हर क्षण एक नई शुरुआत है। ताकत हमेशा वर्तमान क्षण में होती है। आप कभी रुकते नहीं। इन्हीं क्षणों में यहीं पर और इसी समय हमारे अपने दिमाग में परिवर्तन होते हैं। यह कोई मायने नहीं रखता कि हम कितने लंबे समय से नकारात्मक विचारों में डूबे रहे हैं या किसी बीमारी या किसी खराब रिश्ते या आर्थिक संकट या आत्म-निंदा जूझ रहे हैं। हम आज ही इसमें परिवर्तन लाना शुरू कर सकते हैं। अब आपकी समस्या को सच बने रहने की कोई जरूरत नहीं है। वह अब समाप्त होते हुए शून्यता तक पहुंच सकती है, जहां से वह आई थी। आप ऐसा कर सकते हैं। याद रखिए, आप ही वह व्यक्ति हैं जो अपने दिमाग में सोचते हैं। आप स्वयं अपनी दुनिया में ताकत और अधिकारी हैं। अतीत के आपके विचारों व विश्वासों ने इस क्षण को और इस क्षण तक हर क्षण को बनाया है। अब आप विश्वास करने और सोचने के लिए जो भी चुनते हैं, वह अगले क्षण को, अगले दिन को, अगले महीने को और अगले साल को गढ़ेगा। हां बंधु! मैं आपको सबसे उम्दा सलाह दे सकती हूं, जो मेरे बरसों के अनुभव से आई है। अब भी आप वही पुराने विचारों को सोच सकते हैं, आप बदलने से इनकार कर सकते हैं और अपनी सभी समस्याओं को बनाए रख सकते हैं। अपनी दुनिया में आप सबसे ताकतवर हैं! आप जो भी सोचने के लिए चुनते हैं, आपको वह मिलेगा। यह क्षण नई प्रक्रिया शुरू करता है। हर क्षण एक नई शुरुआत है और यह क्षण आपके लिए अभी और यहीं एक नई शुरुआत है! क्या यह जानना बड़ी बात नहीं है? यह क्षण शक्ति का क्षण है! इसी क्षण है! इसी क्षण से परिवर्तन शुरू होता है। क्या यह सच है? एक पल के लिए रुकें और अपने विचारों को पकड़ें। आप इस समय क्या सोच रहे हैं? यदि यह सच है कि आपके विचार आपके जीवन को आकार देते हैं तो आप अभी जो भी सोच रहे हैं, क्या उसे अपने लिए सच बनाना चाहेंगे? यदि वह चिंता या गुस्से या चोट या प्रतिशोध या डर का विचार है तो आपको क्या लगता है कि यह विचार किस तरह आपके पास लौट कर आएगा? हमेशा अपने विचारों को पकड़ना आसान नहीं होता है, क्योंकि वे बहुत तेजी से आग बढ़ते हैं। फिर भी, हम अभी से अपनी बातों पर ध्यान रखना और सुनना शुरू कर सकते हैं। यदि आप खुद को किसी प्रकार के नकारात्मक शब्द बोलते हुए सुनते हैं तो बीच में ही रुक जाएं। या तो वाक्य को बदल दें या बस छोड़ दें। आप उन्हें यह भी कह सकते हैं, 'बाहर निकलो!' खुद को किसी कैफेटेरिया में पंक्ति में खड़े होने की कल्पना करें या किसी शानदार होटल के जलपान गृह (रेस्टोरेंट) में, जहां भोजन के व्यंजनों की बजाय विचारों के व्यंजन हैं। आप जिन विचारों को चुनना चाहें, उन्हें चुन सकते हैं। ये विचार आपके भविष्य के अनुभवों को उत्पन्न करेंगे। अब यदि आप ऐसे विचारों को चुनते हैं जो समस्याएं और पीड़ा उत्पन्न करते हैं तो यह मूर्खता है। यह इसी तरह है, मानो आप हमेशा खुद को बीमार बनाने वाला भोजन चुनते हैं। हम एक या दो बार ऐसा कर सकते हैं, लेकिन जैसे ही हमें पता चल जाता है कि कौन से खाद्य पदार्थ हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह होते हैं, हम उनसे दूर रहते हैं। विचारों के साथ भी ऐसा ही है। चलिए, ऐसे विचारों से दूर रहें, जो समस्याएं और पीड़ा उत्पन्न करते हैं। मेरे आरंभिक शिक्षकों में से एक डा. रेमंड चार्ल्स बार्कर बार-बार यह कहते थे, 'जब कोई समस्या होती है तो वहां कुछ करने की नहीं, बल्कि जानने की जरूरत होती है।' हमारा दिमाग हमारा भविष्य तय करता है। जब हमारे वर्तमान में कुछ ऐसा होता है, जो अवांछित है तो हमें उस स्थिति को बदलने के लिए अपने दिमाग का प्रयोग करना चाहिए। और हम उसी पल उसे बदलना शुरू कर सकते हैं। यह मेरी गहरी इच्छा है कि 'आपके विचार कैसे काम करते हैं' यह विषय स्कूल में पढ़ाया जाने वाला पहला विषय होना चाहिए। मुझे कभी समझ नहीं आया कि बच्चों को लड़ाई की तिथियां याद कराने का क्या महत्व है। यह अपनी मानसिकता विषय पढ़ा सकते हैं, जैसे-मस्तिष्क कैसे काम करता है, पैसे को कैसे संभालें, आर्थिक सुरक्षा के लिए धन का निवेश कैसे करें, कैसा अभिभावक बनें, अच्छे रिश्ते कैसे बनाएं और आत्म-सम्मान व आत्म-गौरव कैसे बनाएं तथा बरकरार रखें। क्या आप वयस्कों की एक ऐसी पूरी पीढ़ी की कल्पना कर सकते हैं, जिसे स्कूल में अपने नियमित पाठ्यक्रमों के साथ ये विषय पढ़ाए जाएं? सोचिए कि ये सच किस प्रकार अभिव्यक्त होंगे। हम यहां प्रसन्न लोग होंगे, जो खुद के बारे में अच्छा महसूस करते हैं। हमारे पास ऐसे लोग होंगे जो आर्थिक रूप से संपन्न होंगे और जो बुद्धिमत्ता से अपने पैसे को निवेश करते हुए अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाएंगे। उनके हर किसी के साथ अच्छे रिश्ते होंगे और वे माता-पिता की भूमिका में सहज होंगे, फिर अपने बारे में अच्छा महसूस करने वाले बच्चों की एक और पीढ़ी तैयार करेंगे। फिर इन सबके बीच हर व्यक्ति होगा, जो अपनी अलग रचनात्मकता प्रदर्शित करेगा। समय व्यर्थ करने के लिए नहीं है। चलिए, अपना काम जारी रखें। (हिंदुस्तान,30.10.2010)
"ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आप फलां तरीक़े से स्वस्थ हैं और वो अमुक तरीक़े से। आप या तो स्वस्थ हैं या बीमार । बीमारियां पचास तरह की होती हैं;स्वास्थ्य एक ही प्रकार का होता है"- ओशो
सोमवार, 1 नवंबर 2010
हर क्षण है एक नई शुरुआत
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एक वैज्ञानिक वैचारिक मंथन...
जवाब देंहटाएंगहन चिंतन .. उत्तम विचार।
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