रारंभ हो गई है। यह निचोड़ है गुरुवार को स्वास्थ्य सलाहकार एवं स्वास्थ्य महानिदेशालय के मध्य हुई बैठक का। स्वास्थ्य महानिदेशालय परिसर में आयोजित इस अहम बैठक में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा कर आगामी पन्द्रह बीस दिनों में इस काम का खाका खींचे जाने पर सहमति बनी। स्वास्थ्य सलाहकार डॉ.आरके जैन ने बताया कि सरकार 108 सेवा की तर्ज पर ऐसा टोल फ्री नंबर शुरू करने पर विचार कर रही है जिस पर यदि कोई दूरस्थ इलाके से भी फोन मिलाता है तो काल सेंटर में बैठा व्यक्ति उस बीमारी के बारे में पूरी तरह गाइड करेगा जिससे वह ग्रसित है। साथ ही संबंधित चिकित्सकों के बारे में भी जानकारी मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसा करने के पीछे मंशा यही है कि प्रत्येक इलाके के व्यक्ति को कम से कम राजधानी देहरादून जैसी स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। इसके अलावा टेलीमेडिसन प्रोजेक्ट को पुन: शुरू करने के लिए भी उन्होंने स्वास्थ्य महानिदेशालय के अधिकारियों को निर्देश दिए। बैठक में दुर्गम व अति दुर्गम इलाकों में क्रिटिकल केयर हेल्थ सर्विसेज के सुदृढ़ीकरण के संदर्भ में सुझाव आए। इसके तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों व उच्च प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपकरणों व चिकित्सकों की संख्या बढ़ाए जाने पर बल दिया गया। बैठक में पैरामेडिकल स्टाफ को क्लीनिक ट्रेनिंग देकर लोगों को लाभ पहुंचाने पर विचार हुआ। स्वास्थ्य सलाहकार ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि पन्द्रह दिनों में इस संदर्भ में कार्ययोजना तैयार कर उन्हें दें(दैनिक जागरण,देहरादून,12.10.2010)।
ये एक सार्थक प्रयास है।
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