सुबह से शाम तक हम लोग जहर निगल रहे हैं। हवा से लेकर पानी तक में तो पहले ही जहर घुला हुआ है अब खाद्य सामग्रियों में खूब मिलावट की जा रही है जो जहर से कम नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट की मानें तो मिलावटी खाद्य पदार्थो का सेवन मौत को दावत देने के बराबर है। मिलावटी खाद्य पदार्थो की वजह से विभिन्न तरह की बीमारियां फैल रही हैं। इसकी रोकथाम के लिए सख्त कानून की जरूरत महसूस की जा रही है।
आज के दौर में चालीस वर्ष की उम्र में होने वाली बीमारियां किशोरावस्था में ही हो रही हैं। यह खुलासा स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में किया गया है। इससे राज्य सरकार चिंतित अवश्य लगती है लेकिन कोई कारगर कदम नहीं उठा पा रही है। इस सिलसिले में स्वास्थ्य मंत्री ने केंद्र सरकार को अवगत भी करा दिया है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरसों तेल में मिर्च के अलावा कई तरह की रासायनिक सामग्रियां मिलायी जा रही हैं जिससे उसमें तेज झागउत्पन्न है। इससे हाथ-पांव फूलने की बीमारियां बढ़ रही हैं। यहां तक कि चाय में विभिन्न तरह के पत्ते मिलाये जा रहे हैं। हल्दी में लकड़ी का बुरादा, लेड क्रोमेट मिलाया जा रहा है जिससे खून की कमी और पक्षाघात का खतरा बना रहता है। साथ ही दृष्टिहीनता और मृत्यु की आशंका बनी रहती है। मिल के चावल में एसबेस्टस पावडर मिलाया जाता है जिससे कैंसर हो रहा है। ठंडा पानी में भी मिलावट की जा रही है जिससे ह्रदय व पित्त की बीमारियां हो रही हैं। दूध में पानी और अन्य रासायनिक सामग्रियां मिलाने से पेट की बीमारियां बढ़ रही हैं।
खासकर कोलकाता में लोग पेट की बीमारी से अधिक पीड़ित हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह की खाद्य सामग्रियों से बीमारियां होने पर उसका कारण भी जल्दी पता नहीं चलता है। एक कृषक ने बताया कि फल व सब्जियों में भी मिलावट की जा रही है। आलू को रंग कर बाजार में बिक्री किया जा रहा है। सब्जियों को ताजा रखने के लिए कापर सल्फर में उसे डूबो दिया जा रहा है। कच्चे आम व अन्य फलों पर रासायनिक छिड़काव करने से वे 24 घंटे में पक जाते हैं जिससे विभिन्न तरह की बीमारियां फैल रही हैं जबकि लोग इन्हें पौस्टिक आहार मानकर मंहगी दर पर खरीद कर खाते हैं। पर्यावरण विभाग के मुख्य कानून अधिकारी विश्वजीत मजूमदार का कहना है कि मिठाइयों में विषाक्त रंग मिलाये जाते हैं। इस सिलसिले में केंद्र सरकार को सूचित किया गया है। एक मिठाई के व्यवसायी ने बताया कि उत्सवों में अचानक छेना की कमी हो जाती है जिससे उसमें भी मिलावट की जाती है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने कहा कि मिलावटी खाद्य सामग्रियों के प्रमाणित होने पर भी दोषी जुर्माना देकर फिर उसी धंधे में लौटता है। राज्य के स्वास्थ्य सचिव मानवेंद्र राय ने कहा कि इससे केंद्र सरकार को अवगत कराया गया है। कानून को और कठोर बनाने की जरूरत है(अरविंद दुबे,दैनिक जागरण,कोलकाता,01.11.2010)।
आज तो सुबह-सुबह डरा दिए। पर आपका यह डराना तो जागरूक करना ही तो है। आभार!
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंइस रिपोर्ट को पढ़कर मन अति चिंतित है। व्यापारियों का ईमान जब तक नहीं जागेगा , शायद ये मिलावटें बढती ही जायेंगी।
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