मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

आयोडीन प्रभावित कर रहा है बच्चों का आईक्यूःएम्स

आयोडीन की कमी बच्चों के आईक्यू को सीधे तौर पर प्रभावित कर रहा है। बच्चों का न तो सही तौर पर मानसिक विकास हो रहा है और न ही शारीरिक। ऊर्जा की कमी से सामाजिक और आर्थिक विकास प्रभावित हो रहा है। एम्स के डॉक्टरों ने अपने पूर्व में किए गए शोध की समीक्षा में पाया है कि गर्भावस्था के दौरान आयोडीन युक्त नमक का सेवन न करने से पैदा होने वाले बच्चों की जिंदगी सुरक्षित नहीं रहती है।
एम्स के डॉक्टरों ने शोध की समीक्षा के लिए दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में नौ स्थानों पर अध्ययन किया। इनमें से पांच स्थानों में सामुदायिक स्तर पर और चार स्थानों में अस्पताल स्तर पर किया गया। भारत में प्रत्येक साल जन्म लेने वाले 2.60 करोड़ बच्चों में से आधे बच्चे आयोडीन की कमी से होने वाली समस्याओं से ग्रसित होते हैं। मस्तिष्क का जितना विकास होना चाहिए उतना नहीं हो पाता है।
अध्ययन करने वाले डॉ. सीके पांडव का कहना है कि बच्चों के मस्तिष्क का विकास गर्भावस्था के तीन माह बाद से ही शुरू हो जाता है और यह जन्म लेने के तीन साल बाद तक चलता है। गर्भावस्था के दौरान प्रत्येक सेकेंड शिशु का 50000 ब्रेन सेल बनता है। इन बे्रन सेलों से अरबों तंत्र जुड़े होते हैं जो आईक्यू क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं। इन सेलों को बचाने से ही बच्चों का मानसिक विकास होता है।
अध्ययन से जुड़े एम्स के पूर्व डॉक्टर प्रो. एमजी कर्मकार का कहना है कि देश के मात्र 51 फीसदी घरों में ही आयोडीन युक्त नमक का उपयोग होता है। जबकि साधारण नमक की तुलना में आयोडीन युक्त नमक का सालाना खर्च पांच पैसे प्रतिवर्ष ही ज्यादा होता है(अमर उजाला,दिल्ली,19.10.2010)।

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