देशभर में कुपोषण की समस्या से परेशान बच्चों और लोगों के लिए राहत भरे दिन आने वाले हैं। वैज्ञानिकों ने जिनोम रिसर्च से ऐसे तरीके इजाद किए हैं जिन्हें अगर विशेष फल या सब्जी में डाल दिया जाए तो उसे खाने से कुपोषण पर रोक लग जाएगी। किडनी में बनने वाले स्टोन पर भी रोक लग सकेगी। सब्जी-फलों की शेल्फ लाइफ भी बढ़ सकेगी जिससे न केवल किसानों को फायदा होगा बल्कि हर साल देशभर में बर्बाद होने वाली करोड़ों रुपयों की पैदावार बच पाएगी। पंजाब यूनिवर्सिटी में चल रही बायो-टेक्नीका चंडीगढ़ 2010 में शिरकत करने आये नेशनल इंस्टीच्यूट आफ प्लांट्स जीनोम रिसर्च और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी प्रो. असीस दत्ता ने बताया कि देश की बहुत बड़ी जनसंख्या कुपोषण से प्रभावित है। चोलाई से उन्होंने एमाल 1 नाम का एक जीन निकाला है जो अगर आलू या अन्य किसी सब्जी में डाल दिया जाए तो कुपोषण पर रोक लग सकती है। उन्होंने बताया कि शिमला के पास कुफरी के पोटैटो (आलू) रिसर्च सेंटर में इसी तरह का आलू पैदा किया जा रहा है। इस जेनेटिक मोडीफाइड आलू का कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। प्रो.असीस दत्ता ने मशरूम से तैयार ओएक्सडीसी यानि एल्फा मैनोसाइडेज नाम के एंजाइम बारे भी जानकारी दी जिसे खाने पीने की चीजों के साथ शरीर के भीतर पहुंचाया जाए तो किडनी में पथरी नहीं बनेगी। उन्होंने बताया कि ओक्सेलिक ऐसिड की वजह से किडनी में पथरी बनती है। एंजाइम और जींस की मदद से शरीर में ओक्सेलिक एसिड का स्तर कम किया जा सकता है जिससे पथरी बनने पर रोक लगेगी। टमाटर-शिमला मिर्च में हेक्सो सेमिनिडेज नामक एंजाइम निकालकर अगर अन्य फल व सब्जियों में इंजेक्ट कर दिया जाए तो सब्जी की शेल्फ लाइफ बढ़ सकती है। यानि सब्जी व फल ज्यादा देर तक रह सकते हैं और गलेंगे भी नहीं(साजन शर्मा,दैनिक जागरण,चंडीगढ़,18.11.2010)।
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