बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

एम्स में लैब के सारे टेस्ट एक ही बिल्डिंग में करने की तैयारी

एम्स में लैबोरेटरी जल्द ही सेंट्रलाइज्ड करने की तैयारी है। एम्स एडमिनिस्टे्रशन ने इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को प्रस्ताव भेज दिया है। इंस्टिट्यूट के अधिकारियों का कहना है कि इससे मरीजों की परेशानियां काफी हद तक दूर हो जाएंगी। हालांकि , एम्स फैकल्टी असोसिएशन इस योजना पर ऐतराज जता रहा है। इंस्टिट्यूट के एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि अस्पताल में रोज 10-12 हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं , जिनमें से अधिकतर को मेडिकल टेस्ट की जरूरत होती है। यहां जिस तरह की व्यवस्था है , उसमें हर तरह के टेस्ट अलग - अलग बिल्डिंगों में होते हैं। इतना ही नहीं , उनके लिए फॉर्म भरने और रिपोर्ट कलेक्ट करने के लिए भी अलग - अलग जगह जाना पड़ता है। ऐसे में , मरीजों को काफी कन्फ्यूजन होती है। सेंट्रल लैबोरेटरी बन जाने से टेस्ट से संबंधित सारे काम एक ही छत के नीचे हो जाएंगे और मरीजों को इधर - उधर भटकना नहीं पड़ेगा। फिलहाल एम्स में एक्सरे और रूटीन ब्लड टेस्ट जैसी सामान्य जांच के अलावा हेमैटोलॉजी , कार्डियक , कैंसर , ब्लड की विशेष जांच , एमआरआई , सैंपल की जांच और उन पर रिसर्च का काम होता है। नई योजना के मुताबिक , सेंट्रलाइज्ड लैबोरेटरी के लिए एक अलग मल्टी स्टोरी बिल्डिंग होगी , जिसमें हर तरह के टेस्ट के लिए फॉर्म भरने से लेकर जांच और रिपोर्ट कलेक्शन तक की व्यवस्था होगी। उधर फैकल्टी असोसिएशन का कहना है कि हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है , क्योंकि इस पर एडमिनिस्ट्रेशन ने कोई सुझाव ही नहीं लिया। एक सीनियर फैकल्टी ने योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे मरीजों को कोई फायदा नहीं होने वाला है। उनका कहना है कि हर विभाग की जांच प्रक्रिया अलग होती है। पिछले कुछ सालों में यहां मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। ऐसे में , मेडिकल टेस्ट के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरतें भी बढ़ी हैं और ज्यादातर लैबों में इसकी कमी महसूस हो रही है। अगर प्रशासन को कुछ करना ही है तो लैब स्पेस और सुविधाएं बढ़ाए। साथ ही , सभी लैबों के बीच संयोजन की व्यवस्था करे। एक अन्य सीनियर डॉक्टर का कहना है कि पहले एम्स में मेडिसिन विभाग के अंतर्गत ही गैस्ट्रो , कैंसर जैसे विभाग भी आते थे , लेकिन बीमारियों की जटिलता को देखते हुए स्पेशलाइज्ड विभाग बनाए गए। पैथलॉजी विभाग से हेमैटोलॉजी को अलग किया गया , ताकि सटीक रिपोर्ट तैयार हो सके। ऐसे में , प्रशासन की नई योजना पिछले छह दशक की मेहनत पर पानी फेरने जैसी है(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,18.10.2010)।

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