मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010

फिटनेस का पैमाना

शारीरिक गठन और खास तौर से मोटापे की नापतौल के मुख्य पैमाने के रूप में अरसे से दुनिया में जिस बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का प्रचलन रहा है,अब उसे बदलने और उसकी जगह ज्यादा सटीक और संतुलित बॉडी वॉल्यूम इंडेक्स (बीवीआई) को अपनाने की शुरुआत हो चुकी है। हाल में इंग्लैंड में बर्मिंघम स्थित एक रिसर्च कंपनी ने बीवीआई को बीएमआई के बेहतर विकल्प के रूप में पेश किया है। भारत के आम जनों के लिए लिए बीएमआई या अब बीवीआई भी शायद एक पहेली जैसा ही हो पर सरकारी नौकरियों में भर्ती और इंश्योरेंस जैसे उद्देश्यों के लिए हमारे यहां भी बीएमआई को ही भरोसेमंद पैमाना माना जाता रहा है। इतना कि खासकर सुरक्षा सेवाओं में इस पर अनफिट पाए गए लोगों के लिए कई दफा अपनी नौकरी बचाना मुश्किल हो जाता है। असल में यह 19वीं सदी के मध्य में बेल्जियम के गणितज्ञ अडोल्फ क्यूटलेट का विकसित किया फॉर्म्युला है जिसमें शरीर की ऊंचाई के मुकाबले वजन के अनुपात से व्यक्ति के मोटे या पतले होने का अंदाजा लगाया जाता है। खानपान विशेषज्ञ और डॉक्टर इसके आधार पर उनकी खुराक के बारे में सलाह देते रहे हैं। लेकिन मोटापे या वजन की नापतौल का यह तरीका काफी त्रुटिपूर्ण है, यह बात पिछले एक दशक में समझ में आ गई। ढाई लाख से ज्यादा दिल के मरीजों पर हुए करीब 40 अध्ययनों से यह बात सामने आई कि इनमें जिन लोगों को बीएमआई स्टैंडर्ड पर नॉर्मल बताया गया था, उन्हें मौत का खतरा ओवरवेट करार दिए गए लोगों से ज्यादा था। यही नहीं, एक पूरी तरह फिट ऐथलीट को भी बीएमआई पैमाना सिर्फ उसका वजन अधिक होने के कारण अयोग्य ठहरा सकता है। एथलीट की मसल्स मजबूत होती हैं और खतरनाक जगहों पर मौजूद ढीली चर्बी उसमें नहीं के बराबर होती है, लेकिन इसे समझने का कोई जरिया बीएमआई पैमाने में नहीं होता। इसकी मुख्य खामी यही है कि इसमें व्यक्ति के शारीरिक गठन या डीलडौल को नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसकी जगह अब जिस बीवीआई को लाया जा रहा है, उसमें मसल्स और फैट के भार में मौजूद अंतर को नापा जा सकता है। शरीर की बनावट के आधार पर बताया जा सकता है कि शरीर में कुछ खास जगहों पर फैट होना अच्छी सेहत का लक्षण है, न कि मोटापे का। निश्चय है कि बीवीआई से फिटनेस से जुड़ी समस्याओं के सही आकलन की राह खुलेगी(संपादकीय,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,12.10.2010)।

1 टिप्पणी:

  1. बहुत सही आंकलन है । हम तो खुद भी भुगत चुके हैं जब हमें आर्मी के मेडिकल में ११ किलो ओवरवेट पाया गया । लेकिन बाद में बोर्ड ने इसे मसल मास बताया और हम पास हो गए ।

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