बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

तंबाकू और महिलाएं

महिलाएं तंबाकू की लत के भंवर में तेजी से फंसती जा रही हैं। ७२ हजार घरों में पूरे देश में किए गए अब तक के सबसे बड़े सर्वे में मिला यह तथ्य भारी चिंता में डालने वाला है कि तंबाकू की लत में फंसी महिलाओं की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। धुआं उड़ाने वालों की संख्या घटी है, वहीं तंबाकू चबाकर थूकने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं पर तंबाकू का ज्यादा बुरा असर होता है। मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने यह रिपोर्ट जारी की। मंत्रालय की चीफ मेडिकल ऑफिसर एवं टुबैको कंट्रोल अभियान में बढ़ चढ़कर भाग लेने वाली डॉ. जगदीश कौर ने कहा कि यह बेहद चिंता की बात है कि देश की आधी आबादी में तंबाकू का सेवन इतनी तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार तंबाकू के लत की शिकार महिलाओं की सख्या पहले १०.८ प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर सीधे २० प्रतिशत हो गई है। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि महिलाओं में तंबाकू के लत के दो बड़े खतरे हैं। एक यह कि उनकी सुंदरता चली जाती है, दूसरे उन पर बांझ होने का जोखिम बढ़ जाता है। रिपोर्ट के अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर किए गए स्मोकिंग नियंत्रण के प्रयास नहीं के बराबर प्रभावी हुए हैं। २९ प्रतिशत भारतीयों पर घर के बाहर सिगरेट के धुएं से प्रभावित होने का जोखिम मंडरा रहा है। इससे आधे लोगों को घर के भीतर यह खतरा है। इनमें महिलाएं एवं बच्चे शामिल हैं। स्मोकिंग करने वालों की तुलना में तंबाकू चबाने वालों की संख्या काफी अधिक हो गई है। स्मोकिंग करने वालों की संख्या १४ प्रतिशत है, वहीं गुटखा व खैनी जैसे पदार्थों का उपयोग करने वाले २६ प्रतिशत हो गए हैं। जो रिपोर्ट जारी की गई है उसका नाम - ग्लोबल अडल्ट टुबैको सर्वे (गैट्स)- इंडिया २०१० है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तत्वावधान में मुंबई स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पाप्युलेशन साइंसेज ने यह सर्वे १९ भाषाओं में किया है। हर साल पूरी दुनिया में ५५ लाख लोग तंबाकू के उपयोग से मौत के मुंह में चले जाते हैं। इनमें नौ लाख भारत के लोग होते हैं(नई दुनिया,दिल्ली,20.10.2010)।

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